नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने महाराष्ट्र के नागपुर में अपना वार्षिक विजयादशमी उत्सव आयोजित किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध गायक शंकर महादेवन रहे। सरसंघचालक मोहन भागवत पारंपरिक दशहरा सभा को रेशिमबाग मैदान में संबोधित किया। दशहरे का यह प्रोग्राम संघ का एक प्रमुख कार्यक्रम होता है। पथ संचलन सुबह करीब 6.20 बजे सीपी और बरार कॉलेज गेट और रेशिमबाग मैदान से निकाला गया। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को सवाल किया कि क्या मणिपुर में हुई जातीय हिंसा में सीमा पार के उग्रवादी शामिल थे। नागपुर में आरएसएस की दशहरा रैली को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, “मेइती और कुकी समुदाय के लोग कई वर्षों से साथ रहते आ रहे हैं। अचानक उनके बीच हिंसा कैसे भड़क गई? संघर्ष से बाहरी ताकतों को फायदा होता है। क्या बाहरी कारक शामिल हैं? उन्होंने कहा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तीन दिन तक वहां (मणिपुर में) थे। वास्तव में संघर्ष को किसने बढ़ावा दिया? यह (हिंसा) हो नहीं रही है, इसे कराया जा रहा है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि उन्हें संघ के उन कार्यकर्ताओं पर गर्व है, जिन्होंने मणिपुर में शांति बहाल करने की दिशा में काम किया। भागवत ने कहा कि कुछ असामाजिक तत्व खुद को सांस्कृतिक मार्क्सवादी या जाग्रत कहते हैं, लेकिन वे मार्क्स को भूल गए हैं। उन्होंने लोगों को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भावनाएं भड़काकर वोट हासिल करने की कोशिशों के प्रति आगाह किया। आरएसएस प्रमुख ने लोगों से देश की एकता, अखंडता, पहचान और विकास को ध्यान में रखते हुए मतदान करने का आह्वान किया।
मार्क्सवादी देश की शिक्षा और संस्कृति को बर्बाद कर रहे
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को आरोप लगाया कि ‘तथाकथित सांस्कृतिक मार्क्सवादी और जागरुक तत्व’ देश की शिक्षा एवं संस्कृति को बरबाद करने के लिए मीडिया तथा शिक्षा जगत में अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर रहे हैं। नागपुर में आरएसएस की दशहरा रैली को संबोधित करते हुए भागवत ने ‘तथाकथित सांस्कृतिक मार्क्सवादियों और जागरुक तत्वों’ को देश की शिक्षा एवं संस्कृति को बरबाद करने के लिए मीडिया तथा शिक्षा जगत में अपने प्रभाव का दुरुपयोग करने वाली स्वार्थी, भेदभावपूर्ण व धोखेबाज ताकतों के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने कहा कि ये विनाशकारी ताकतें खुद को ‘जागृत’ बताती हैं और कुछ बड़े लक्ष्यों के लिए काम करने का दावा करती हैं, लेकिन उनका असली मकसद विश्व की व्यवस्था को बाधित करना है।
आरएसएस प्रमुख ने कहा, ये स्वार्थी, भेदभावपूर्ण और धोखेबाज ताकतें अपने सांप्रदायिक हितों को साधने की कोशिश में सामाजिक एकता को बाधित करने तथा संघर्ष को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही हैं। वे तरह-तरह के चोगे पहनती हैं। उनमें से कुछ खुद को सांस्कृतिक मार्क्सवादी या जागृत कहती हैं। भागवत ने कहा कि सांस्कृतिक मार्क्सवादी अराजकता को पुरस्कृत करते हैं, बढ़ावा देते हैं और फैलाते हैं। उन्होंने कहा, वे मीडिया और शिक्षा जगत पर नियंत्रण हासिल कर लेते हैं। साथ ही शिक्षा, संस्कृति, राजनीति और सामाजिक वातावरण को भ्रम, अराजकता और भ्रष्टाचार में डुबो देते हैं।