
पालघर। नालासोपारा पश्चिम के खुले रंगमंच में रविवार, ५ जनवरी २०२५ को वैष्णव चतु: संप्रदाय सेवा संस्था द्वारा आयोजित स्नेह सम्मेलन और प्रतिभावान छात्र-छात्राओं का पुरस्कार वितरण समारोह अत्यंत भव्यता के साथ संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में नालासोपारा, वसई, नायगांव, और विरार (पालघर) के वैष्णव बंधुओं ने सादगी, विश्वास और समाज सेवा का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की शुरुआत मंगलमय कलश यात्रा से हुई, जिसमें १०८ नारी शक्तियों ने अपनी सुसज्जित वेशभूषा में भाग लिया। बच्चों द्वारा प्रस्तुत मनमोहक झांकियां, भजन की गूंज और समाज बंधुओं के नृत्य ने पूरे आयोजन में विशेष उमंग भर दी। संस्था के मार्गदर्शक और वरिष्ठ समाज बंधु—भगवानदास खारड़ा, रूपदास जाखोड़ा, प्रवीण वैष्णव बीजोवा, सुरेश खींवाड़ा, मदनदास बीजोवा, भंवरदास माताजीगुड़ा, मोहनदास जोईला, केवलदासजी मेवी, प्रकाश सेलावास, हरिदास कोलीवाड़ा, छगनदास मेवी, सत्यनारायण घाणेराव, और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस समारोह में अखिल भारतीय वैष्णव (चतु: संप्रदाय) विकास परिषद, मुंबई के अध्यक्ष रामचंद्र वैष्णव और उनकी कार्यकारिणी के सदस्यों के साथ-साथ राजस्थान विकास मंच, ठाणे और वैष्णोदेवी माता मंडल मुंबई-राजस्थान के प्रमुख सदस्य उपस्थित रहे। विशेष अतिथि के रूप में नालासोपारा-विरार के विधायक राजन नायक, भाजपा वसई तालुका अध्यक्ष महेंद्र पाटिल, उपाध्यक्ष मनोज बारोट, भाजपा जिला सचिव अमित दुबे, और बहुजन विकास अघाड़ी के कई पदाधिकारी कार्यक्रम में शामिल हुए। गुरुदेव महंत श्री १००८ लक्ष्मणदासजी महाराज ने अपने प्रवचन में वैष्णव संस्कारों और परंपराओं का महत्व बताया। उन्होंने शिखा, जनेऊ और छोटी रखने जैसे वैष्णव प्रतीकों को अपनाने पर जोर दिया। रामचंद्र वैष्णव ने अपने संबोधन में सामाजिक एकता और सेवा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वैष्णव समाज को राजनीति में अपनी भागीदारी बढ़ानी चाहिए ताकि समाज की आवाज सुनी जा सके। समाज के डिजिटल माध्यमों से जुड़ने और सामाजिक संख्या, द्वारे, व गोत्र का महत्व समझाने की दिशा में संस्था की डिजिटल सोच ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। कार्यक्रम का समापन सुमधुर भोजन और समाज के प्रति प्रेम और एकता के संदेश के साथ हुआ। समारोह को सफल बनाने में संस्था अध्यक्ष दिनेश देसूरी, उपाध्यक्ष जगदीश गुडाकेरींग, कोषाध्यक्ष प्रदीप जोईला, संगठन मंत्री ओमप्रकाश डुठारिया, और ५२ सदस्यीय कमेटी ने अथक प्रयास किया। इस आयोजन ने वैष्णव समाज को सामाजिक एकता और समरसता के महत्व को पुनः जागरूक कराया और समाज को एक नई ऊर्जा प्रदान की।