बीएमसी एच/पश्चिम में तीन साल पूरा होने के बाद भी सहायक आयुक्त विनायक विसपुते की बदली क्यों नहीं?
मुंबई। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के आयुक्त व प्रशासक इकबाल सिंह चहल पर मुंख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मेहरबान है तो चहल भूमाफियाओं को संरक्षण देने वाले सहायक आयुक्त विनायक विसपुते पर मेहरबान है। दोनों की ही बदली तीन साल होने के बाद भी नहीं हो रही है। और इकबाल सिंह चहल शिकायतों के बाद भी वार्डो में बैठे ईमानदारी का चोला पहने सहायक आयुक्तों पर कार्रवाई की हिम्मत नही दिखा पा रहे है। या फिर भूमाफियाओं के तार बीएमसी आयुक्त कार्यालय तक फैला हुआ है। बता दें कि बीएमसी एच/पश्चिम विभाग के खार दांडा में बिना किसी परमिशन के दो दर्जन से अधिक बनी अवैध इमारतों के संदर्भ में दैनिक स्वर्णिम प्रदेश ने खबर प्रकाशित की थी। जिसकी जानकारी बीएमसी आयुक्त चहल, अतिरिक्त आयुक्त को भेजी गई। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह हैं कि उक्त मामले पर कठोर कार्रवाई करने के बजाए, बीएमसी के उच्चाधिकारी अपनी तिजोरी भर रहे है और आम आदमी भूमाफियाओं की ठगी का शिकार हो रहा है। मिली जानकारी के अनुसार खार पश्चिम दांडा में भूमाफिया समीर चौगुले द्वारा रिजवी प्लाट के पास करीब २००० वर्गफीट का अवैध निर्माण किया गया। भूमाफिया हैदर द्वारा राम मंदिर रोड बेकरी के पीछे अवैध इमारत का काम किया गया। वहीं खार दांडा बिट चौकी के पीछे भूमाफिया चांद द्वारा शंकर महादेव गली में २००० वर्गफीट के ग्राउंड प्लस २ की अवैध इमारत बनाई गई हैं। इसीक्रम में भूमाफिया अफजल खान द्वारा खार दांडा चक्की गल्ली में अवैध इमारत का काम चल रहा है। इसी क्रम में भूमाफिया विजय बारी द्वारा खार दांडा दान पाडा में सिद्धि विनायक मंदिर गली, जय मल्हार चायनीस के पास अवैध इमारत का काम किया गया। भूमाफिया नीलेश पाटिल द्वारा अवैध इमारत का निर्माण खार दांडा सीफेस अपोजीट हर्ब मौली मंदिर दरिया किनारा खार पश्चिम मे किया गया। ऐसे ही दो दर्जन से ज्यादा इमारते बनकर तैयार हैं और आयुक्त इकबाल सिंह चहल से शिकायत करने के बाद भी अधिकारियों और भूमाफियाओं पर कार्रवाई होती नहीं दिख रहीं हैं बल्कि भूमाफियाओं को संरक्षण देने का काम किया जा रहा हैं। बीएमसी आयुक्त इकबाल सिंह चहल को पद्मश्री पुरस्कार चाहिए, लेकिन सवाल यह हैं कि किस काम के लिए? कोरोना काल मे मुंबईकरों ने साथ क्या दिया सरकार को लगता हैं कि देश मे इनसे अच्छा आईएएस अधिकारी कोई है ही नहीं। जबकि हकीकत कुछ और है। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह हैं कि अवैध निर्माणो से वसूली के चक्कर में अभियंता भूमाफियाओं पर एमआरटीपी के तहत एफआईआर दर्ज नही करते। जिसके चलते भूमाफियाओं के हौसले बुलंद हैं। और बीएमसी की छवि खराब हो रही हैं।
१०० रुपये के स्टॉप पेपर पर लाखो की खरीदी-विक्री
बीएमसी एच/पश्चिम के खार दांडा में बनी अवैध इमारतों के फ्लैटो को भूमाफियाओ द्वारा १०० रुपये के स्टॉप पेपर पर ३० से ४० लाख रुपये में भोले भाले आम आदमियों को बेच रहे है। जिसकी एक प्रति स्वर्णिम प्रदेश के पास उपलब्ध है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि भूमाफिया भारतीय स्टाम्प अधिनियम का उल्लंघन कर शासन-प्रशासन की आँखों मे धुल झोंकने का काम कर रहे है। लाखो-करोड़ो की कर की चोरी कर रहे हैं और ऐसे भूमाफियाओं को बीएमसी प्रशासन संरक्षण देकर आम आदमी और सरकार को लूटने के लिए मार्ग प्रशस्त कर रहीं हैं। इस लूट में सब कमीशनखोरी तय हैं। इस गैरकानूनी खरीदी विक्री से राज्य सरकार को कितना नुकसान हो रहा है। लेकिन इन अवैध इमारतो को संरक्षण देने वाले बीएमसी सहायक आयुक्त विनायक विसपुते को कोई फर्क नहीं पड़ता हैं कि आम आदमी भूमाफियाओं से लुटे या राज्य सरकार, बीएमसी प्रशासन को नुकसान हो, इनको और इमारत व कारखाना विभाग के डीओ को ऊपरी कमाई से मतलब है। इस काले कारोबार के लिए जितना भूमाफिया (अवैध निर्माणकर्ता) जिम्मेदारी है उतने ही अधिकारी भी जिम्मेदार है। क्या महाराष्ट्र के गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस, गृहनिर्माण मंत्री अतुल सावे व राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल उक्त मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच व कार्रवाई का आदेश देंगे?