
वी बी माणिक
मुंबई। बृहन्मुंबई महानगर पालिका, नगरपालिका, नगर परिषद, नगर पंचायत और सरकारी गैर सरकारी स्कूलों और अन्य संस्थाओं में तृतीय पंथियों (किन्नरों) को कब भर्ती किया जाएगा। तृतीय पंथियों (किन्नरों) को उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका में न्यायमूर्तियों ने एक आदेश पारित कर कहा है कि इनको भी पुरुषों और महिलाओं की तरह तृतीय पंथियों को भी नौकरी में लिया जाना चाहिए। जिसपर महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र सरकार के निर्णय के अधीन राज्य सरकार ने अधिकार संरक्षण अधिनियम 2019 तहत कलम 9 और 10 में संसोधन किया है कि किसी भी किन्नरों को रोजगार सम्बंधित किसी प्रकार का भेदभाव नही किया जाएगा। राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण विरुद्ध यूनियन ऑफ इंडिया रिट याचिका क्र 400/2012 एवं 604/2013 में उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि किन्नरों को शिक्षा संस्थानों में पिछड़ी जाति के नागरिक के आधार पर आरक्षण दिया जाय। इसके लिए तृतीय पंथियों को लेकर एक संस्था संपदा ग्रामीण महिला संस्था (संग्राम) ने मुंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका एल क्र 2781/ 2022 दाखिल किया है। इस आधार पर एक तृतीयपंथी के प्रार्थना पत्र पर पोलिस उपनिरीक्षक पद के लिए आवेदन किया गया है। अब प्रश्न ये है कि राज्य सरकार और महाराष्ट्र की सभी सरकारी संस्थाओं ने अभी तक केवल पेपर बाज़ी के अलावा कुछ भी नही किया है। केवल एक नगरपालिका पिम्परी चिंचवड़ ने कुछ किन्नरों की भर्ती किया है। किन्नरों को सभी विभागों में उनकी योग्यता के आधार पर भर्ती करना है। माननीय न्यायालय ने 9 दिसंबर 22 को निर्देश दिया है। महाराष्ट्र राज्य शासन ने पुरूष, महिला और तृतीय पंथी ऐसे शब्दों का प्रयोग करने का निर्णय लिया है। मनपा और राज्य सरकार में सुरक्षा के लिए भर्ती करने की प्रतिक्रिया शुरू करने जा रही है पर तृतीयपंथियो के जीवन यापन के लिए सरकार का महत्वपूर्ण निर्णय होगा। ये भर्ती कब शुरू होगी? कितना प्रतिशत आरक्षण मिलेगा? इस पर सरकार विचार कर रही है। इस पर अतिशीघ्र निर्णय लेने का आदेश राज्य सरकार ने दिया है। पर इसका पालन सरकार खुद नही कर रही है। इसके लिए जबाबदार कौन है? तृतीय पंथियों को नौकरियों में आरक्षण कब देगी सरकार?