मीरा-भाईंदर। टोरेस ज्वैलरी निवेश घोटाले में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। मीरा-भाईंदर-वसई-विरार (एमबीवीवी) पुलिस ने ज्वैलरी फर्म के प्रबंधन द्वारा दो बैंक खातों में जमा किए गए 9.51 करोड़ रुपये को फ्रीज करने में सफलता प्राप्त की है। इन खातों में 1.77 करोड़ रुपये और 7.74 करोड़ रुपये का बैलेंस था। अब तक, 76 निवेशक जिनमें से अधिकांश ने घोटाले में 1.7 करोड़ रुपये गंवाए हैं, भयंदर के नवघर पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज करवा चुके हैं। पुलिस ने अन्य निवेशकों से भी अपील की है कि वे सामने आएं और अपनी शिकायतें दर्ज कराएं। डीसीपी (जोन I) प्रकाश गायकवाड़ ने कहा, घोटाले में और लोग फंस सकते हैं, इसलिए हम निवेशकों से अपील करते हैं कि वे अपनी शिकायतें दर्ज कराएं। नवघर पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर के अनुसार, इस मामले में सर्वेश अशोक सुर्वे, विक्टोरिया कोवलेंको, ओलेना स्टोइन (दोनों यूक्रेनी नागरिक), और इमरान जावेद के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं और महाराष्ट्र जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा अधिनियम, 1999 के तहत मामला दर्ज किया गया है। हालांकि, फर्म के पूर्व सीईओ तौसीफ रेयाज का कहना है कि वह और सुर्वे व्हिसलब्लोअर थे, जिन्होंने संबंधित एजेंसियों को इस घोटाले के बारे में सूचना दी थी और प्रधानमंत्री को एक पत्र भी भेजा था। इस घोटाले के 1,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। टोरेस ज्वैलरी फर्म का मुख्यालय दादर में था और इसके भव्य शोरूम ग्रांट रोड, नवी मुंबई, कल्याण और मीरा रोड जैसे प्रमुख क्षेत्रों में स्थित थे। मीरा रोड में शोरूम अचानक बंद हो जाने के बाद निवेशकों में हड़कंप मच गया। 5 जनवरी तक सक्रिय शोरूम, 6 जनवरी को बंद पाया गया, जिससे निवेशकों को धोखाधड़ी का एहसास हुआ। इस घोटाले की कार्यप्रणाली में निवेशकों को एक फर्जी योजना के तहत लुभाया गया, जिसमें मोइसैनाइट पत्थरों और रत्नों की खरीद के लिए अगले एक वर्ष (52 सप्ताह) तक 11 प्रतिशत साप्ताहिक कैशबैक का वादा किया गया था। एक लाख रुपये का निवेश करने वाले को 52 सप्ताह में 5.72 लाख रुपये का मुनाफा मिलने का आश्वासन दिया गया था, जो 400 प्रतिशत का भारी लाभ था। फर्म के प्रबंधन ने इस धोखाधड़ी को चलाकर निवेशकों से बड़ी रकम जमा की, लेकिन अब पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और फ्रीज किए गए 9.51 करोड़ रुपये को बरामद कर लिया है।