नागपुर। बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने समृद्धि महामार्ग (एक्सप्रेस वे) पर सुरक्षा उपाय किए जाने तक यातायात रोकने के लिए दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार और एमएसआरडीसी को नोटिस जारी किया। अनिल वाडपल्लीवार नामक व्यक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका में दावा किया गया कि अपर्याप्त सुरक्षा उपायों की वजह से गत दिसंबर से अबतक इस मार्ग पर कई जानलेवा हादसे हुए हैं। न्यायमूर्ति अतुल चंदुरकर और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी की पीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरडीसी) को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब किया। याचिकाकर्ता के वकील श्रीरंग भंडारकर और भूपेश बघेल ने बताया कि निर्दोष लोगों की जान जाने और आधे अधूरे सुरक्षा उपाय से दुर्घटनाओं की आशंका एवं सड़क के किनारे सुविधाएं नहीं होने को लेकर याचिका में गहरी चिंता जताई गई है। नागपुर को मुंबई से जोड़ता यह एक्सप्रेस-वे 701 किलोमीटर लंबा है। इस एक्सप्रेस-वे का नागपुर से नासिक जिले के इगतपुरी तालुका तक का हिस्सा परिचालन में है जबकि इगतपुरी से ठाणे के बीच का करीब 100 किलोमीटर का हिस्सा अब भी पूरा किया जाना बाकी है। जनहित याचिका के हवाले से भंडारकर ने कहा, ‘‘राज्य राजमार्ग पुलिस द्वारा एकत्र आंकड़ों के मुताबिक समृद्धि महामार्ग पर 39 जानलेवा हादसे हुए हैं जिनमें 88 लोगों की जान गई है, 87 गंभीर हादसे हुए हैं जिनमें 232 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं जबकि 215 हादसों में 428 लोगों को मामूली चोट आई हैं। वहीं, 275 हादसों में वाहन सवार बाल-बाल बचे। जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि पीडब्ल्यूडी और एमएसआरडीसी ने महामार्ग के नागपुर-शिरडी के बीच के हिस्से को बिना सुरक्षा उपायों के यातायात के लिए खोल दिया है।