
मुंबई। भारत के समुद्री क्षेत्र की सामरिक क्षमता और वैश्विक महत्व को रेखांकित करते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत मुंबई से एक नया समुद्री इतिहास रचने के लिए तैयार है। सोमवार को गोरेगांव के नेस्को परिसर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सम्मेलन ‘भारत समुद्री सप्ताह 2025’ का उद्घाटन उन्होंने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर पुष्पांजलि भी अर्पित की गई। कार्यक्रम में केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन शरण मांझी, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।
वैश्विक समुद्री नेतृत्व की दिशा में भारत
अमित शाह ने कहा कि भारत का 11,000 किलोमीटर लंबा समुद्री तट वैश्विक विकास का प्रमुख केंद्र बन रहा है। उन्होंने बताया कि देश के कुल व्यापार का 90 प्रतिशत हिस्सा समुद्री मार्गों से होता है और भारत 2047 तक वैश्विक समुद्री नेतृत्व हासिल करने के लक्ष्य पर कार्य कर रहा है। शाह के अनुसार, सागर, सागरमाला, गति शक्ति और समुद्रयान जैसी परियोजनाओं ने समुद्री ढांचे को नई ऊर्जा दी है। जहाज निर्माण के क्षेत्र में भारत विश्व में पाँचवें स्थान पर पहुँच चुका है और नए बंदरगाहों के निर्माण पर तेजी से काम चल रहा है। वधान बंदरगाह को उन्होंने विश्व के शीर्ष 10 बंदरगाहों में शामिल करने का लक्ष्य बताया।
महाराष्ट्र समुद्री शक्ति का धुरी: फडणवीस
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मुंबई देश की आर्थिक राजधानी ही नहीं बल्कि भारत की समुद्री शक्ति का भी केंद्र है। जेएनपीए और मुंबई बंदरगाह राष्ट्रीय कंटेनर परिवहन का महत्वपूर्ण भार वहन करते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि वधान बंदरगाह का निर्माण आरंभ हो चुका है जो भविष्य में न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे भारत को समुद्री महाशक्ति के रूप में स्थापित करेगा। फडणवीस ने हाल ही में जारी ‘महाराष्ट्र जहाज निर्माण नीति 2025’ का उल्लेख करते हुए बताया कि राज्य जहाज निर्माण के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र तैयार कर रहा है।
शांति और स्थिरता से बढ़ेगा निवेश
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में देश में स्थिरता और सुरक्षा का माहौल बना है, जिससे समुद्री क्षेत्र में निवेश की संभावनाएँ बढ़ी हैं। उन्होंने इसे विकसित भारत के निर्माण का महत्वपूर्ण स्तंभ बताया। सम्मेलन में 100 से अधिक देशों के 350 से अधिक विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। आयोजन के दौरान 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक के संभावित निवेश का लक्ष्य रखा गया है, जो वैश्विक समुद्री उद्योग में भारत की भूमिका को और सुदृढ़ करेगा।




