
लेखक- जितेंद्र पांडेय
गोस्वामी तुलसीदास ने तो निंदा करने वाले को दुर्जन की श्रेणी में रखा था। दूसरों की बुराई, चुगली, निंदा और अपमान करना मानव जाति को शोभा नहीं देते। हम किसी के विरुद्ध कुछ भी कहें तार्किकता और मृदुलता के साथ सरल सीधे शब्दों में कह सकते हैं। राहुल गांधी हो या प्रियंका गांधी दोनों ही सौम्यता के साथ बेलाग बात करते हैं। उनकी बातों में तर्क होता है। अभी तक देश में जितने भी प्रधानमंत्री हुए विपक्ष की बातें ध्यान से सुनते और उसपर चिंतन मनन करते थे।किसी ने कभी कटु शब्दों का प्रयोग नहीं किया। हमारे देश में राजनीतिक रूप से प्रधानमंत्री का पद सर्वोच्च और मर्यादा का पद है। पीएम पद देशवासियों के लिए समादर का पद होता है। पीएम के चरित्र वार्ता के शब्दों और व्यवहार से ही देशवासी सिखते हैं क्योंकि जनता के लिए पीएम आदर्श होता है। पीएम की बात की हमेशा अहमियत रहती थी।लेकिन मोदी को जैसे विपक्षियों को नीचा दिखाना, अपमानित करना ही आता है। दूसरों की आलोचना करने के पहले खुद के लिए वैसी ही आलोचना सहन करने की शक्ति भी होनी चाहिए। पीएम कहते रहे हैं, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ। कितना सुंदर और आदर्श नारा रजाई। देशवासियों को सम्मोहित करने की शक्ति थी इस नारे में लेकिन मणिपुर में जिन महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार हुए। नग्न कर सड़कों पर घुमाया गया। महिला पहलवानों ने अपने शरीर शोषण किए जाने के बाद न्याय मांगने आई थीं। धरने पर बैठी रहीं। दिल्ली पुलिस की महिला पहलवानों के साथ बर्बरता दुनिया में देखा मगर हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री ने चूं तक नहीं किया। शशि थरूर की दिवंगत पत्नी को पचास लाख की गर्ल फ्रेंड कहा।सोनिया गांधी उम्र में बड़ी हैं। कांग्रेस की शीर्ष नेत्री हैं। क्या उनके लिए कौन सी पार्टी की विधवा हैं जिनके खाते में हर महीने पैसा जाता है,कहना मोदी की सोच को उजागर करता है। नारा दे सकते हैं सम्मान नहीं।देश में नारियों की पूजा की जाती रही है। यत्र पूज्यंते नारी, रमंते ….जिस देश में नारी को विद्या, धन और शक्ति मानकर पूजा की जाती है।उसी देश का पीएम महिलाओं का अनादर करे तो इसे क्या कहेंगे? दरअसल मोदी नहीं बोलते। बहुमत का अहंकार बोलता है।अहंकार हमेशा विनाश का कारण बनता है। महाबली महा पंडित, तीन लोक विजेता, कंस, दुर्योधन हिटलर मुसोलिनी, औरंगजेब सभी में अहंकार था। उनका अंत कितना दुखद हुआ, दुनिया से छिपा नहीं है। पेड़ जब फल से लद जाते हैं तो उसकी डालियां झुक जाती हैं। मनुष्य ज्यों ज्यों ऊपर उठता है उसमे विनम्रता आ ही जाती है लेकिन लगता है मोदी ने विनम्र होना जाना ही नहीं। दूसरों का अपमान करना अपना मौलिक अधिकार मानते हैं। भारत में सरकार द्वारा अगले पांच वर्षों तक पांच किलो मुफ्त अनाज की घोषणा का क्या मतलब निकाला जाए यानी अगले पांच वर्ष तक अस्सी करोड़ लोगों को गरीब बनाए रखने के लिए कृत्संकल्प्प हैं मोदी। कहते हैं गरीबी देखी है। रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में गटर के पानी की गैस से चाय बनाकर बेचा है। चालीस कभी तो कभी पैंतीस साल भीख मांग कर खाए हैं। उन्हें गरीबों का दर्द पता है। राम जाने लेकिन उनके शौक देखकर तो यही कहा जा सकता है कि गरीब देश के सबसे अमीर प्रधानमंत्री हैं। हजारों करोड़ के विशेष प्लेन से यात्रा करते हैं। एक करोड़ की गाड़ियों के काफिले में चलते हैं। उनकी सुरक्षा पर रोज छियालिस लाख और इतना ही प्रचार प्रसार पर व्यय होता है।