
मुंबई। राज्य में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढाँचे का विकास किया जा रहा है और नए उद्योगों को आसानी से तथा कम समय में शुरू करने के लिए नीतिगत सुधारों का क्रियान्वयन जारी है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सरकार के इन प्रयासों के चलते महाराष्ट्र में निवेश के असीम अवसर मौजूद हैं और राज्य देश में निवेश का “चुंबक” बन गया है।सह्याद्री अतिथि गृह में 20-20 निवेश संगठन के प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई बैठक में मुख्यमंत्री फडणवीस ने यह बात कही। इस बैठक में उद्योग मंत्री उदय सामंत, उद्योग राज्य मंत्री इंद्रनील नाइक तथा 20-20 निवेश संगठन की अध्यक्ष वेरा ट्रोजन उपस्थित थीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि नीतिगत सुधारों और बुनियादी ढाँचे के विकास के कारण महाराष्ट्र देश का “विकास केंद्र” बन गया है। देश की कुल डेटा क्षमता का 60 प्रतिशत महाराष्ट्र में है। मुंबई न केवल देश की आर्थिक राजधानी है बल्कि मनोरंजन और स्टार्टअप की भी राजधानी है।
जलयुक्त शिवार से जल-समृद्ध महाराष्ट्र
राज्य सरकार महाराष्ट्र को सूखा-मुक्त बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं और पहलों पर काम कर रही है। भूजल स्तर बढ़ाने के लिए जनभागीदारी से “जलयुक्त शिवार” अभियान चलाया गया है, जो अब दूसरे चरण में है। इस योजना से राज्य के लगभग 20 हज़ार गाँव सूखा-मुक्त हो चुके हैं। सिंचाई जल की उपलब्धता से किसान एक फसल से दो फसलें उगा पा रहे हैं। मुख्यमंत्री फडणवीस ने बताया कि इस योजना से बागवानी की खेती में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
देश की सबसे बड़ी नदी जोड़ो परियोजना
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में वैनगंगा से नलगंगा तक देश की सबसे बड़ी “नदी जोड़ो परियोजना” शुरू की जाएगी। परियोजना का अध्ययन और विस्तृत रिपोर्ट तैयार है। यह 500 किलोमीटर लंबी परियोजना विदर्भ को जल-समृद्ध बनाएगी। इसके साथ ही पश्चिमी घाट से समुद्र की ओर बहने वाले पानी को लिफ्ट सिंचाई के माध्यम से गोदावरी बेसिन में लाया जाएगा ताकि सूखे की समस्या समाप्त हो सके। परियोजना पूरी होने पर महाराष्ट्र के अधिकांश क्षेत्र सिंचित हो जाएँगे। राज्य सरकार औद्योगिक विकास के साथ-साथ प्रशिक्षित जनशक्ति तैयार करने पर भी ध्यान दे रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप बड़े पैमाने पर कौशल विकास कार्यक्रम लागू किया जा रहा है। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और अन्य आधुनिक तकनीकों पर आधारित प्रशिक्षण शुरू किया गया है। इससे नए क्षेत्रों में रोजगार सृजित हो रहे हैं। राज्य में बंदरगाहों, जहाज निर्माण और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों में भी रोजगार के बड़े अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। सरकार का लक्ष्य है कि नीतिगत सुधारों के माध्यम से नए क्षेत्रों में अधिक से अधिक रोजगार उत्पन्न किए जाएँ।
महिला सशक्तिकरण के लिए पहल
महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए “ड्रोन दीदी” और “लखपति दीदी” जैसी योजनाएँ लागू की गई हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि महिला स्वयं सहायता समूह अब एक जनआंदोलन बन चुके हैं। “ड्रोन दीदी” योजना के तहत महिलाओं को खेतों में छिड़काव का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पिछले वर्ष राज्य में 13 लाख महिलाएँ “लखपति दीदी” बनीं, और इस वर्ष यह संख्या 25 लाख तक पहुँचने की उम्मीद है। बेघरों को आवास उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार बड़े पैमाने पर मकान निर्माण कर रही है। अगले वर्ष के अंत तक 40 लाख मकानों का निर्माण पूरा किया जाएगा। इसके साथ ही, शहरों में किफायती आवास योजनाएँ और मलिन बस्तियों का पुनर्विकास भी किया जा रहा है। मुंबई में दुनिया की सबसे बड़ी धारावी पुनर्विकास परियोजना पर कार्य प्रारंभ हो चुका है।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और नई शिक्षा नीति का क्रियान्वयन
राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। राज्यभर में एक लाख से अधिक विद्यालयों के माध्यम से शिक्षा प्रदान की जा रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के अनुरूप शिक्षकों को प्रशिक्षित करने हेतु राज्य सरकार ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के साथ एक समझौता किया है, ताकि शिक्षा प्रणाली को भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप बनाया जा सके। बैठक में मित्रा के सीईओ प्रवीण परदेशी, मुख्यमंत्री के निवेश सलाहकार कौस्तुभ धावसे, अतिरिक्त मुख्य सचिव (ऊर्जा) आभा शुक्ला, अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) ओ.पी. गुप्ता, एमएमआरडीए आयुक्त डॉ. संजय मुखर्जी, प्रमुख सचिव (योजना) सौरभ विजय, सचिव (उद्योग) पी. अन्बलगन, सचिव (पर्यावरण) जयश्री भोज और एमआईडीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पी. वेलरासु उपस्थित थे।





