वैसे देखा जाए तो कर्नाटक चुनाव आम लोगों की नजर में आम होने वाला चुनाव मात्र है लेकिन इस चुनाव के परिणाम राजनीतिक तूफान मचाने वाले साबित होने वाले हैं। भाजपा ने भले ही कर्नाटक की सरकार का मुख्यमंत्री चेहरा बदला हो लेकिन हर काम के लिए 40 प्रतिशत कमीशन का भूत बीजेपी का साथ छोड़ नहीं रहा। बीजेपी के पूर्व मंत्री उपमुख्यमंत्री पलायन कर कांग्रेस में शामिल होने लगे है। जिनके टिकट कटे हैं वे हर हाल में बागी बनकर चुनाव में डटे हुए हैं। इसलिए भाजपा की कर्नाटक चुनाव में करारी हार तय है। उसको मात्र 50 सीटें मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप में भी भगदड़ मच चुकी है। कांग्रेस की चुनावी रैली में लाखों की भीड़ पैसे देकर नहीं बुलाई जा रही। जनता या वोटर्स अपने आप खींचे चले आते हैं। कांग्रेस यहां भाजपा की राज्यसरकार के 40 प्रतिशत कमीशन लेने की बात हर रैली में कही जा रही है। मोदी को कांग्रेस के अध्यक्ष जहरीला सांप बता चुके है तो भाजपा ने सोनिया को जहर जैसे आभूषणों से अलंकृत किया है। दोनो एक दूसरे की शिकायत लेकर चुनाव आयोग पहुंच गए हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त का हाल यह है कि न निगल पा रहे हैं न उगल ही। यदि वे कांग्रेस के अध्यक्ष को चुनाव। प्रचार से वंचित करते हैं तो उसका लाभ कर्नाटक में जरूर मिलेगा क्योंकि खरगे कर्नाटक के दलित समाज से आते हैं और यदि ऐसा नहीं करते जैसी उम्मीद है तो इनपर बीजेपी खफा हो सकती है। राहुल तो राहुल उनकी बहन प्रियंका रैली में अपनी दादी इंदिरा गांधी जिन्हे चकमगलुर को जनता ने विपत्ति के समय चुनाव जिताकर पुनः सांसद बनाया था। प्रियंका कर्नाटक की जनता से संवाद करती नजर आती हैं। जनता से अपनी संस्कृति सभ्यता का दामन नहीं छोड़ने की अपील कर मोह लेती हैं। लोगों को तीन पीढि़यों के द्वारा अपनेपन का बखूबी एहसास कराती हैं प्रियंका। दूसरी तरफ शायद अमित शाह को कर्नाटक में भ्रष्ट सरकार के कारण हार दिखने लगी है इसलिए वे मोदी के चेहरे पर वोट मांगते फिर रहे हैं लेकिन क्या कर्नाटक की जनता राज्य की बीजेपी सरकार के भ्रष्टाचार को भुला देगी? वैसे भी महिला पहलवानों के यौन शोषण की बात कर्नाटक तक जा पहुंची हैं। पी टी उषा से उन पीड़ित महिला पहलवानों के विरुद्ध कहलाए जाने की बात भी जनता के मन में है। फिर पुलवाना आतंकी हमले कराकर चुनाव में फायदा लेने का भांडा जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल ने फोड़ दिया है जिसका असर शिक्षित मतदाताओं पर ज़रूर होगा। ऐसे में अमित शाह के तुरुप का पत्ता कोई काम नहीं देगा। सबसे बड़ी बात झूठ के काठ की हांडी बार बार चूल्हे पर नहीं चढ़ाई जा सकती। जल जाती है। कांग्रेस की सरकार का बीजेपी में परिवर्तन कर अपनी सरकार बनाने वाली भाजपा को कर्नाटक की जनता माफ कैसे करेगी क्योंकि जनता ने कांग्रेस को वोट दिया था। जनता का गुस्सा राज्य के नेताओं और केंद्र सरकार पर भी फूटेगा। कालाधन लाने, दो करोड़ रोजगार देने, भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की जगह कर्नाटक की भ्रष्ट सरकार को प्रश्रय देने को भी शिक्षित समुदाय नहीं भूलेगा। जो कांग्रेस कल तक 140 सीटें जीतने की बात करती थी। बीजेपी और आप पार्टी के नेताओं द्वारा कांग्रेस का दामन थामने से उत्साहित कांग्रेस अब 150 सीटें जीतने के दावे करने लगी है।