
मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा है कि लोकतंत्र की कार्यप्रणाली चिंताजनक दिशा में जा रही है। एनडीए को जीत की बधाई देते हुए भी उन्होंने यह टिप्पणी की कि यह समझ से परे है कि जिन नेताओं की सभाओं में खाली सीटें दिखाई देती हैं, सत्ता उन्हीं को मिलती है, जबकि भारी भीड़ जुटाने वाले नेता सत्ता से बाहर रह जाते हैं। उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बयान जो जीता वही सिकंदर का उल्लेख करते हुए तंज कसा कि सिकंदर बनने का रहस्य अब तक कोई नहीं समझ पाया है। चुनाव प्रचार के दौरान आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की रैलियों में उमड़ी भारी भीड़ पर भी ठाकरे ने सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि यह समझना मुश्किल है कि यह वास्तविक जनसमर्थन था या “कहीं एआई के जरिए बनाई गई भीड़ तो नहीं। चुनाव आयोग की भूमिका पर भी ठाकरे तीखे सवाल उठाते दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि बिहार के लोग देशभर में इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि जो कुछ महाराष्ट्र में हुआ, वही अब बिहार में क्यों दोहराया जा रहा है। ठाकरे ने कहा कि चुनाव आयोग पर उठ रहे संदेहों को दूर करने के लिए उसे पारदर्शिता और स्पष्ट जवाब देना आवश्यक है। उन्होंने पूछा कि चुनाव नतीजों को स्पष्ट करने में इतना समय क्यों लगा, और इस देरी का साफ कारण आयोग को बताना चाहिए।
एनडीए की चुनावी रणनीति पर हमला बोलते हुए ठाकरे ने कहा कि वे मुख्यमंत्री का चेहरा तक स्पष्ट नहीं कर पाए, फिर भी जीत हासिल कर ली- यह लोकतंत्र की सामान्य समझ से परे है। हालांकि ठाकरे ने माना कि ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ एक कारक हो सकता है, लेकिन उन्होंने इस पर भी संदेह जताया कि रोज़ाना कठिनाइयों का सामना करने वाला मतदाता अचानक इतना बड़ा बदलाव कैसे कर लेता है।




