Sunday, February 2, 2025
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सरहद से भटके भारतीय किसानों की पाकिस्तान द्वारा धरपकड़ चिंताजनक

लेखक- सुभाष आनंद
भारत पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तानी रेंजरों द्वारा भारतीय किसानों की धरपकड़ की घटनाओं में जिस प्रकार बढ़ोतरी हो रही है वह चिंता का विषय है। फिरोजपुर के सीमावर्ती क्षेत्रों में किसानों को पकड़ने की कई घटनाएं हो चुकी है। गलतफहमी के चलते रास्ता भटकने वाले किसानों पर पाकिस्तानी रेंजर और सुरक्षा एजेंसियां तस्करी और जासूसी के आरोप लगा रही है। सीमा पर बसे भारतीय किसान मानते हैं कि सीमा निर्धारण के लिए बनी बुर्जियों का दूर-दूर और छोटा होना इसका सबसे बड़ा कारण है। कई बार गहरी धुंध में यह बुर्जियां नजर नहीं आती जिसके कारण गलती से सीमा पार करने की सजा किसानों को भुगतनी पड़ती है। गट्टी राजोके के किसान कृपाल सिंह का कहना है कि यद्यपि सीमा सुरक्षा बलों ने तारों की बाड़ भी लगायी हुई है लेकिन कई बार इतनी घनी धुंध होती है कि कुछ दिखाई ही नहीं देता और फसलों को पानी देते समय ये बाड़ दिखाई ही नहीं देती। जिसके कारण किसान अनजाने में ही पाकिस्तान बार्डर में चले जाते हैं और पाकिस्तानी रेंजर उन्हें पकड़ लेते हैं। गांव टेंडी वाला के किसान सतपाल सिंह का कहना है कि लगभग 10 वर्ष पहले भारत पाक सीमा पर कंटीली तार लगाकर सुरक्षा बढ़ाई गई थी। कंटीली तार के पास तमाम जमीन(कृषि योग्य भूमि) भारतीय किसानों की है जिस पर भारतीय किसान खेती कर रहे हैं। यहां सफेद चूना डालकर जीरो लाइन निर्धारित की गई है। असली सीमा लाइन काफी दूर है जिन्हें सफेद बुर्जियां बनाकर रेखांकित किया गया है। सीमा सुरक्षा बलों के अधिकारियों का कहना है कि किसानों को आदेश दिए गए हैं कि घने कोहरे में वह अपनी फसलों की देखभाल के लिए जाने से परहेज करें। सीमा सुरक्षा बल के पहरेदारों का कहना है कि किसानों के खेतों में हमारा कड़ा पहरा होता है फिर भी किसान लापरवाही कर ही जाते हैं। किसान संगठनों ने मांग की है कि इन बुर्जियों को ऊंचा किया जाना चाहिए ताकि किसानों को ये दूर से ही दिख सके। उधर जंगली और दरियाई सीमा पर आने वाले किसान गलती से पाकिस्तानी सीमा में प्रवेश कर जाते हैं जिन्हें पाकिस्तानी रेंजर धर दबोचते हैं और तरह-तरह की यातनाएं देते हैं। फिरोजपुर के दोना तेजा मल के किसान कृपाल सिंह का कहना है कि जब हम सीमा के पास अपनी जमीनों पर फसलों को पानी देते है तो पाकिस्तान के रेंजर हमसे बुरा व्यवहार करते हैं, कई बार वह हमें अपनी हिरासत में ले लेते हैं, लेकिन जबसे सीमा सुरक्षा के कर्मचारी हमारी सुरक्षा में लगे हैं हमें काफी राहत मिल रही है। कुछ समय पहले गांव अलीके के कुछ निवासियों पर तस्करी के मामले दर्ज किए गए थे। गांव गुरुहरसहाय के किसानों को भी पकड़ा गया था, यह लोग पाकिस्तान के ममडोट सेक्टर में प्रवेश कर गए थे,जिनकी रिहाई एसएसपी की रिपोर्ट के पश्चात की गई थी। यह मछुआरे सतलुज में मछली पकड़ते समय पाकिस्तानी सीमा में चले गए थे।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सीमा पार खेती करने वाले किसान सरकंडों को काटते समय अपनी सीमा को भूल जाते हैं। सीमा रेखा पर कंटीले तार से काफी दूर-दूर सफेद रंग की छोटी-छोटी बुर्जियां भी बनाई है जो सरकंडे के जंगलों के कारण नजर नहीं आती । इसी तरह सीमा के साथ लगते दरिया में सीमा नजर ना आने के कारण मछली पकड़ने वाले मछुआरे भी पाकिस्तान के क्षेत्र में चले जाते हैं। सूत्रों से पता चला है कि पाकिस्तानी रेंजरो द्वारा घात लगाकर किसानों को पकड़ा जाता है। इस वर्ष हुई तीन वारदातों में तीन भारतीय किसानों को पाकिस्तान ने पकड़ा है जिन्हें वह भारतीय जासूस कह रहे है। पाकिस्तान की आई.एस.आई एजेंसी इन किसानों को रॉ एजेंट साबित करने में लगी हुई है। वहीं, भारतीय एजेंसियां किसानों को बचाने के लिए प्रयास कर रही हैं। किसानों का कहना है कि सीमा पर जंगली घास और घने जंगल होने के कारण बुर्जियां नजर नहीं आती। पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा भारतीय किसानों की लगातार धरपकड़ के चलते भारतीय सुरक्षा एजेंसियां भी काफी सक्रिय हैं। पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आई.एस.आई ने इस मामले को लेकर सीमा सुरक्षा के डिप्टी डायरेक्टर से बातचीत की है। भारत ने अपने सीमा क्षेत्र में किसानों की सुरक्षा निश्चित बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। पंजाब के किसानों को सीमा पर अतिरिक्त सुरक्षा देने के आदेश केंद्रीय सरकार ने दिए हैं। सीमा सुरक्षा बलों ने सीमा की कृषि योग्य भूमि पर पहले से ज्यादा निगरानी बढ़ा दी है और किसानों पर भी पैनी दृष्टि लगा दी गई है ताकि वह किसी तरह से तस्करी के धंधे में संलिप्त ना हो सके।

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