
मुंबई। महाराष्ट्र में विपक्षी दलों ने मुंबई पुलिस द्वारा ‘संविदा के आधार’ पर कर्मियों को रखने की योजना पर चिंता व्यक्त करते हुए मंगलवार को कहा कि यह ‘जोखिम भरा’ कदम बल के साथ-साथ लोगों के लिए हानिकारक होगा। विधान परिषद में इस मुद्दे को उठाते हुए विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा कि पुलिस का नियंत्रण राज्य सरकार के अधीन होना चाहिए। उन्होंने कहा, यह खतरनाक और जोखिम भरा है। अंबादास दानवे ने दावा किया कि मुंबई पुलिस बल में संविदा पुलिसकर्मियों को शामिल करने से ‘वैग्नर ग्रुप’ जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। दानवे रूस की निजी सेना ‘वैग्नर ग्रुप’ के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ पिछले महीने किए गए विद्रोह का हवाला दे रहे थे। उन्होंने कहा मैं पुलिस में संविदा के आधार पर भर्ती का विरोध करता हूं। इससे कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होगी। अगर ‘पुलिस’ सरकारी आदेशों का पालन न करे तो क्या होगा? एक सुरक्षा गार्ड को संविदा पर रखा जा सकता है, लेकिन एक पुलिसकर्मी को संविदा पर नहीं रखा जा सकता है। मुंबई पुलिस में कांस्टेबल की कमी को दूर करने के लिए, राज्य सरकार ने महाराष्ट्र राज्य सुरक्षा निगम (एमएसएससी) से 3,000 कर्मियों को ‘आउटसोर्स’ करने की मंजूरी दे दी है। एमएसएससी राज्य पुलिस का सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य के गृह विभाग ने सोमवार को इस आशय का एक आदेश जारी किया।