Wednesday, July 9, 2025
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उपमुख्यमंत्री अजित पवार को मनाने की कोशिश, मुख्यमंत्री ने जारी की संरक्षक मंत्रियों की लिस्ट

मुंबई। महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नाराजगी के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने संशोधित मंत्रियों की लिस्ट जारी कर दी है। अजित पवार को बुधवार को वरिष्ठ भाजपा नेता एवं कैबिनेट मंत्री चंद्रकांत पाटिल के स्थान पर उनके गृह जिले पुणे का प्रभारी मंत्री नामित किया गया। बता दें कि अजित पवार ने पुणे के साथ ही सातारा और रायगढ़ जिले का संरक्षक, गार्जियन मंत्री पद मांगा है। उस पर फिलहाल अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। अजित पवार पिछले कुछ दिनों से सरकार में खफा बताये जा रहे थे। वह मंगलवार को कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं हुए थे। उसके बाद कल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस कल आनन-फान दिल्ली पहुंचे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ करीब दो घंटे से भी ज्यादा समय तक बैठक की, जिसके बाद गार्जियन मंत्रियों का फैसला हुआ।इसके अलावा राज्यपाल मनोनीत विधान परिषद की 12 सीटों के लिए बीजेपी के 6, शिंदे शिवसेना तीन और अजित पवार एनसीपी को तीन सीटें देने की भी बात हुई है। जानकारी के मुताबिक आज जारी की गयी संरक्षक मंत्रियो कि लिस्ट में एनसीपी के अजित पवार खेमे से 7 संरक्षक मंत्री बने है।
अजित पवार गुट के मंत्री, जिन्हें बनाया गया संरक्षक
1) अजित पवार-पुणे 2) दिलीप वलसे पाटिल-बुलढाणा 3) हसन मुश्रिफ-कोल्हापुर 4) धर्मरावबाबा आत्राम-गोंदिया 5) धनंजय मुंडे-बीड 6) संजय बनसोडे-परभणी 7) अनिल पाटिल-नंदूरबार
अजित पवार को मनाने में जुटी बीजेपी
बता दें कि महाराष्ट्र के 12 जिलों जिन जिलों में संरक्षक मंत्रियों की नियुक्ति हुई है। वे एनसीपी (अजित गुट) के ज्यादातर मंत्री हैं। इस संशोधित सूची के जरिए अजित पवार की नाराजगी खत्म करने की कोशिश की जा रही है। अजित पवार कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं होने के अलावा दिल्ली में बीजेपी की केंद्रीय नेतृत्व में भी उपस्थित नहीं थे। अजित पवार महाराष्ट्र की घटनाक्रम को लेकर खुश नहीं बताए जा रहे हैं। जुलाई में एनसीपी से अलग होने के बाद अजित पवार ने मंगलवार को महाराष्ट्र में हुई कैबिनेट बैठक में शामिल हुए हुए थे। बताया गया था कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है। महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार में देरी उनकी नाराजगी का कारण माना जा रहा था। वहीं, बीजेपी किसी भी हालत में 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र में फिर से अपनी सत्ता को खतरे में नहीं डालना चाहती है। इसलिए उन्हें मनाने की कोशिश की जा रही है।

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