मुंबई। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग जोर पकड़ रही है। बदलती राजनीतिक स्थिति और अगले साल होने वाले लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की तैयारियां भी चल रही हैं। विपक्ष की सियासी तैयारियों के मुद्दों पर चर्चा के लिए वयोवृद्ध राजनेता शरद पवार और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बैठक की। शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने बुधवार को कहा, शिव सेना (यूबीटी) प्रमुख ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अध्यक्ष पवार के बीच बैठक मंगलवार को उनके आवास ‘सिल्वर ओक’ में हुई। दोनों के बीच डेढ़ घंटे से अधिक समय तक चर्चा हुई।
विपक्षी रणनीति और सीटों के बंटवारे पर चर्चा
राउत ने कहा, कांग्रेस नेता बैठक में मौजूद नहीं थे क्योंकि वे पांच राज्यों में चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। उद्धवजी और पवार साहब ने मराठा आरक्षण की मांग पर आंदोलन के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक स्थिति और विपक्ष को अपनाए जाने वाले रुख पर चर्चा की।” शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद ने कहा कि अगर महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होते हैं, तो विपक्ष की रणनीति क्या होनी चाहिए और उसके सीट-बंटवारे के फॉर्मूले पर भी चर्चा की गई।
राउत ने गठबंधन सहयोगियों के बीच मतभेद से इनकार
उन्होंने कहा कि अंतिम बैठक दिल्ली में होगी और महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगियों के बीच कोई असहमति नहीं है और सब कुछ सुचारू रूप से तय हो जाएगा। बता दें कि एमवीए में शिवसेना (यूबीटी), शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस शामिल हैं। नवंबर 2019 से तीनों दल महाराष्ट्र की सत्ता में थे। उस समय शिवसेना और एनसीपी अविभाजित थे। जून 2022 में एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई।
महाराष्ट्र का राजनीतिक भूचाल
शिंदे और 39 अन्य शिवसेना विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हाथ मिला लिया। शिंदे मुख्यमंत्री बने। बड़ी पार्टी होने के बावजूद पूर्व सीएम और वरिष्ठ भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस को पार्टी आलाकमान के निर्देश के बाद उपमुख्यमंत्री पद से संतोष करना पड़ा। एनसीपी नेता अजित पवार और उनकी पार्टी के आठ अन्य विधायक इस साल जुलाई में शिंदे सरकार में शामिल हुए।