मराठी साइनबोर्ड को लेकर मनसे कार्यकर्ताओं पर मामला दर्ज
मुंबई। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने शनिवार को राज्य में टोल संग्रह और दुकानों के बाहर मराठी साइनबोर्ड के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री के आधिकारिक बंगले ‘वर्षा’ में यह बैठक हुई। उच्चतम न्यायालय ने पूर्व में दुकानदारों को अपने प्रतिष्ठानों के बाहर मराठी साइनबोर्ड लगाने के लिए दो महीने की समय सीमा दी थी, जो 25 नवंबर को समाप्त हो गई। शीर्ष अदालत ने इस आदेश का उल्लंघन करने वालों पर प्रति दिन 2,000 रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश दिया था। मनसे ने पहले भी राज्य में टोल संग्रह का मुद्दा उठाया था। ठाकरे ने इस सप्ताह की शुरुआत में दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों पर मराठी साइनबोर्ड लगाने पर उच्चतम न्यायालय के निर्देश को लागू करने में ‘विफल’ रहने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की थी और दावा किया था कि सत्तारूढ़ गठबंधन मराठी तथा हिंदुत्व के मुद्दों पर सिर्फ ‘जबानी जमा खर्च (कुछ करना नहीं, सिर्फ बोलना)’ करता है।
मनसे कार्यकर्ताओं पर मामला दर्ज
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की शहरी इकाई के अध्यक्ष और पार्टी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। मनसे ने शुक्रवार को पुणे शहर के तिलक रोड और जे एम रोड सहित विभिन्न हिस्सों में कई दुकानों पर मराठी में साइनबोर्ड नहीं होने को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन का वीडियो सोशल मीडिया पर भी दिखा। आरोप है कि राज ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पथराव किया और बहुराष्ट्रीय ब्रांड का सामान बेचने वाली दुकानों सहित कई दुकानों के अंग्रेजी साइनबोर्ड तोड़ दिए। अधिकारी ने बताया कि पार्टी की शहरी इकाई के अध्यक्ष साईनाथ सहित नौ लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 143 (गैरकानूनी सभा) और मुंबई पुलिस अधिनियम के अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। मनसे ने दावा किया कि ये दुकानें मराठी भाषा में साइनबोर्ड लगाने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशानिर्देशों को लागू करने में विफल रहीं। हाल ही में मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने अपने पुणे दौरे के दौरान इस मुद्दे को उठाया था।राज्य सरकार द्वारा बनाए गए कानून के अनुसार, नियमों का पालन न करने पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा और कानून का लगातार पालन न करने की स्थिति में प्रति दिन 2,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।