मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता अजीत पवार ने गुरुवार को कहा कि निचले सदन की विशेषाधिकार समिति का गठन प्राकृतिक न्याय के नियमों और सिद्धांतों के अनुसार नहीं है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से समिति के पुनर्गठन का आग्रह किया है।
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता और राज्यसभा सदस्य संजय राउत के बयान पर हंगामे के बीच नार्वेकर ने बुधवार को भाजपा के विधायक राहुल कुल की अध्यक्षता में 2023-24 के लिए सदन की 15 सदस्यीय विशेषाधिकार समिति का गठन किया है। नार्वेकर ने विधानसभा में कहा था कि उन्होंने राउत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस स्वीकार किया है।
इन दलों के नेता हैं शामिल
अध्यक्ष ने यह भी कहा था कि वह राउत की टिप्पणियों के मुद्दे की जांच कराएंगे, जिसे उन्होंने गंभीर और विधायिका का अपमान करार दिया। बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष 8 मार्च को अपना फैसला सुनाएंगे। 15 सदस्यीय समिति में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के तीन विधायक, कांग्रेस के दो सदस्य, सत्तारूढ़ गठबंधन का समर्थन करने वाले दो निर्दलीय विधायक, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के दो विधायक और छह भाजपा विधायक शामिल हैं।
उद्धव गुट के विधायकों को नहीं मिली जगह
हालांकि, इस समिति में शिवसेना के उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के किसी भी विधायक को जगह नहीं मिली है। NCP नेता पवार ने गुरुवार को कहा कि राउत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस सौंपने वाले विधायक अतुल भातखलकर विशेषाधिकार समिति के सदस्य हैं। पवार ने कहा कि संजय शिरसाट, नितेश राणे और आशीष जायसवाल इस पैनल के सदस्य भी हैं। जिन्होंने बुधवार को सदन में बात की और राउत मुद्दे पर अपने विचार रखे थे। विपक्ष के नेता ने समिति के पुनर्गठन की मांग करते हुए कहा कि इसकी वर्तमान संरचना प्राकृतिक न्याय के नियमों और सिद्धांतों में फिट नहीं बैठती है।
समिति का गठन नियमानुसार- आशीष शेलार
वहीं, भाजपा नेता आशीष शेलार ने कहा कि समिति का गठन नियमानुसार है। इस मुद्दे पर बोलने वाले सदस्यों को नहीं पता था कि वे समिति का हिस्सा बनने जा रहे हैं। बता दें कि उद्धव ठाकरे समूह के विधायक रवींद्र वायकर और कांग्रेस विधायक अशोक चव्हाण भी चाहते थे कि समिति का पुनर्गठन किया जाए। हालांकि, अध्यक्ष नार्वेकर ने कहा कि समिति का गठन एक विशेष कार्यकाल के लिए किया गया है न कि राउत मुद्दे पर सौंपे गए नोटिस के लिए है।
क्या बोले विधानसभा अध्यक्ष
उन्होंने कहा अगर कोई विधायक सदन में किसी मुद्दे पर बोलता है और समिति का सदस्य नहीं हो सकता है तो निर्वाचित प्रतिनिधि के लिए कार्य करना मुश्किल होगा। समिति यह तय कर सकती है कि जिस सदस्य ने विशेषाधिकार हनन नोटिस पेश किया है, उसे सुनवाई के दौरान अलग होना चाहिए या नहीं। मुझे यकीन है कि समिति अपने पूरे कार्यकाल के दौरान प्राकृतिक न्याय के नियमों और सिद्धांतों के अनुसार काम करेगी।