
जिस तरह भारत के पीएम मोदी नया राष्ट्रवाद भारत में चला रहे। बीजेपी के अलावा सारे दल के लोगों को देशद्रोही बताया जाता है। भारतीय मुस्लिमों को राष्ट्रद्रोही कहकर पाकिस्तान जाने की सलाह दी जाती है। जिस प्रकार अवैध ढंग से भारत में अवैध ढंग से घुसे बांग्लादेशियों को बंगला देश भेजने की बात की जाती है। अपने ही देशवासियों खासकर पूर्वांचलय हिंदुओं और बिहारी हिंदुओं को बांग्लादेशी कहकर उनके नाम दिल्ली के वोटर लिस्ट से कटवाए जाते हैं। जिस प्रकार चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में भारत की भूमि को चीन द्वारा हड़पे जाने और सौ गांव बस लेने और लद्दाख की हजारी वर्ग किलोमीटर भूमि पर कब्जा किए जाने के कांग्रेसी आरोप को झुठलाया जाता है और कहा जाता है न कोई घुसा है न घूमेगा का शिगूफा चलाया जाता है जिसका प्रचार गोदी मीडिया जोर शोर से करती है। जिस प्रकार महाकुंभ में हुई भगदड़ में मौतों को छुपाया जाता है। शंकराचार्य को गलियां जान से मारने की धमकी देकर उनके अखाड़े में आग लगाई जाती है। जिस प्रकार धर्म की राजनीति को राष्ट्रधर्म बना दिया जाता है। जिसे राष्ट्रभक्ति का जमा पहनाकर सेक्युलर लोगों को देशद्रोही कहा जाता है। जिस प्रकार अंधभक्तों के ब्रेन ड्रेन किए जाते हैं। जिस तरह शिक्षा का बिजनेस कराया जाता है। जिस प्रकार अडानी अंबानी जैसे पूंजीपतियों को सारे सरकारी संसाधन मुफ्त में सौप दिए जाते हैं। जिस प्रकार मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए हिंदू मुस्लिम किया जाता है। हरेक मस्जिद के नीचे मंदिर ढूंढने के लिए मस्जिदोंको बुलडोजर से ध्वस्त किया जाता है। उसी तरह का राष्ट्रवाद और राष्ट्रप्रेम अमेरिका में आ चुका है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप दूसरे मोदी बन चुके हैं। जैसे बांग्लादेशी और रोहिंग्याओ को उनके देश भेजने की सिर्फ बातें की जाती हैं लेकिन एक भी रोहिंग्या या बांग्लादेशी को उनके देश में डिपोर्ट करके नहीं भेजा गया लेकिन अमेरिकी ट्रंप ने अवैध ढंग से अमेरिका में घुसे अप्रवासियों की पहचान कर उनके देश में भेज दिया जा रहा। छोटे से राष्ट्र कोलंबिया ने तो अमेरिकी द्वारा कोलंबिया नागरिकों को आर्मी प्लेन में भरकर कोलंबिया भेजने की कोशिश की लेकिन कोलंबिया के स्वाभिमान ने अमेरिकी विमानों को उतरने नहीं दिया। अपने विमान भेजकर अपने देशवासियों को सम्समान लाया लेकिन अपने मोदी तो यह भी नहीं कर सके। अमेरिका ने जिन भारतीयों को अपने सैनिक विमान से भारत भेजा हाथों में हथकड़ियां और पैरों में बेड़ियां पड़ी थी। कितनी शर्मनाक स्थिति है जो मोदी ट्रंप के लिए वोट मांगे थे जिनके कंधे पर मोदी हाथ रखकर दोस्त बताते रहे उसी अमेरिकी ट्रंप ने भारतीय-मोदी का घोर अपमान किया। यह भारत का अपमान है कि पंद्रह दिनों तक विदेशमंत्री अमेरिका में जमे रहे लेकिन अमेरिकन मोदी को मना नहीं पाए कम से कम भारतीयों को सम्समान भारत ले जाया जाए। अभी तक डिपोर्ट किए जाने वालों में आधे गुजराती हैं। अमेरिका में हर वर्ष अवैध भारत प्रवासी पकड़े जाते हैं। 