
श्रीयश आयुर्वेदिक कॉलेज एवं हॉस्पिटल रिसर्च सेंटर की नई इमारत का उद्घाटन

छत्रपती संभाजीनगर। आयुर्वेद, जो प्रकृति के अनुरूप उपचार पद्धति है, का महत्व अब विश्वभर में मान्यता प्राप्त हो चुका है। आयुष मंत्रालय ने इस पद्धति को शिक्षा, उपचार और अनुसंधान के विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ावा दिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आज कहा कि आगामी युग आयुर्वेद का सुवर्ण युग होगा। मुख्यमंत्री ने सातार तांडा क्षेत्र में स्थित श्रीयश आयुर्वेदिक कॉलेज एवं हॉस्पिटल रिसर्च सेंटर की नई इमारत का उद्घाटन किया। इस अवसर पर राज्य के पिछड़ा वर्ग एवं बहुजन कल्याण मंत्री अतुल सावे, राज्यसभा सांसद डॉ. भागवत कराड, श्रीयश प्रतिष्ठान के बसवराज मंगरुळे, सचिव संगिता मंगरुळे, अस्पताल अधीक्षक डॉ. परेश देशमुख, अधिष्ठाता स्वाती इटगे और अन्य गण्यमान्य उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय जीवन पद्धति के अनुरूप और प्रकृति से मेल खाती यह उपचार पद्धति वेदों में आयुर्वेद के नाम से वर्णित है। आयुर्वेद में उपचार केवल रोग के लक्षणों पर नहीं बल्कि उसके मूल कारण पर किया जाता है, जिससे यह स्थायी और दीर्घकालीन उपचार पद्धति बनती है। आयुर्वेद का वैश्विक स्तर पर उपयोग बढ़ रहा है और भारत में आयुर्वेद उपचार के लिए अनेक लोग आ रहे हैं। आयुर्वेद ने विज्ञाननिष्ठ उपचार पद्धति प्रदान की और शल्यचिकित्सा में भी योगदान दिया है। कोविड काल में रोग प्रतिकारक क्षमता बढ़ाने वाले पूरक औषधियों में आयुर्वेदिक औषधियों का प्रमुख समावेश था। केंद्र सरकार द्वारा इस पद्धति को बढ़ावा दिया जा रहा है और प्रशिक्षित वैद्य तैयार करने के लिए आयुर्वेद महाविद्यालयों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि आगामी दशक में भारत विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शुमार होगा और 2047 तक हमारी अर्थव्यवस्था महासत्ता के रूप में स्थापित हो जाएगी। मराठवाड़ा क्षेत्र में भी उद्योग क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा रहा है और छत्रपती संभाजीनगर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की राजधानी के रूप में अपनी पहचान बना रहा है।




