Tuesday, December 3, 2024
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रेवड़ी भारत रत्न की?

वरिष्ठ लेखक- जितेंद्र पांडेय
सामान्य नियम है कि वर्ष में मात्र तीन व्यक्तियों को ही भारतरत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जाता रहा है। यह एक तरह से नियम है देश में लेकिन एक साथ पांच लोगों को भारतरत्न देने का मकसद राजनीतिक फायदा उठाना ही हो सकता है। वर्ष 2024 में दिए जाने वाले थोक में भारतरत्न सुप्रसिद्ध गायक संगीतकार भूपेंद्र हजारिका, को मरणोपरांत दिया गया था और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और जननायक कर्पूरी ठाकुर (मरणोपरांत), पाकिस्तान निर्माण और भारत के बंटवारे के खलनायक मोहम्मद अली जिन्ना को सेक्युलर और महान नेता बताकर बीजेपी और आरएसएस के कोप भाजन बने लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह (मरणोपरांत), कांग्रेसी पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिंहा राव और सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक स्वामीनाथन को सम्मानित कर बीजेपी ने हिंदी बेल्ट में अपनी खस्ता हालत खासकर पश्चिमी यूपी के बहुसंख्य जाट समाज और बिहार में नीतीश कुमार उर्फ पलटू चाचा को अपने पाले में लाने के कारण बिहार की जनता का विरोध कुंद कर ओबीसी वोट पाने की तिकड़म और दक्षिण भारत के लोगों को लुभाकर अपना पैर जमाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है लेकिन इसमें कितनी सफलता मिलेगी या असफलता यह बाद में ज्ञात होगा। दरअसल बीजेपी को 378 और यूपीए को 400 सीटें मिलने के खोखले दावे सिर्फ बीजेपी कार्यकर्ताओं को कोमा में जाने से रोकना ही है। प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब देते हुए एक घंटे से ऊपर सदन में बोलने में 70 मिनट से अधिक समय कांग्रेस को कोसने में जाया करना मोदी की हार की हताशा की ही परिचायक है। तानाशाह जब अंदर से भयभीत होता है तो देश की समस्याओं पर बोलने की जगह कांग्रेस को कोसने में गंवाता है। देश में दलित और आदिवासी लगभग 40 प्रतिशत हैं। मध्यप्रदेश आदिवासी क्षेत्र में भले बीजेपी जीतती रही हो लेकिन झाड़खंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ऊपर जमीन मामले में गिरफ्तारी बीजेपी और मोदी के गले में फांस बन चुकी है। ईडी में पहले पांच दिन रिमांड ली लेकिन कोई सबूत नहीं मिलने पर फिर से पांच दिन की रिमांड ले ली।जिस तरह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जेल भेजने के मोदी प्रयास में नोटिस पर नोटिस ई डी द्वारा भेजी जा रही। रोज रोज नए फर्जी मामले बनाकर लेकिन केजरीवाल को फंसा नहीं पाई है। उसी तरह फर्जी जमीन मामले में दिन भर झाड़खण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से शनिवार के दिन देर शाम तक जानबूझकर सवाल जवाब करती रही थी ईडी ताकि रविवार कोर्ट बंद रहने से उन्हें गिरफ्तार किया जा सके। हेमंता सोरेन को उठाकर जेल में बंद कर दिया। यह उनके द्वारा बीजेपी में शामिल होने के ऑफर ठुकराने के कारण हुआ। ईडी और मोदी-शाह जानते हैं कि हेमता के खिलाफ एक भी प्रमाण नहीं हैं। इसी बीच जेल में रहते ही अपने दल के ही व्यक्ति को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट में सफल बना दिया यह सोरेन के प्रति दल के सदस्यों की एकता और विश्वास का प्रमाण है। जेल में पति से मिलने पहुंची श्रीमती सोरेन ने प्रधानमंत्री को खत लिखा है कि एक सिटिंग मुख्यमंत्री को काल कोठरी में रखा गया है। जिस जमीन का मालिकाना हक हेमंता सोरेन का बताया जा रहा। उसके आबंटन और खरीद की रजिस्ट्री का प्रमाण दे ईडी। गलती तो हो गई मोदी जी। अब सोरेन की पत्नी के खत का जवाब क्या देंगे झाड़खंड की बेटी को? बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा तो उसी दिन खोखला साबित हो गया था जब बीजेपी सांसद के खिलाफ बलात्कार और देह शोषण का आरोप लगाकर जंतर मंतर पर धरने पर बैठी महिला पहलवानों को दिल्ली पुलिस द्वारा सड़कों पर घसीटा गया और बस में जबरन बैठाकर दिल्ली से दूर फेंक दिया गया था। वास्तव में बीजेपी के मन में बेटियों के प्रति तनिक भी चिंता नहीं है। चिंता सिर्फ और सिर्फ बलात्कारी ब्रिज भूषण शरण सिंह और सेंगर कैसे नरपिशाचों को बचाने में है। यही वजह है कि विपक्ष के सारे भ्रष्टाचारी बीजेपी के साथ आज सत्ता में हैं। लोकसभा चुनाव में अपनी सुनिश्चित पराजय से बौखलाए मोदी शाह को समझ नहीं आ रहा कि क्या करें। कभी पूरब, उत्तर और दक्षिण को साधने के लिए भारत रत्न पुरस्कार रेवड़ियों की तरह बांट रहे तो कभी विपक्षी नेताओं, मुख्यमंत्रियों को अपने पाले में लाने का दबाव डलवा रहे लेकिन हर दांव उलटा ही पड़ रहा जो बीजेपी के लिए शुभ संकेत नहीं है। डर है कहीं सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम बैन कर बैलेट पेपर से चुनाव कराने का आदेश दिया तो? शायद बैलेट पेपर से चुनाव होने पर सरकारी अधिकारियों पर दबाव बनाकर चुनाव जीतने का हथकंडा अपनाया जा रहा जैसा कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव में कैमरे के सामने डरा हुआ प्रेसायडिंग ऑफिसर से बेईमानी द्वारा बीजेपी को जिताने का खेल किया गया। यह बानगी भर है जिसके विरुद्ध आप और कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट गई और कोर्ट ने उस जघन्य कार्य को लोकतंत्र की हत्या बता दिया। सोरेन की गिरफ्तारी के बाद झाड़खंड के पड़ोसी जिलों खासकर बिहार उड़ीसा के आदिवासियों का कोप बीजेपी पर टूट न पड़े। यदि ऐसा हुआ तो बीजेपी की सिटिंग सत्तर सीटें हाथ से निकल जाएंगी। राहुल गांधी की न्याय यात्रा में जिस तरह झाड़खंड के पूरे क्षेत्र में लाखों आदिवासियों की भीड़ जुड़ी जिसने मोदी शाह की नींदें उड़ा दी। बता रहा है कि आदिवासी समाज एक तरफ मोदी के मित्र अडानी को दिए जाने से हसदेव जंगल बचाने के लिए आदिवासी आंदोलित हैं जिनपर लाठियां चलाईं जा रहीं अब सोरेन की गिरफ्तारी से आक्रोश दोगुना बढ़ गया है जो बीजेपी के लिए ठीक नहीं है। इसी बीच इंडिया गठबंधन को बीजेपी द्वारा बैलेट पेपर के वोटो में गड़बड़ करने वाले अधिकारियों पर नजर डंटानी पड़ेगी।

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