मुंबई। बिहार की ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और पारंपरिक हस्तशिल्प कला को पुनर्जीवित करने के लिए वीना उपाध्याय को प्रतिष्ठित जानकीदेवी बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार आईएमसी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के महिला विभाग द्वारा आयोजित 31वें वार्षिक पुरस्कार समारोह में प्रदान किया गया। वीना उपाध्याय, जो श्रीजनी फाउंडेशन की संस्थापक हैं, ने बिहार में पारंपरिक बावनबूटी साड़ियों की बुनाई की विलुप्त हो रही कला को पुनर्जीवित किया है। इसके साथ ही उन्होंने महिला कारीगरों को प्रोत्साहित कर और उन्हें प्रशिक्षित कर आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है। राज्यपाल सी.पी.राधाकृष्णन ने मुंबई के आईएमसी ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में उन्हें यह सम्मान प्रदान किया।
समारोह में उपस्थित गणमान्य लोग
कार्यक्रम में आईएमसी महिला विभाग की अध्यक्ष ज्योति दोशी, उपाध्यक्ष राज्य लक्ष्मी राव, जानकीदेवी बजाज पुरस्कार समिति की अध्यक्ष नयनतारा जैन, उद्योगपति शेखर बजाज और नीरज बजाज सहित बजाज परिवार के अन्य सदस्य व आमंत्रित अतिथि उपस्थित थे।
जानकीदेवी बजाज पुरस्कार का महत्व
इस पुरस्कार का उद्देश्य ग्रामीण विकास और महिलाओं के उत्थान के लिए उत्कृष्ट योगदान देने वालों को सम्मानित करना है। जानकीदेवी बजाज, जो एक समाजसेवी और स्वतंत्रता सेनानी थीं, उनके नाम पर यह पुरस्कार दिया जाता है।वीना उपाध्याय का कार्य न केवल पारंपरिक कला को पुनर्जीवित करने का उदाहरण है, बल्कि यह महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की प्रेरणा भी है। उनके प्रयासों से न केवल बावनबूटी साड़ियों की कला को नई पहचान मिली है, बल्कि इसने ग्रामीण महिलाओं के जीवन को भी सकारात्मक रूप से बदल दिया है।