
मुंबई। स्वतंत्रता संग्राम में ‘वंदे मातरम’ ने देशवासियों को एक सूत्र में बाँधने का काम किया था। जाति, पंथ, धर्म और भाषा के भेद मिटाकर हर भारतीय ने इस गीत के स्वर में आज़ादी का सपना गाया था। उसी ऐतिहासिक भावना को पुनर्जीवित करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को मंत्रालय में आयोजित ‘वंदे मातरम’ गीत के सामूहिक गायन समारोह में कहा- “वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं, बल्कि वह भावना है जो भारत को जोड़ती और एकजुट करती है। आइए, सामूहिक रूप से वंदे मातरम गाकर विश्व का मार्गदर्शन करने वाले भारत के निर्माण का संकल्प लें। यह कार्यक्रम ‘वंदे मातरम’ गीत के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में कौशल, रोजगार, उद्यमिता और नवाचार विभाग तथा सांस्कृतिक कार्य विभाग द्वारा आयोजित किया गया। कार्यक्रम में सांस्कृतिक कार्य और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री आशीष शेलार, कौशल विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा, मुख्य सचिव राजेश कुमार, पद्मश्री पद्मजा फेनानी-जोगलेकर सहित मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे। पद्मजा फेनानी-जोगलेकर समेत सभी गणमान्य अतिथियों ने एक स्वर में वंदे मातरम गाकर राष्ट्रीय भावना को सुदृढ़ करने का संकल्प व्यक्त किया। मुख्यमंत्री फडणवीस ने अपने संबोधन में कहा कि “वंदे मातरम स्वतंत्रता संग्राम का मूल मंत्र था, यह क्रांतिकारियों की प्रेरणा थी और आज भी यह देशभक्ति का प्रतीक है।” उन्होंने ऐतिहासिक पृष्ठभूमि बताते हुए कहा कि कोलकाता के टाउन हॉल में जब पहली बार वंदे मातरम का उद्घोष हुआ, तब से यह अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष का नारा बन गया। वंग-भंग आंदोलन के दौरान यह गीत प्रेरणा का स्रोत बना और प्रभात फेरियों, विरोध प्रदर्शनों तथा कांग्रेस अधिवेशन में गूंजता रहा। रवींद्रनाथ टैगोर ने भी कांग्रेस अधिवेशन में इसे गाकर पूरे राष्ट्र को एकजुट किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि “स्वतंत्रता सेनानी फांसी पर चढ़ते समय भी ‘वंदे मातरम’ कहते थे। महात्मा गांधी अपने हर पत्र का समापन इस शब्द से करते थे। स्वतंत्र भारत के झंडे पर भी वंदे मातरम अंकित था।” उन्होंने बताया कि संविधान निर्माताओं ने ‘जन गण मन’ और ‘वंदे मातरम’ — दोनों को राष्ट्रगान का समान दर्जा और सम्मान प्रदान किया है। फडणवीस ने कहा कि 150 साल बाद भी यह गीत भारत की आत्मा में गूंजता है। “वंदे मातरम किसी एक धर्म का गीत नहीं, बल्कि यह सभी धर्मों को प्रेरित करने वाला राष्ट्रगीत है।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल का उल्लेख करते हुए कहा कि “देशभर में सामूहिक वंदे मातरम गायन कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं ताकि युवा पीढ़ी में देशभक्ति और एकता की भावना जागृत हो। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि “1905 के वंग-भंग आंदोलन में जो भावना जागी थी, वही अब फिर से पूरे भारत में जगाई जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी एक विकसित भारत का सपना देखते हैं। ‘विकास भी और विरासत भी’। हमें ऐसा भारत बनाना है जो नालंदा और तक्षशिला जैसी परंपराओं के ज्ञान से दुनिया का मार्गदर्शन करे और भगवान बुद्ध के दर्शन को वैश्विक शांति का प्रतीक बनाए। इस अवसर पर मंत्री आशीष शेलार ने वंदे मातरम को “स्वतंत्रता संग्राम का समरगीत, आध्यात्मिक प्रेरणा और क्रांतिकारियों का युद्धगीत” बताया। उन्होंने कहा कि “यह गीत हर धर्म, जाति और संप्रदाय के लोगों को एकजुट करता है और यही इसकी सबसे बड़ी शक्ति है। कार्यक्रम के दौरान पूर्व निर्माण विश्व द्वारा ‘वंदे मातरम’ पर एक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया, जिसमें विभिन्न वेशभूषाओं में सजे युवाओं ने ‘वंदे मातरम’ की तख्तियाँ लेकर राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया। कार्यक्रम के अंत में दिल्ली से ‘वंदे मातरम’ के सामूहिक गायन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन का सीधा प्रसारण किया गया, जिसमें उन्होंने राष्ट्रनिर्माण में एकता, अनुशासन और देशभक्ति की भावना को सर्वोपरि बताया।




