
मुंबई। मराठा आरक्षण का मुद्दा महाराष्ट्र सरकार के लिए गले की हड्डी बन गया है। मराठा आंदोलन का प्रमुख चेहरा बन चुके मनोज जरांगे पाटिल ने सीधे तौर पर राज्य सरकार को चेतावनी दे दी है। मराठों को शिक्षा और नौकरियों में कोटा देने के लिए राज्य सरकार को 10 दिन की डेडलाइन दी है। जबकि 30 दिनों की पिछली डेडलाइन शनिवार को समाप्त हो गई। इस वजह से महाराष्ट्र की त्रिपक्षीय सरकार की टेंशन बढ़ गयी है। महाराष्ट्र सरकार के आश्वासन के बावजूद मराठा आरक्षण लागू करने की दिशा में अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। जिसके चलते मनोज जरांगे जालना जिले के एक छोटे से गांव अंतरवाली सराटी में मराठा आंदोलन को नई धार देने में जुट गए हैं। गांव में मराठों का हुजुम लगा है। मराठा नेता मनोज जरांगे ने राज्य भर से लाखों की संख्या में आए समुदाय के सदस्यों से कहा कि उन्हें 10 दिन और धैर्यपूर्वक इंतजार करना चाहिए। इस दौरान उन्हें अन्य जाति समूहों के नेताओं के किसी भी उकसावे में नहीं आना चाहिए। दरअसल राज्य सरकार मौजूदा ओबीसी कोटा में मराठों को शामिल करने की संभावना तलाश रही है, जबकि अन्य जाति समूहों के नेता मौजूदा ओबीसी कोटा में मराठों को समायोजित करने की मांग का विरोध कर रहे हैं।
मराठों को भड़काने का प्लान
अंतरवाली सराटी में शनिवार को विशाल रैली को संबोधित करते हुए मनोज जरांगे ने कहा, हमारी एकता को तोड़ने की कोशिश की जाएगी। छगन भुजबल और एक दूसरे नेता को डिप्टी सीएम और सीएम ने मराठों को बयान देकर भड़काने के लिए कहा है। इसलिए, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप प्रतिक्रिया न करें और किसी भी प्रकार की हिंसा का सहारा न लें। हमने देश और दुनिया को दिखाया है कि हम बड़ी संख्या में इकट्ठा हो सकते हैं और शांतिपूर्ण विरोध कर सकते हैं। मराठा एकजुट नहीं हो सकते, हमने इस मिथक को भी तोड़ दिया है।
‘कमेटी का नाटक बंद करों’
जरांगे ने मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र देने की संभावना को सत्यापित करने के लिए नियुक्त की गई राज्य कमेटी को भी खारिज करने की मांग की। उन्होंने कहा, “कमेटी और सबूत इकट्ठा करने का नाटक बंद करो। मराठों को मौजूदा 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा में रिजर्वेशन दो। इससे क़ानूनी पेंच भी नहीं फसेगा। मराठा नेता ने कहा, 24 अक्टूबर को अगले कदम की घोषणा की जाएगा। मैं मराठों को बिना आरक्षण दिलवाएं दुनिया की अलविदा नहीं कहूंगा। आरक्षण मुद्दे को सुलझाने के लिए जरांगे ने 14 सितंबर को महाराष्ट्र सरकार को एक महीने का समय दिया था। तब सीएम एकनाथ शिंदे ने खुद जूस पिलाकर जरांगे का 16 दिनों का अनशन खत्म करवाया था और आरक्षण देने का वादा किया था।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कब?
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने मराठा कोटा बहाल करने के लिए राज्य सरकार की ओर से दायर क्यूरेटिव याचिका को स्वीकार कर लिया है। शीर्ष कोर्ट ने ही कुछ साल पहले मराठा आरक्षण रद्द कर दिया था।