
पीएम किसान योजना के अंतर्गत 21वीं किस्त हुई जारी
कोयंबटूर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु के कोयंबटूर में 19 नवंबर को साउथ इंडिया नेचुरल फार्मिंग समिट 2025 का उद्घाटन किया। उन्होंने कोयंबटूर को संस्कृति, दया और रचनात्मकता की धरती बताते हुए इसे दक्षिण भारत की उद्यमिता का शक्ति केन्द्र भी कहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि शहर का वस्त्र क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है और कोयंबटूर का महत्व और बढ़ा है क्योंकि इसके पूर्व सांसद सी.पी. राधाकृष्णन अब भारत के उपराष्ट्रपति हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने प्राकृतिक खेती पर विशेष जोर देते हुए इसे भारतीय कृषि का भविष्य बताया और कहा कि भारत प्राकृतिक खेती का वैश्विक हब बनने की राह पर है। उन्होंने कहा कि देश की जैव-विविधता बदल रही है और युवा अब खेती को आधुनिक, बड़े पैमाने पर बढ़ने वाले अवसर के रूप में देख रहे हैं। पीएम मोदी ने बताया कि पिछले ग्यारह सालों में भारत का कृषि निर्यात लगभग दोगुना हो गया है और सरकार ने कृषि को आधुनिक बनाने के लिए किसानों की हर संभव मदद की है। उन्होंने कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) स्कीम के माध्यम से इस साल किसानों को 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की सहायता दी गई, जबकि पशुधन और मछली पालन सेक्टर के लिए भी केसीसी का फायदा मिला है। जैविक खाद पर जीएसटी में कमी से किसानों को और अधिक लाभ हुआ है। प्रधानमंत्री ने 21वीं किस्त के तहत प्रधानमंत्री-किसान सम्मान निधि से 18,000 करोड़ रुपये किसानों के खातों में सीधे ट्रांसफर किए जाने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब तक छोटे किसानों के बैंक खातों में सीधे 4 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जा चुके हैं, जिससे वे अपनी खेती-बाड़ी की अलग-अलग जरूरतें पूरी कर पा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने बढ़ती मांग और रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के अधिक उपयोग से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति घटने की चिंता व्यक्त की और इसका समाधान फसल विविधता और प्राकृतिक खेती में बताया। उन्होंने मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने, फसलों की न्यूट्रिशनल वैल्यू सुधारने और जलवायु परिवर्तन तथा मौसम के उतार-चढ़ाव का सामना करने में प्राकृतिक खेती के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने पंचगव्य, जीवामृत, बीजामृत और मल्चिंग जैसे पारंपरिक तरीकों को अपनाने वाले दक्षिण भारतीय किसानों की सराहना की। प्रधानमंत्री ने श्री अन्न यानी बाजरा की खेती को प्राकृतिक खेती के साथ जोड़ने और पारंपरिक फसलों को संरक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि तमिलनाडु में भगवान मुरुगन को थेनम थिनाई मावुम चढ़ाया जाता है, जो शहद और श्री अन्न से बनता है। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के कई इलाके फसल विविधता और सीढीनुमा खेती के मॉडल के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं, जिसमें छोटे खेतों में नारियल, सुपारी, फल और मसाले एक साथ उगाए जाते हैं। उन्होंने समन्वित खेती के इस मॉडल को पूरे भारत में बढ़ावा देने और राज्य सरकारों से इसे अपनाने के तरीकों पर विचार करने की अपील की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दक्षिण भारत खेती की जीती-जागती यूनिवर्सिटी रहा है। उन्होंने बताया कि यह इलाका दुनिया के कुछ सबसे पुराने चालू डैम का घर है और 13वीं सदी में बनी कलिंगारायण नहर जैसी प्रणाली आज भी जल प्रबंधन में मॉडल के रूप में देखी जाती है। उन्होंने भरोसा जताया कि देश और दुनिया में प्राकृतिक खेती का नेतृत्व इसी इलाके से निकलेगा।
समिट, जो 19 से 21 नवंबर 2025 तक चलेगा, तमिलनाडु नेचुरल फार्मिंग स्टेकहोल्डर्स फोरम द्वारा आयोजित किया गया है। इसका उद्देश्य सतत, पर्यावरण-अनुकूल और रसायन-मुक्त खेती के तरीकों को बढ़ावा देना और भारत के कृषि भविष्य के लिए प्राकृतिक और उर्वरा शक्ति की पुनर्प्राप्ति वाली खेती की दिशा में तेजी से बदलाव लाना है। समिट में किसान-उत्पादक संगठन, ग्रामीण उद्यम और बाजार संपर्क, जैविक खाद का उपयोग, कृषि उत्पाद प्रसंस्करण, जलवायु-अनुकूल पैकेजिंग और देसी प्रौद्योगिकी में नवाचार पर भी फोकस किया जाएगा। इस कार्यक्रम में तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल, तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के 50,000 से अधिक किसान, प्राकृतिक खेती करने वाले, वैज्ञानिक, जैविक खाद के आपूर्तिकर्ता, विक्रेता और हितधारक हिस्सा लेंगे।
प्रधानमंत्री ने उपस्थित किसानों और वैज्ञानिकों को प्राकृतिक और रसायन-मुक्त खेती अपनाने, पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित करने और इसे देशभर में फैलाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने समिट को भारत में सतत और टिकाऊ कृषि मॉडल को बढ़ावा देने के लिए अहम पहल बताया।




