
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शुक्रवार को कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके पूर्ववर्ती उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी शिवसेना गुटों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर वह अगले सप्ताह सुनवाई करेंगे। शीर्ष अदालत ने इस सप्ताह की शुरुआत में नार्वेकर को शिंदे एवं उनके गुट के विधायकों के खिलाफ आयोग्यता याचिकाओं के निर्णय के लिए समय सीमा निर्धारित करने के वास्ते एक सप्ताह के भीतर फैसला लेने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने इसके साथ ही यह भी कहा था कि उचित समय के भीतर याचिकाओं के निस्तारण का निर्देश देने के बावजूद अभी तक स्पष्ट तौर पर कुछ भी नहीं किया जा सका है। शिंदे एवं अन्य बागी विधायकों ने जून 2022 में नई सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया था। नार्वेकर ने तारीखों के बारे में विस्तार से बताये बिना कहा, अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई अगले सप्ताह की शुरुआत में होगी। नार्वेकर ने यहां एक कार्यक्रम में बृहस्पतिवार को कहा था कि वह सेना के कुछ विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले में देरी नहीं करेंगे, लेकिन इसमें जल्दबाजी भी नहीं करेंगे, क्योंकि इससे न्याय प्रभावित हो सकता है। नार्वेकर ने पिछले सप्ताह शिंदे और ठाकरे के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी गुटों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। कुल 34 याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। दोनों गुटों का प्रतिनिधित्व उनके संबंधित वकील कर रहे हैं। नार्वेकर ने जुलाई में शिंदे के नेतृत्व वाली सेना के 40 और उद्धव ठाकरे गुट के 14 विधायकों को नोटिस जारी कर उनके खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर जवाब मांगा था। मुख्यमंत्री शिंदे और शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे समेत 54 विधायकों के खिलाफ नोटिस जारी किया गया था, लेकिन पिछले साल शिवसेना के विभाजन के बाद निर्वाचित उद्धव ठाकरे गुट की विधायक ऋतुजा लटके के खिलाफ ऐसा नहीं किया गया था। अविभाजित शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में सुनील प्रभु ने पिछले साल शिंदे और 15 बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की थी, जब उन्होंने जून 2022 में नई सरकार बनाने के लिए विद्रोह किया था और भाजपा से हाथ मिलाया था। इसी साल 11 मई को शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया था कि शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने रहेंगे। इसने यह भी कहा कि वह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाडी (एमवीए) गठबंधन सरकार को बहाल नहीं कर सकती, क्योंकि ठाकरे ने शिंदे के विद्रोह के मद्देनजर शक्ति परीक्षण का सामना किए बिना मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का फैसला किया था।