2022 तक इनकी संख्या साढ़े सात लाख थी जो 2025 में दस लाख पहुंच गई होगी। अमेरिकी मोदी के भी अंधभक्त हैं जो भारतीयों से नफरत करते हैं। उनका कहना है ये भारतीय अमेरिका में डॉक्टर इंजीनियर और वैज्ञानिकों ने नासा पर कब्जा कर लिया है जो अमेरिका के लोगों के हक छीन रहे।इसीलिए गाहे बेगाहे अमेरिका में भारतीय लोगों की हत्या का सिलसिला चलता रहता है। अभी जिन भारतीयों को हथकड़ी बेड़ी लगाकर बेइज्जत करते हुए भारत में लाकर पटक दिया गया। यह तो ट्रेलर था। असली फिल्म तो दस लाख अवैध रूप से घुसे अमेरिका में लोगों की धड़पकड़ हो रही है जिनमें आधे से अधिक गुजराती हैं। शेष पंजाबी-हरियाणवी और आंध्रा के लोग हैं। उन्हें जब हथकड़ियों बेड़ियों में जकड़कर भारत भेजा जायेगा तब फिल्म पूरी होगी। जैसे भारतीय मोदी के अंधभक्त पीओके को लेने का दावा करते हैं। लेने की हिम्मत भारतीय मोदी में नहीं है। वहीं अमेरिकी मोदी कनाडा और ग्रीन लैंड पर कब्जा करने की तैयारियां शुरू कर दी है। भारतीय मोदी को अपने शपथ ग्रहण समारोह में न बुलाकर भारत के मोदी की इज्जत खत्म की दूसरी बार बेड़ियों में जकड़े भारतीयों को यहां लाकर पटक दिया। बाकी दस लाख जिस दिन अमेरिकी मोदी जहाज़ में भरकर भारत भेजेगा उस दिन तो भारत के मोदी की इज्जत बिल्कुल ही खत्म हो जाएगी। समझ में नहीं आता कि जो मोदी संसद में 56 इंच का सीना बताते है और एक अकेला सबपर भारी कहते हैं वही मोदी अमेरिका के सामने दुम हिलाते नजर आ रहे।क्यों? यही नहीं जब अमेरिकी मोदी ब्रिक्स देशों को धमकी देता है। सौ परसेंट टैरिफ लगाने की घोषणा करता है तो चीन के भय से केवल दस प्रतिशत टैरिफ लगाता है लेकिन चीन अमेरिकी आयात पर 15 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा कर देता है। वही चीन अमेरिकी अर्थव्यवस्था को चौपट करने का काम कर सकता है क्योंकि चीन पूंजीपतियों के हाथों देश की संपत्ति मुफ्त में नहीं सौंपता। उसने मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को अत्यंत विकसित कर लिया है। चीन को प्रोडक्ट हब बना लिया है। यही नहीं चीन ने तो आवाज से भी चार गुना तेज गति से चलने वाले प्लेन का निर्माण कर लिया है। तकनीकी दक्षता में अमेरिका को पीछे छोड़ चुका चीन तमाम जरूरत की चीजें बनकर विदेश के बाजारों में डंप कर रहा जबकि भारत में अभी हिंदू मुस्लिम मंदिर मस्जिद हो रहा है। भारत का विदेशी व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा। सौ परसेंट टैरिफ लगने पर कैसी दुर्दशा होगी कौन बता सकता है। पूछता है भारत कि 56 इंच का सीना कहां गया? कब तक भारत का अपमान किया जाता रहेगा? यही नहीं अमेरिका में जो भारतीय अमेरिकी नागरिकता प्राप्त कर सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उनपर भी खतरा मंडरा रहा है। संभव है अमेरिकी मोदी भक्त ट्रंप पर दबाव डालकर अमेरिकी नागरिकता प्राप्त छत्तीस लाख लोगों को भी अमेरिकी मोदी बेइज्जत कर बेड़ियों में जकड़ जहाज में भरकर बीच प्रशांत महासागर में छोड़ देगा तब क्या होगा? भारत के भविष्य की तस्वीर धुंधली ही नहीं पूरी तरह से स्याह दिख रही है। तो क्या उन निष्काशित भारतीयों को भी देश में पांच किलो मुफ्त राशन पर जीना होगा?