Thursday, November 21, 2024
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ओबीसी नेताओं की मंत्रियों के दल से मुलाकात के बाद भी अनशन जारी, सरकार से लिखित आश्वासन की मांग

मुंबई। महाराष्ट्र के तीन मंत्रियों और विधान परिषद के एक सदस्य ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कार्यकर्ता लक्ष्मण हाके और नवनाथ वाघमारे से शुक्रवार को मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने ओबीसी नेताओं से अनशन समाप्त करने का आग्रह किया। बता दें कि ओबीसी कार्यकर्ताओं के अनशन का आज नौवां दिन है। मंत्री अतुल सावे, उदय सामंत और गिरीश महाजन तथा विधान परिषद के सदस्य गोपीचंद पडलकर ने जालना जिले के वाडीगोद्री गांव में धरना स्थल पर कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। इस दौरान शिवसेना के नवनिर्वाचित सांसद संदीपन भूमरे भी मौजूद थे।
अनशन समाप्त करने से किया इनकार
सांसद संदीपन महाजन ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से अपील की कि वे आंदोलन कर रहे कार्यकर्ताओं से बातचीत करें। बाद में पडलकर ने कहा कि ओबीसी समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल और सरकार के बीच मुंबई में एक बैठक आयोजित की गई है। वहीं 13 जून से अनशन कर रहे हाके और वाघमारे ने अपना अनशन समाप्त करने से इनकार कर दिया। साथ ही सरकार से लिखित आश्वासन मांगा कि ओबीसी आरक्षण में कोई बदलाव नहीं होगा।
रोडवेज बस पर किया पथराव
इस बीच जालना जिले के वाडीगोद्री गांव में शुक्रवार को अज्ञात लोगों ने महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम की एक बस पर पथराव कर दिया। इस गांव में 13 जून से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कार्यकर्ता भूख हड़ताल पर बैठे हैं। एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना तब घटी जब महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम की बस छत्रपति संभाजीनगर से बीड जा रही थी। उन्होंने बताया कि पथराव में कोई हताहत नहीं हुआ। अधिकारी ने बताया, ‘‘वाहन की कुछ खिड़कियां क्षतिग्रस्त हो गईं। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया। शाहगढ़ स्टैंड पर रुकी करीब 10-12 बसों को बाद में पुलिस सुरक्षा में आगे भेजा गया।
जरांगे ने सरकार पर लगाए तनाव उत्पन्न करने के आरोप
वहीं दूसरी तरफ मराठा आरक्षण की मांग कर रहे मनोज जरांगे ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार पर मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच तनाव उत्पन्न करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वह ऐसा नहीं होने देंगे। जरांगे ने कहा कि सरकार में 8-9 लोग हैं, जो मराठा समुदाय से “नफरत” करते हैं और उनके नाम “सही” समय पर सार्वजनिक होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच दरार पैदा करने के लिए नए नेताओं को आगे ला रही है और अन्य को किनारे कर रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ओबीसी कोटा कम न करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों की कोई गलती नहीं है।

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