Saturday, July 27, 2024
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औरंगाबाद का नाम बदलने का मुद्दा, अब असदुद्दीन ओवैसी के सांसद ने कर दी ऐसी मांग

Maharashtra : औरंगाबाद (Aurangabad) का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी नगर (Chhatrapati Sambhajinagar) किए जाने को लेकर विरोध के स्वर लगातार बुलंद होते जा रहे हैं. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता इम्तियाज जलील (Imtiyaz Jaleel) ने महाराष्ट्र सरकार के औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर करने के कदम पर जनमत संग्रह कराने की मांग की है. जलील ने कहा कि नाम बदलने का निर्णय केवल जनता ले सकती है न कि दिल्ली या मुंबई में बैठा कोई नेता.

पिछले महीने केंद्र ने दी नाम बदलने की मंजूरी
केंद्र सरकार ने पिछले महीने औरंगाबाद शहर का नाम बदलकर ‘छत्रपति संभाजीनगर’ और उस्मानाबाद शहर का नाम बदलकर ‘धाराशिव’ करने की मंजूरी दी थी. बता दें कि औरंगाबाद का नाम मुगल बादशाह औरंगजेब के नाम पर रखा गया था, जबकि उस्मानाबाद का नाम हैदराबाद रियासत के 20वीं सदी के शासक के नाम पर रखा गया था.

‘दिल्ली-मुंबई में बैठा कोई नेता नाम नहीं बदल सकता’

औरंगाबाद से AIMIM के लोकसभा सांसद इम्तियाज जलील ने शहर का नाम बदलने के खिलाफ गुरुवार रात जिला कलेक्टर ऑफिस से जुबली पार्क तक कैंडल मार्च निकाला. जलील ने मार्च में शामिल हुए समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि 2014-19 के दौरान बीजेपी और शिवसेना सत्ता में थे, उस समय उन्होंने शहर का नाम नहीं बदला, लेकिन जब उनकी सरकार जाने वाली थी, उस समय उद्धव ठाकरे को याद आया कि उन्हें अपने दिवंगत पिता (बाला साहेब ठाकरे) का सपना पूरा करना है. पिछली शिवसेना-एनसीपी सरकार ने औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव करने का फैसला लिया था, लेकिन शिंदे सरकार ने पिछली सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था और फिर औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजीनगर करने का फैसला किया था.

‘नाम बदलने को लेकर हो जनमत संग्रह’

जलील ने कहा कि औरंगाबाद शह का नाम बदलने का फैसला सीएम शिंदे और डिप्टी सीएम ने लिया, उन्होंने कहा कि दिल्ली, मुंबई में बैठा कोई नेता चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो देश के किसी भी शहर का नाम बदलने का फैसला नहीं ले सकता, फैसला सार्वजनिक मतदान के जरिए होना चाहिए, महाराष्ट्र AIMIM चीफ ने कहा कि इस पर जनमत संग्रह कराया जाना चाहिए.

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