
वी बी माणिक
मुंबई। पिछले दिनों महाराष्ट्र सरकार को चुनाव आयोग ने मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल, अतिरिक्त आयुक्त अश्विनी भिड़े, अतिरिक्त आयुक्त पी.वेलरासु की बदली का आदेश दिया था। लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने उसपर कोई विचार न करते हुये लगभग चार साल से मनपा में कार्यरत तीनो आईएएस अधिकारियों पर मेहरबान बनी रही। इसपर चीफ सेक्रेटरी ने भी चुनाव आयोग के आदेश का पालन नही किया। वहीं अब तो आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई हैं। वहीं सवाल यह हैं कि क्या अब खुद चुनाव आयोग अपने आदेश को अमल में लाएंगे? बता दें कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी कोई निर्णय नही लिया। चुनाव आयोग के आदेश का कोई असर नही पड़ा। क्या शिंदे का गोपनीय सम्बंध ठाकरे से चल रहा है? ये सुगबुगाहट मनपा मुख्यालय में लोग दबी जुबान से चर्चा करते हुए देखे गए। अब नेताओ को चुनाव आयोग के आदेश का कोई महत्व दिखाई नही पड़ रहा है। पहले चुनाव आयोग का डर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं में इतना होता था जो एक बार आदेश आते ही सरकार के कान खड़े हो जाते थे। पर अब क्यों नही हो रहा है। बहुत ही दुर्भाग्य है कि नेताओ और सरकार में चुनाव आयोग का डर खत्म होता जा रहा है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के दौरान फिर से दोहराया कि तीन वर्ष से जो अधिकारी कार्यरत है उनका ट्रांसफर अतिशीघ्र कर दिया जाए। जिसका पालन सभी राज्यो के चीफ सेक्रेटरी को करना है। कोई भी उम्मीदवार, कोई भी गलत कार्य कर मतदाताओं को लुभाकर मत लेता है उसपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पर दूसरी ओर अपराधियो पर कितने केस दर्ज है। इनपर क्या कार्रवाई की जाएगी? इस विषय पर कुछ नही बोले!