Friday, July 11, 2025
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नए साल में शिंदे सरकार ने दी सौगातें, महाराष्ट्र में कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन लागू, किसानों को भी तोहफा

मुंबई। महाराष्ट्र में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को लेकर एकनाथ शिंदे सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। पिछले महीने शीतकालीन सत्र (नागपुर अधिवेशन) के दौरान पुरानी पेंशन की मांग को लेकर हड़ताल करने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। नए साल में पहली कैबिनेट बैठक में पुरानी पेंशन को लेकर अहम फैसला लिया गया है। इससे राज्य के हजारों सरकारी कर्मचारियों को राहत मिली है। शिंदे सरकार ने 2005 से पहले सरकारी सेवा में आए अपने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ देने का फैसला किया है। ऐसे में इन कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है। राज्य सरकार ने इन कर्मचारियों के अन्य मुद्दों के लिए कमेटी बनाई है। अधिकारिक बयान के मुताबिक, 2005 से पहले सरकारी सेवा में आए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का फायदा मिलेगा।
नए साल में शिंदे सरकार का पहला बड़ा फैसला
नवंबर 2005 से पहले के विज्ञापन के अनुसार नवंबर 2005 के बाद सरकारी सेवा में शामिल हुए सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना का विकल्प दिया जाएगा। शिंदे-फडणवीस-पवार सरकार ने इस पर मुहर भी लगा दी है। इस फैसले से प्रदेश के साढ़े चार से पांच हजार सरकारी कर्मचारियों को फायदा मिलेगा। महाराष्ट्र राज्य कर्मचारी परिसंघ के महासचिव विश्वास काटकर ने बताया क‍ि इस फैसले से राज्य सरकार के 26000 कर्मचारियों को फायदा होगा। दरअसल इन कर्मचारियों की न‍ियुक्‍त‍ि नवंबर 2005 से पहले हुई थी, लेकिन ज्वाइनिंग नवंबर 2005 के बाद हुआ था। बता दें कि महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक में आज 10 बड़े फैसले लिए गए हैं। इसमें पुरानी पेंशन के अलावा मुंबई ट्रांस-हार्बर लिंक ब्रिज पर 250 रुपये का टोल और दूध उत्पादन किसानों को प्रति लीटर 5 रुपये की सब्सिडी देने का फैसला किया गया है। इस बैठक में राज्य के कई मुद्दों पर चर्चा हुई।
ओपीएस क्यों चाहिए?
मालूम हो कि राज्य में पुरानी पेंशन योजना 2005 में बंद कर दी गयी थी। ओपीएस के तहत सरकारी कर्मचारी को उनके अंतिम आहरित वेतन के 50 प्रतिशत के बराबर पेंशन हर महीने मिलती है। साथ ही कर्मचारियों को कंट्रीब्यूशन भी नहीं करना पड़ता था। जबकि नई पेंशन योजना (NPS) के तहत राज्य सरकार के कर्मचारी को अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत योगदान पेंशन के लिए देना पड़ता है और राज्य भी उतना ही योगदान देती है। फिर वह पैसा पेंशन फंड में निवेश किया जाता है और रिटर्न बाजार से जुड़ा होता है। यानि पेंशन कितनी मिलेगी यह तय नहीं होता है।

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