
मुंबई। मुंबई के परेल इलाके में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां साइबर अपराधियों ने एक 31 वर्षीय व्यक्ति को 10 घंटे तक डिजिटल रूप से बंधक बनाकर उससे 2.5 लाख रूपए ठग लिए। यह घटना 2 मार्च की है, जब जालसाजों ने खुद को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का अधिकारी बताकर उसे गिरफ्तारी का डर दिखाया।
कैसे फंसाया गया शिकार को?
परेल निवासी पीड़ित को सुबह करीब 9 बजे एक अज्ञात नंबर से कॉल आया। कॉलर ने खुद को भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) का अधिकारी बताया और कहा कि उसके मोबाइल नंबर का इस्तेमाल साइबर धोखाधड़ी में हुआ है। डर से सहमे पीड़ित ने जब अपनी सफाई दी, तो कॉलर ने उसे एक कथित “साइबर पुलिस अधिकारी” से जोड़ दिया। इसके बाद, उसे वीडियो कॉल पर एक वर्दीधारी व्यक्ति दिखाया गया, जिसने आधार कार्ड की जानकारी मांगी। फिर एक अन्य जालसाज ने खुद को केंद्र सरकार का अधिकारी बताया और कहा कि उसकी जांच ईडी, सीबीआई और आरबीआई कर रही हैं। पीड़ित को जाली सरकारी दस्तावेज़ और मुहरें भी दिखाई गईं, जिससे वह और घबरा गया।
गिरफ्तारी के डर से पीड़ित ने जालसाजों के निर्देशों का पालन किया और 2,51,934 रूपए एक बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए। साइबर अपराधियों ने उसे शाम 7 बजे तक वीडियो कॉल पर रखा, किसी से बात न करने की हिदायत दी, और डिजिटल रूप से बंधक बना लिया।
सच्चाई का पता कैसे चला?
शाम को जब पीड़ित ने अपने एक परिचित को पूरी बात बताई, तो उसे एहसास हुआ कि वह साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो गया है। इसके बाद उसने रफी अहमद किदवई (RAK) मार्ग पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने धोखाधड़ी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है और जालसाजों का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है। इस घटना ने साइबर सुरक्षा को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस लोगों को सचेत कर रही है कि इस तरह के कॉल आने पर सतर्क रहें और तुरंत अधिकारियों को सूचित करें।