एक चंद्रयान का खर्च तो मीडिया को अपना बनाने के लिए ही देते हैं। जनता के पैसे का जैसे चाहें दुरुपयोग करें उनका हक है। इनके अलावा दाढ़ी बाल हमेशा कटवाना शौक है। और भी तमाम शौक हैं। नेहरू की आलोचना करते हुए कहते हैं उनके कपड़े पेरिस में धुलने जाते थे। पेरिस दिल्ली की एक लॉन्ड्री का नाम है जिसमे नेहरू के कपड़े धुलते थे। नेहरू खादी का कुर्ता, चूड़ीदार पाजामा, जैकेट जिसे नेहरू जैकेट के नाम से जाना जाता था। इसके साथ जूते पहनते थे। उनके लंबे बंद गले की कोट की जेब में गुलाब का फूल अवश्य रहता था। गुलाब जो प्रेम का प्रतीक है। हां उन्होंने करोड़ों मूल्य के आनंद भवन और दिल्ली का त्रिमूर्ति भवन सरकार को दान दे दिया था। उनकी लिखी पुस्तके अ लेटर टू हिज डॉटर और डिस्कवरी ऑफ इंडिया से ही लाखों रुपए रॉयल्टी के आते थे। आज भी उनके परिजनों को मिलती है। प्रधानमंत्री जी, आप जिस प्रांत से आते हैं वहीं महात्मा गांधी भी पैदा हुए थे जिन्होंने बिहार के चंपारन की गरीबी देखी। अधनंगे बदन देखे, पहनने के लिए कपड़े न थे। शर्मसार होकर गांधी ने सिर्फ एक लंगोटी पहनने का निर्णय लिया और आजीवन निभाया। ब्रिटेन से बैरिस्टरी की थी। शूटेड बुटेड आदमी थे। शिक्षित थे। इंगलैंड भी गए इसी एक लंगोटी में। सच माने में वे देश के प्रतिनिधि थे और आप? दिन में चार पांच बार कपड़े बदलते हैं। आप के शौक ने या जिद ने पुराना संसद भवन जो बिल्कुल अच्छी हालत में है फिर नया बनवाया। वह भी चू रहा है। एवेन्यू का खर्च 615 करोड़, इतना ही एक चंद्रयान भेजने का खर्च आया। अनेक आवास, सचिवालय यानी 20 हजार करोड़ का खर्च,कुल 3900करोड़ का अपव्यय हो रहा। आपकी सुरक्षा में लगी एसपीजी का व्यय ही 415 करोड़ है। इसके अलावा छः लेयर की सुरक्षा पर होने वाले व्यय में एक चंद्रयान भेजा जा सकता है। आप विश्वगुरू हैं। करोड़ों के आदर्श हैं।140 करोड़ जनता के चौकीदार हैं फिर आपको भय कैसा?आप के प्रचार प्रसार के खर्च में हर वर्ष एक से तीन चंद्रयान भेजे जा सकते हैं। एक चंद्रयान तो आपने जनता का जितना पैसा हर वर्ष मीडिया को देते हैं, उतने में भेजा जा सकता है हर वर्ष। आप सत्ता में हैं तो जनता, विपक्ष और जिंदा जमीर वाले पत्रकार आप से ही सवाल पूछेंगे। देश के रिसर्च और एज्युकेशन को बढ़ावा देना चाहिए लेकिन आप तो शिक्षा और चिकित्सा व्यय में ही कटौती करके देशवासियों के लिए मुसीबत खड़ी कर चुके हैं। आप पेन के शौकीन हैं रखने के लिए जो एक लाख तीस हजार की आती है। बुलगारिया चश्मा जो इटली में बना है जिसकी कीमत तीस से चालीस लाख बताई जाती है। गोवाडो घड़ी को स्विस मेड है वह भी चालीस लाख से शुरू होकर नब्बे लाख तक आती है। आप लेटेस्ट आई फोन से सेल्फी लेते हैं वह भी काफी मंहगा और शायद 13/14 के होंगे।महंगे कपड़े पहनने का शौक है जो आप जी ब्लू नामक गुजराती कंपनी जो अहमदाबाद में है आप उसके 1984 से ग्राहक हैं। निलांजन मुखोपाध्याय की पुस्तक में आप के शौक का पूरा वर्णन प्रकाशित हो चुका है। आप देश के बहुत बड़े संवैधानिक पद पर बैठे हैं।आप को पद की गरिमा का ख्याल रखना चाहिए। नहीं, आप तो विदेशी धरती पर जाकर कहते है।ये कैसा देश है? कैसे लोग हैं? कैसी सरकार है? पता नहीं पिछले जन्म में कौन सा पाप किया था कि हिंदुस्तान में मेरा जन्म हुआ कहते हैं तो क्या इसमें देश का मान बढ़ता है? नहीं।आप राहुल पर आरोप लगाते हैं कि वे विदेश जाकर देश की छवि खराब करते हैं। वे तो केवल लोकतंत्र और संविधान बचाने की बात कहते हैं। आप अमेरिका में जाकर कहते हैं कि हर साल एक यूनिवर्सिटी और हर हफ्ते एक एक आईआईटी और आईआईएम कॉलेज बनाए जा रहे। शायद भूल जाते हैं कि इंटरनेट मीडिया के कारण सम्पूर्ण संसार एक गांव जैसा हो गया है। आप कुछ भी कह देते हैं बाद में मंत्रालय कोई और तथ्य बताने लगता है। दुनिया देख सुन रही है आपको। चुनाव जीतने के लिए आप हिंदू मुस्लिम कर वोट लेते हैं क्या दुनिया से कुछ छिपा रहता है? बेहतर होगा आप अपनी भाषा में, व्यवहार में विनम्रता लाएं।