Monday, March 17, 2025
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समुद्र स्तर वृद्धि का खतरा: 2040 तक मुंबई समेत तटीय शहरों पर संकट

मुंबई। एक नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के जल स्तर में हो रही वृद्धि से 2040 तक मुंबई में 10 प्रतिशत से अधिक भूमि, और पणजी तथा चेन्नई में 10 प्रतिशत तक भूमि के जलमग्न होने का खतरा है। बेंगलुरू स्थित थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी’ (सीएसटीईपी) द्वारा किए गए इस अध्ययन का शीर्षक ‘समुद्र के जल स्तर में वृद्धि परिदृश्य और चुनिंदा भारतीय तटीय शहरों के लिए जलमग्नता मानचित्र’ है।
मुंबई पर सबसे अधिक असर
अध्ययन में पाया गया है कि 1987 से 2021 तक मुंबई में समुद्र के स्तर में सबसे अधिक वृद्धि हुई, जो 4.440 सेमी है। इसके बाद हल्दिया में 2.726 सेमी, विशाखापत्तनम में 2.381 सेमी, कोच्चि में 2.213 सेमी, पारादीप में 0.717 सेमी और चेन्नई में 0.679 सेमी की वृद्धि देखी गई। अध्ययन के अनुसार, सदी के अंत तक सभी 15 शहरों और कस्बों में समुद्र के जल स्तर में वृद्धि जारी रहेगी और मुंबई में सबसे अधिक वृद्धि का अनुमान है। मुंबई, यानम और तुत्तुकुडी में 10 प्रतिशत से अधिक भूमि जलमग्न हो सकती है। पणजी और चेन्नई में 5-10 प्रतिशत भूमि और कोच्चि, मेंगलुरू, विशाखापत्तनम, हल्दिया, उडुपी, पारादीप तथा पुरी में 1-5 प्रतिशत भूमि जलमग्न हो सकती है। समुद्र स्तर में वृद्धि से प्रभावित होने वाले प्रमुख क्षेत्रों में जल, कृषि, वन, जैव विविधता और स्वास्थ्य शामिल हैं। समुद्र तट, बैकवाटर और मैंग्रोव वन विशेष रूप से जोखिम में हैं, जो जैव विविधता और पर्यटन को प्रभावित कर सकते हैं। हल्दिया, उडुपी, पणजी और यानम में महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्र, आर्द्रभूमि और जल निकाय हैं जो बढ़ते समुद्र के स्तर के कारण जलमग्न हो सकते हैं।

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