
जालना। मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनशन पर बैठे मनोज जारांगे पाटिल ने आखिरकार भूख हड़ताल खत्म कर दी है।आंदोलन के 17वें दिन जारांगे पाटिल ने अनशन तोड़ा। मुख्यमंत्री द्वारा अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल तोड़ने के लिए मनाए जाने पर जारांगे-पाटिल मुस्कुराए, अपने समर्थकों और अन्य लोगों की ओर देखा और फिर शिंदे के हाथ से संतरे के जूस का एक गिलास लिया, मुस्कुराए और झिझक के साथ उसे पीया, जिसके बाद उनकी लंबी भूख हड़ताल खत्म हो गई। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि मुझ पर भरोसा रखें। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जारांगे पाटिल को आश्वासन दिया कि जब तक मराठा समुदाय को आरक्षण नहीं दिया जाता वह पीछे नहीं हटेंगे। जारांगे पाटिल ने भी बिना किसी शोर-शराबे के भूख हड़ताल खत्म कर दी। इसके बाद जारंगे पाटिल ने मुख्यमंत्री के तौर पर एकनाथ शिंदे की तारीफ की। जारांगे-पाटिल ने गुरुवार सुबह मुख्यमंत्री, केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रावसाहेब दानवे-पाटिल, राज्य मंत्री गिरीश महाजन और अन्य नेताओं का स्वागत किया। इस पर वहां मौजूद कई मराठा नेताओं सहित सभा में मौजूद लोगों ने खुशी मनाई और तालियां बजाईं। इसके साथ ही महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट का एक बुरा दौर ख़त्म हो गया। शिंदे ने कहा कि उन 3,700 मराठा युवाओं को नौकरियां दी जाएंगी, जिन्हें उच्चतम न्यायालय द्वारा समुदाय का आरक्षण खत्म करने के बाद साक्षात्कार के जरिए सरकारी नौकरियों के लिए चुना गया था। उन्होंने कहा कि छत्रपति शाहू महाराज अनुसंधान, प्रशिक्षण और मानव विकास संस्थान (सारथी) के लिए धन आवंटन बढ़ाया जाएगा, जबकि अन्नासाहेब पाटिल आर्थिक विकास निगम का बजट 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दिया गया है। शिंदे ने कहा, हम नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मराठा एक अनुशासित और संवेदनशील समुदाय हैं। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों पर एक सितंबर को लाठीचार्ज की घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी। उन्होंने कहा कि राज्य के गृह मंत्री देवेन्द्र फड़णवीस सार्वजनिक रूप से माफी मांग चुके हैं और उन्होंने घटना पर खेद भी जताया है। संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है और आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाएंगे। इस मौके पर जरांगे ने कहा, यह पहली बार है कि कोई मुख्यमंत्री किसी को भूख हड़ताल खत्म करने का अनुरोध लेकर आंदोलन स्थल पर आया है। मैं तब तक नहीं रुकूंगा, जब तक मराठा समुदाय को आरक्षण नहीं मिल जाता और यही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की नीति भी है। उन्होंने कहा, हमने समुदाय के सदस्यों की सहमति से राज्य सरकार को एक महीने का समय दिया है। अगर सरकार चाहेगी तो हम 10 दिन और देंगे, लेकिन हमें मराठों के लिए आरक्षण चाहिए।