
मुंबई। कैबिनेट की अपॉइंटमेंट्स कमेटी (एसीसी) ने सोमवार को सीनियर आईपीएस अधिकारी और नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) के डायरेक्टर, सदानंद वसंत दाते को उनके मूल कैडर, महाराष्ट्र में वापस भेजने की मंज़ूरी दे दी। मौजूदा डीजीपी रश्मि शुक्ला का कार्यकाल 31 दिसंबर को समाप्त हो रहा है, इसलिए दाते को राज्य का नया पुलिस प्रमुख नियुक्त करने के लिए सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है। इस कदम की महत्वता और बढ़ जाती है क्योंकि जनवरी में बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (बीएमसी) चुनाव होने हैं, जिससे राज्य में कानून-व्यवस्था और सुरक्षा नेतृत्व की जिम्मेदारी अहम हो जाती है। केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार गृह मंत्रालय ने महाराष्ट्र सरकार से अनुरोध के बाद दाते का डेपुटेशन खत्म कर उन्हें मूल कैडर में वापस भेजा। सूत्रों के अनुसार, उन्हें दो साल के कार्यकाल के लिए राज्य का पुलिस प्रमुख नियुक्त किया जा सकता है, जो दिसंबर 2027 तक चलेगा। महाराष्ट्र कैडर के 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी सदानंद वसंत दाते की जीवन कहानी प्रेरणादायक है। साधारण परिवार में जन्मे दाते ने बचपन में अखबार बाँटकर अपनी पढ़ाई का खर्च उठाया। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने शिक्षा और अनुशासन को प्राथमिकता दी और भारतीय पुलिस सेवा में चयनित हुए। अपने करियर में दाते ने मुंबई पुलिस, सीबीआई और कई महत्वपूर्ण राज्य व केंद्रीय एजेंसियों में प्रमुख पदों पर काम किया। वे महाराष्ट्र एंटी-टेररिज्म स्क्वाड के प्रमुख रह चुके हैं और 2020 में गठित मीरा-भायंदर-वसई-विरार पुलिस कमिश्नरेट के पहले कमिश्नर भी रहे। मुंबई पुलिस में उन्होंने जॉइंट कमिश्नर (कानून और व्यवस्था) और क्राइम ब्रांच जैसे संवेदनशील विभागों का नेतृत्व किया। दाते का नाम 26/11 मुंबई आतंकी हमलों में बहादुरी और महत्वपूर्ण भूमिका के लिए इतिहास में दर्ज है। उन्होंने आतंकवादियों का सामना किया और कामा एवं अल्बलेस अस्पताल से महिलाओं व बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला। इसी असाधारण बहादुरी के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया। सदानंद वसंत दाते का महाराष्ट्र में पुलिस प्रमुख बनना राज्य में कानून-व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने वाला कदम माना जा रहा है।




