Tuesday, March 11, 2025
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गुजारा भत्ता आदेश के खिलाफ धनंजय मुंडे की सत्र न्यायालय में अपील, 21 मार्च तक सुनवाई स्थगित

मुंबई। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री धनंजय मुंडे ने बांद्रा मजिस्ट्रेट कोर्ट के उस आदेश को सत्र न्यायालय में चुनौती दी है, जिसमें उन्हें करुणा मुंडे को गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था। एनसीपी नेता मुंडे ने अपनी अपील में दोहराया कि करुणा से उनकी कभी शादी नहीं हुई और मजिस्ट्रेट द्वारा लिया गया निर्णय गलत निष्कर्ष पर आधारित है। बांद्रा मजिस्ट्रेट अदालत ने 4 फरवरी को करुणा की अंतरिम याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए धनंजय मुंडे को निर्देश दिया था कि वह करुणा को ₹1.25 लाख प्रति माह और उनकी बेटी को ₹75,000 प्रति माह गुजारा भत्ता के रूप में दें। मुंडे ने इस आदेश को चुनौती देते हुए अपनी अपील में कहा कि मजिस्ट्रेट ने गलती से उनके बीच वैवाहिक संबंध मान लिए, जबकि उनकी कोई शादी नहीं हुई थी। उन्होंने दावा किया कि मजिस्ट्रेट ने गलत तरीके से निष्कर्ष निकाला कि उनके और करुणा के बीच घरेलू संबंध हैं। धनंजय मुंडे ने स्वीकार किया कि उनका करुणा के साथ व्यक्तिगत रिश्ता रहा है और दो बच्चे भी हुए। उन्होंने कहा कि बच्चों के दस्तावेजों में अपने नाम का उपयोग करने की अनुमति दी थी, लेकिन कभी शादी नहीं की। मुंडे के अनुसार, करुणा को उनकी कानूनी पत्नी राजश्री मुंडे के बारे में पूरी जानकारी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि 2019 में मंत्री बनने के बाद, करुणा और उनका परिवार अत्यधिक वित्तीय मांगें करने लगा। मुंडे ने यह भी आरोप लगाया कि करुणा ने सोशल मीडिया पर “करुणा धनंजय मुंडे” नाम से कई अकाउंट बनाए और खुद को उनकी पत्नी के रूप में पेश किया।
शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान, करुणा ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा और अदालत को आश्वासन दिया कि वह अगली सुनवाई तक भरण-पोषण आदेश का निष्पादन नहीं करेंगी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शेख अकबर शेख जाफर ने 21 मार्च तक सुनवाई स्थगित कर दी और करुणा को अग्रिम जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। करुणा ने 2020 में धनंजय मुंडे के खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया था, जो अभी भी मजिस्ट्रेट कोर्ट में लंबित है। अंतरिम आदेश में मजिस्ट्रेट ने प्रथम दृष्टया माना कि मुंडे ने करुणा के खिलाफ घरेलू हिंसा की है और मुंडे की यह दलील खारिज कर दी कि कोई विवाह नहीं हुआ था। कोर्ट के अनुसार, दस्तावेजों से यह स्पष्ट होता है कि दोनों के बीच घरेलू संबंध थे। अब देखना होगा कि 21 मार्च को सत्र न्यायालय इस मामले में क्या निर्णय लेता है।

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