
पुणे। महाराष्ट्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए जिला वार्षिक योजना के अंतर्गत 22,000 करोड़ रुपये का कोष स्वीकृत किया है, जिसका एक बड़ा हिस्सा जिला परिषद के माध्यम से सीधे ग्राम स्तर तक पहुँचेगा। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि ग्राम पंचायतों को इस निधि का पारदर्शी और उचित उपयोग करके गाँवों का सर्वांगीण विकास करना चाहिए, क्योंकि भारत की आत्मा गाँवों में बसती है, और अगर गाँव समृद्ध होंगे, तो देश समृद्ध होगा। पुणे के गणेश कला क्रीड़ा रंगमंच में आयोजित ‘मुख्यमंत्री समृद्धि पंचायत राज अभियान’ कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए पवार ने बताया कि 17 सितंबर (मराठवाड़ा मुक्ति दिवस) से अगले 100 दिनों तक इस अभियान को लागू किया जाएगा। इस दौरान प्रत्येक गाँव को अपनी विकास योजना तैयार करने और उसे लागू करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके लिए 245.20 करोड़ रुपये की पुरस्कार योजना बनाई गई है, जिसके अंतर्गत राज्य, संभाग, जिला और पंचायत समिति स्तर पर प्रतियोगिताएँ होंगी और सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायतों को सम्मानित किया जाएगा।
गाँवों का मूल्यांकन स्वच्छता, सतत विकास, हरित पहल, महिलाओं और बच्चों के विकास जैसे मानदंडों पर किया जाएगा। अभियान संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य “सबको साथ लेकर चलें” पर आधारित है। इसके मुख्य घटक हैं: सुशासित पंचायतों का निर्माण, पंचायत संस्थाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाना, जल-समृद्ध और हरित गाँवों का निर्माण, मनरेगा और अन्य योजनाओं का अभिसरण, ग्राम-स्तरीय संस्थाओं का सशक्तिकरण, आजीविका और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना तथा जनभागीदारी के माध्यम से जन-आंदोलन का निर्माण। पवार ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में सरकार ने पहले ही 100 दिवसीय कार्ययोजना और 150 दिवसीय डिजिटल सुधार कार्यक्रम को सफलतापूर्वक लागू किया है, जिससे प्रशासन अधिक जनोन्मुखी बना है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह अभियान भी गाँवों को आत्मनिर्भर और आदर्श बनाने में सहायक सिद्ध होगा। कृषि मंत्री दत्तात्रेय भरणे ने कहा कि यह पहल गरीबों को केंद्र में रखकर तैयार की गई है और इससे सरपंचों व ग्राम पंचायतों को गाँवों के हित में काम करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री शेतकरी सम्मान योजना के तहत 92 लाख 36 हज़ार किसानों के हिस्से को मंज़ूरी दी जा चुकी है और जल्द ही इसका वितरण किया जाएगा। कार्यशाला में पंचायत राज संस्थाओं की कार्यकुशलता बढ़ाने, निधियों के प्रभावी उपयोग और ग्रामीण क्षेत्रों के सतत विकास पर मार्गदर्शन दिया गया। कार्यक्रम में सांसद मेधाताई कुलकर्णी, विधायक शंकर मांडेकर, विधायक बाबाजी काले, पुणे संभागीय आयुक्त डॉ. चंद्रकांत पुलकुंडवार, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गजानन पाटिल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।