मुंबई। महाराष्ट्र की शिंदे सरकार ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के विरुद्ध लगे हुए सभी आरोपों को वापस ले लिया और उनका निलंबन रद्द कर दिया है। इतना ही नहीं राज्य सरकार ने निलंबन रद्द करते हुए कहा है कि ये माना जाए कि निलंबन के समय वे ऑन-ड्यूटी थे। दरअसल, परमबीर सिंह पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप उस वक्त लगे थे, जब प्रदेश में महाविकास अघाड़ी की सरकार थी। उस समय अनिल देशमुख महाराष्ट्र के गृहमंत्री थे। तब पूर्व पुलिस कमिश्नर ने अनिल देशमुख पर आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्होंने बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वझे को 100 करोड़ रुपसे की वसूली का लक्ष्य दिया था। गौरतलब है कि परमबीर सिंह के आरोपों के बाद अनिल देशमुख को गृहमंत्री पद छोड़कर जेल जाना पड़ा था।
किन मामलों में दी गई राहत
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के विरुद्ध हफ्ता वसूली करने के कुल आठ मामले दर्ज किए गए थे। तब परमबीर सिंह पर एससी/ एसटी कानून के तहत भी कई मामले दर्ज किए गए थे। महाराष्ट्र की राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार के इन्हीं आरोपों को वापस लेते हुए उन्हें राहत देने का काम किया है। बताते चलें कि जिस समय परमबीर सिंह पर ये मामले दर्ज हुए थे उस वक्त उन्होंने अपने बयान भी दर्ज कराए थे। चूंकि पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, इसलिए उन्हें पुलिस सेवा में दोबारा मौका नहीं दिया जा सकता।
एंटीलिया विस्फोटक मामले के बाद बढ़ी थीं मुश्किलें
बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वझे को परमबीर सिंह का करीबी माना जाता है। बताया जाता है कि ख्वाजा यूनुस मौत मामले में उन्हें 16 वर्ष पहले निलंबित किया गया था। उन दिनों महकमे में ये भी चर्चा हुआ करती थी कि परमबीर सिंह सचिन वझे की वापसी कराना चाहते थे। बता दें कि पूर्व में हुए एंटीलिया विस्फोटक कांड और मनसुख हिरेन हत्याकांड के बाद सचिन वझे के साथ-साथ परमबीर सिंह की दुश्वारियां बढ़ने लगी थीं।