Friday, November 22, 2024
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महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन हुआ उग्र, 19 बसें फूंकीं, मुख्यमंत्री शिंदे बोले- आरक्षण देने में कुछ बाधाएं हैं

जालना। महाराष्ट्र के जालना जिले में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे प्रदर्शन कारियों पर पुलिस लाठीचार्ज के बाद पूरे राज्य में माहौल गरमा गया है। मराठा समुदाय लाठीचार्ज के खिलाफ आक्रामक हो गया है। आरोप है कि उग्र प्रदर्शनकारियों ने अलग-अलग जगहों पर महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम की दर्जनों बसों को निशाना बनाया है। जालना में लाठीचार्ज की घटना के बाद महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एसटी) की 19 बसों में तोड़फोड़ की गई और उन्हें आग लगा दी गई। अधिकारियों ने बताया कि एसटी निगम को इससे करीब 4 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। रविवार को भी तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए जालना समेत मराठवाडा के कई हिस्सों में बस सेवा बंद रखी गई है। मराठा प्रदर्शनकारी जलना के अंबड तालुक में अंतरावाली सराटी गांव में आरक्षण की मांग को लेकर कई दिनों से अनशन पर बैठे थे। 1 सितंबर को जालना पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया और हवाई फायरिंग की। इस दौरान उग्र प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव भी किया, जिसमें कई पुलिसकर्मी जख्मी हो गए। इस घटना के बाद राज्यभर में मराठा प्रदर्शनकारी आक्रामक हो गये। जालना जिले में कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने सड़क जाम कर दिया। एसटी महामंडल के 16 वाहनों को जला दिया, जबकि 3 कारों में भी तोड़फोड़ की गई। एसटी के अधिकारियों के मुताबिक सरकारी बसों को जगह-जगह रोका गया और क्षतिग्रस्त किया गया। अब तक 19 बसों को जलाया गया हैं। इससे निगम को 4 करोड़ 60 हजार का नुकसान हुआ है। इस नुकसान के चलते एसटी निगम ने सावधानी बरतनी शुरू कर दी है। जालना और नांदेड जिले में बस सेवाएं रद्द कर दी गई हैं। साथ ही राज्य के कुछ अन्य जिलों में भी बस सेवाओं पर इसका असर देखने को मिल रहा है। खबर है कि पुलिस ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में 50 से ज्यादा लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस ने कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दी प्रतिक्रिया
जालना की घटना के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, नवंबर 2014 में जब तत्कालीन सीएम देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में गठबंधन (युति) सरकार सत्ता में थी, तब सरकार ने मराठा आरक्षण की घोषणा की थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी सरकार द्वारा लिए गए मराठा आरक्षण के फैसले को बरकरार रखा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अलग फैसला सुनाया। हर कोई जानता है कि यह देरी किसी की लापरवाही के कारण है… मराठा आरक्षण का मामला फिलहाल कोर्ट में है। राज्य सरकार इस मामले को अदालत में लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है… कुछ कठिनाइयां हैं, और राज्य सरकार उन्हें हल करने की कोशिश कर रही है।

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