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कैंसर विश्व की दुर्दम बीमारी बन चुकी है। विश्वस्तर पर स्तन कैंसर के २२ लाख ६० हजार, फेफड़ों के कैंसर के २२ लाख १० हजार, कोलन और रेक्टम के १९ लाख ३० हजार, प्रोटेस्ट कैंसर के १४ लाख १० हजार , पेट कैंसर के १० लाख ९ हजार रोगी हैं –विश्व स्वास्थ्य संगठन २०२०. अमेरिकी कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार स्टेज १ में ९५ प्रतिशत ठीक, जबकि स्टेज ४ आते आते ठीक होने की संभावनाएं सिर्फ ५प्रतिशत ही रहती है। शरीर में किसी भाग में उभार या गांठ बनी रहे, किसी भाग से बहुत रक्त बहे,खांसी या गले की खराश, मल त्याग की आदतों में बदलाव, मूत्र मार्ग से जुड़ी समस्या, तेज दर्द, वजन कम होते जाना, निगलने में परेशानी, बार बार बुखार, लगातार थकान व त्वचा में बदलाव और लगातार श्वांस फूलना लक्षण हैं जो अन्य बीमारियों में भी संभव हैं, को नजर अंदाज न करें। अपने फेमिली डॉक्टर को दिखाएं। उनके परामर्श से ही स्पेशलिस्ट के पास जाएं। भारतीय महिलाओं में सर्वाइकल, ओरल कैविटी/ओरल /हेड एंड नेक, फेफड़ों के, गैस्ट्रिक कैंसर अधिक जबकि पुरुषों में ओरल कैविटी/ओरल और नेक, फेफड़े, प्रोटेस्ट पेट और आहार नाल और कोलोरेक्टल कैंसर होते हैं। तंबाकू, अल्कोहल,पोषण की कमी, रेडिएशन और रसायन संपर्क,ज्यादा समय सूर्य की रोशनी में रहना,औद्योगिक प्रदूषण, वायरस, हार्मोन असंतुलन जैसे प्रमुख कारक हो सकते हैं। धूम्रपान, गलत खानपान, मोटापा, शारीरिक श्रम का अभाव और प्लास्टिक का उपयोग करने से बचें। बेचैनी, थकान, चक्कर या उलटी, दर्द, नींद की समस्या हो तो वैकल्पिक चिकित्सा का सहयोग लें। जांच में कैंसर की संभावना होने पर अल्ट्रा साउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई, इनवेसिव टेस्ट, बायोप्सी, एंडोस्केपी, पीईटी टेस्ट अवश्य कराकर कंफर्म हो लेन फिर उपचार कराएं। सर्जरी पहले और दूसरे चरण में सफल जिसमें गाठ काटकर निकाल दी जाती है। जिनकी उम्र ७५/८० वर्ष है उनके लिए कीमो थेरेपी, रेडिएशन थेरेपी के साइड इफेक्ट्स देखते हुए टोरागेट थेरेपी और इम्यून थेरेपी से उपचार का प्रयास किया जा सकता है। हमारे देश की आधी से अधिक आबादी आवश्यक सुविधाओं से वंचित है। शिक्षा का अभाव महंगी शिक्षा के कारण, लोगों की कम आय, भौगोलिक स्थिति, भेदभाव, आयु और जीवन शैली में अंतर भी कैंसर का कारण बनती है। एक ही स्टेज में विभिन्न लोगों में अलग अलग लक्षण दिखते हैं। प्रभावित व्यस्क्ति की आनुवांशिक संरचना का अध्ययन करके संभावित कैंसर का पता लगाया जा सकता है। कुछ दवाएं व्यक्ति विशेष की खास समस्या के हिसाब से असर करती है। इम्यून थेरेपी के द्वारा कैंसर से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाया जा सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी की मदद से स्क्रीनिंग बेहतर हो सकती है। जेनेटिक इंजीनियरिंग और स्विकेंसिंग के माध्यम से सक्षम हुए हैं कि कौन सा जेनेटिक म्यूटेशन किसी विशेष कैंसर का कारण बनता है। रोबोटिक सर्जरी, रोबोटिक लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से सिर और गर्दन, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और स्त्री रोग संबधी सर्जरी को आसान बनाया गया है। सबसे अहम बात यह कि हमारा मनोबल मजबूत होने पर हम कैंसर को मात दे सकते हैं। उपचार के समय भी मनोबल हमें कैंसर से उबरने या कैंसर के साथ आनंदपूर्वक जीवन जीने में सहूलियत होती है। कैंसर के प्रति जागरूकता जरूरी है ताकि समय से हमें कैंसर की जानकारी और उपचार मिल सके।