Maharashtra-Karnataka border dispute : राजधानी दिल्ली में बुधवार (14 दिसंबर) को महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद (Maharashtra-Karnataka border dispute) को लेकर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों (एकनाथ शिंदे और बसवराज बोम्मई) की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाहके साथ एक अहम बैठक हुई. इस बैठक से बढ़ते हुए तनाव को कम करने की कोशिशें की गई और तय हुआ कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला आने से पहले दोनों ही ओर से कोई दावा नहीं किया जाएगा, बयानबाजी नहीं होगी. इस बैठक में तनाव बढ़ाने के लिए फेक ट्वीटर अकाउंट से किए जाने वाले ट्वीट को जिम्मेदार बताया गया. संजय राउत (Sanjay Raut) ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
मीटिंग के बाद कहा गया कि नेताओं के नाम पर फेक ट्वीट करने वालों का पता लगाया जाएगा और कार्रवाई की जाएगी. शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि अभी पता चला क्या, कि वे सारे ट्वीट फेक थे? और जो कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई यह खुलेआम बयान दे रहे थे कि अमित शाह के पास जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, वो भी फेक था क्या?
‘असंवैधानिक सरकार के सीएम ने चर्चा की, इसकी कोई अहमियत नहीं’
संजय राउत ने यह भी कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री के साथ जो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री चर्चा के लिए बैठे थे उसका कोई मतलब नहीं है. शिंदे सरकार असंवैधानिक है. एक असंवैधानिक सरकार की चर्चा का कोई खास अर्थ नहीं है. यह सरकार रहेगी कि नहीं, यही पता नहीं है. हां अगर केंद्रीय गृहमंत्री ने महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद को दिल से सुलझाना चाहा तो जरूर कोई सकारात्मक बातें सामने आ सकती हैं.
विरोध के लिए नहीं करेंगे विरोध, विवाद सुलझाने में करेंगे पूरा सहयोग
संजय राउत ने कहा कि वे और उनकी पार्टी सिर्फ विरोध करने के लिए विरोध नहीं करेंगे. पिछले 70 सालों में सीमा विवाद की वजह से सीमावर्ती भागों की जनता को जो अत्याचार सहना पड़ा है, वो हमसे ज्यादा किसी को पता नहीं है. हमने इस वजह से 70 कुर्बानियां दी हैं.
जब मामला कोर्ट में है तो बेलगावी को उप राजधानी कैसे बना लिया?
संजय राउत ने कहा कि जब इस बात पर एकमत हैं कि कोर्ट के फैसले से पहले दोनों तरफ से कोई दावा नहीं किया जाएगा तो बेलगावी का मामला तो सुप्रीम कोर्ट में है. ऐसे में कर्नाटक ने बेलगावी को अपनी उप राजधानी कैसे बना लिया? कोर्ट में मामला होते हुए वे बेलगावी में विधानसभा सत्र किस आधार पर बुला रहे हैं?