
भूमि होगी उपजाऊ, जल संकट और रोगों से मिलेगा स्थायी समाधान
मुंबई। राजभवन में शुक्रवार को आयोजित प्राकृतिक खेती सम्मेलन में राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि प्राकृतिक खेती पूरी तरह प्रकृति के नियमों पर आधारित है। इससे पानी का उपयोग 50 प्रतिशत तक कम होता है, भूजल स्तर बढ़ता है और जलवायु परिवर्तन संकट से निपटने में मदद मिलती है। राज्यपाल के अनुसार, उत्पादन लागत में कमी और अच्छी पैदावार के साथ यह पद्धति मिट्टी, पर्यावरण और आम नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा करती है, इसलिए किसानों के लिए अत्यंत लाभदायक है। राज्यपाल ने बताया कि उन्होंने 35 वर्षों तक कुरुक्षेत्र के एक गुरुकुल में कार्य करते हुए प्राकृतिक खेती का अनुभव प्राप्त किया। उन्होंने रासायनिक, जैविक और प्राकृतिक खेती के अंतर को स्पष्ट करते हुए कहा कि जैविक खेती में व्यापक मात्रा में गोबर और वर्मी कम्पोस्ट की आवश्यकता होती है, जबकि प्राकृतिक खेती जंगलों की तरह बिना रासायनिक हस्तक्षेप के, सूक्ष्मजीवों के संतुलन को बनाए रखती है। रासायनिक खेती से गेहूं और चावल में पोषक तत्वों की मात्रा 45 प्रतिशत तक कम होने का दावा करते हुए उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती आज की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती अपनाने से बाढ़ और सूखे से बचाव के साथ भूमि का कार्बनिक कार्बन स्तर सुधरेगा। केंचुए भूमि को उपजाऊ बनाते हैं और नाइट्रोजन, फास्फोरस सहित महत्वपूर्ण पोषक तत्व प्रदान करते हैं। देसी गायों से प्राप्त गोबर और मूत्र से तैयार जीवामृत मिट्टी को पुनर्जीवित करता है। रासायनिक खेती न सिर्फ भूमि को बंजर बना रही है बल्कि जल, वायु और भोजन को प्रदूषित करते हुए बीमारियों में वृद्धि कर रही है, इसलिए देशी गाय आधारित प्राकृतिक कृषि ही समाधान है। सम्मेलन में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि प्राकृतिक खेती के माध्यम से राज्य में स्थायी कृषि क्रांति लाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि 2023 में राज्य सरकार ने 25 लाख हेक्टेयर भूमि को प्राकृतिक खेती के दायरे में लाने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि किसानों की प्रमुख समस्या लागत बढ़ना है, जबकि प्राकृतिक खेती में प्रकृति द्वारा उपलब्ध संसाधनों से लागत कम होती है और उत्पादकता बढ़ती है। उन्होंने गाय के गोबर के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि संविधान में भी गोरक्षा के सिद्धांत पर प्रकाश डाला गया है और प्राकृतिक खेती किसानों के साथ-साथ आम जनता के स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर है।
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि राज्यपाल स्वयं प्राकृतिक खेती का अभ्यास कर रहे हैं और उनका अनुभव सभी के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित कर रहे हैं और जनप्रतिनिधियों को इस दिशा में जागरूकता फैलाने की जरूरत है। उन्होंने उत्पादन कम होने की भ्रांतियों को दूर करने और किसानों के अनुभवों को बढ़ावा देने पर जोर दिया। शिंदे ने कहा कि राज्यपाल प्राकृतिक खेती के प्रसार के लिए राज्यभर में दौरा करेंगे, और यह आंदोलन किसानों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाएगा। इस अवसर पर विधान परिषद के सभापति प्रो. राम शिंदे, उपसभापति डॉ. नीलम गोरहे सहित अनेक सांसद, मंत्री और अधिकारी उपस्थित थे। सम्मेलन की प्रस्तावना राजभवन सचिव डॉ. प्रशांत नारनावरे ने प्रस्तुत की और धन्यवाद उप सचिव एस. राममूर्ति ने दिया। कार्यक्रम का संचालन अर्चना गायकवाड़ ने किया।




