भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (एमएसईडीसीएल) के एक अतिरिक्त कार्यकारी अभियंता को मीटर रीडिंग करने वाली एक फर्म के लिए कथित तौर पर ”संतोषजनक” टिप्पणी करने और अन्य काम करवाने के लिए 15,000 रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है. एसीबी ने बुधवार को यह जानकारी दी. फर्म ने मीटर रीडिंग, बिलों के मुद्रण और वितरण का काम किया था और सभी दस्तावेजों को भुगतान के लिए कार्यकारी अभियंता को भेजा था.
ब्यूरो ने पकड़ने के लिए बिछाया जाल
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि नवी मुंबई शहर में एमएसईडीसीएल के वाशी उप-मंडल कार्यालय में तैनात 47 वर्षीय आरोपी ने भुगतान के वास्ते जमा किए गए बिलों पर ”संतोषजनक” टिप्पणी करने के लिए उस फर्म के साथ काम करने वाले एक व्यक्ति से कथित तौर पर 20,000 रुपये की मांग की थी लेकिन बाद में आरोपी ने 15 हजार रुपये में सौदा तय किया. फर्म के कर्मचारी द्वारा एसीबी को लिखित शिकायत मिलने के बाद मंगलवार को ब्यूरो ने उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया और आरोपी इंजीनियर को शिकायतकर्ता से पैसे लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया. एसीबी ने बताया कि आरोपी अभियंता के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
35 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का मामला
महाराष्ट्र में कुछ दिन पहले भी रिश्वत मांगने का एक दूसरा मामला सामने आया था. इस मामले में आयकर विभाग के एक पूर्व सहायक आयुक्त और एक निरीक्षक को सीबीआई की एक विशेष अदालत ने बीते मंगलवार को एक निजी कंपनी के साझेदार से 35 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के मामले में तीन साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई. 52 वर्षीय इंस्पेक्टर सुरेश खेतान को 12.5 लाख रुपये की रिश्वत के बाद दो लाख रुपये लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया. खेतान और सह आरोपी राजकुमार भाटिया (56) को सजा सुनाते हुए विशेष न्यायाधीश एस पी नाइक निंबालकर ने नरमी बरतने से इनकार किया. न्यायाधीश ने कहा, “निस्संदेह, अपराध की प्रकृति गंभीर है. रिश्वत के तौर पर पैसा हड़पने के लिए बेईमान इरादे और आधिकारिक पद का दुरुपयोग खतरनाक है. इसे जांचने की जरूरत है.”