भगोड़े कारोबारी विजय माल्या की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. साल 2018 में दाखिल इस याचिका में माल्या ने खुद को ‘भगोड़ा’ घोषित करने को लेकर मुंबई की कोर्ट में चल रही कार्रवाई को चुनौती दी थी.
माल्या के वकील ने कोर्ट को बताया कि वह लंबे अरसे से उनके संपर्क में नहीं हैं, इसलिए जिरह नहीं कर सकते. इससे पहले भी माल्या के कुछ मुकदमे इसी आधार पर खारिज हुए हैं. इस मामले में भी 2019 में ही मुंबई की ईडी कोर्ट उसे ‘भगोड़ा’ घोषित कर चुकी है. साल 2018 में दाखिल याचिका बिना जिरह के अब तक लंबित थी. सुप्रीम कोर्ट ने उसे शुक्रवार (3 मार्च) को खारिज कर दिया.
कोर्ट ने क्या कहा?
जज अभय एस ओका और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि याचिकाकर्ता उन्हें कोई निर्देश नहीं दे रहा हैय इस बयान के मद्देनजर, मुकदमा न चलाने संबंधी याचिका खारिज की जाती है.’’
किस अधिनियम के तहत भगोड़ा घोषित हुआ?
मुंबई की ईडी कोर्ट ने पांच जनवरी, 2019 को माल्या को ‘भगोड़ा’ घोषित किया था. विशेष धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत, एक बार किसी व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किए जाने के बाद, अभियोजन एजेंसी के पास उसकी संपत्ति को जब्त करने की शक्तियां होती हैं.
मामला क्या है?
मार्च 2016 में ब्रिटेन भाग गया माल्या 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में फरार है. कई बैंकों ने बतौर लोन किंगफिशर एयरलाइंस (केएफए) को यह पैसे दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने एक अलग मामले में 11 जुलाई, 2022 को, माल्या को कोर्ट की अवमानना के लिए चार महीने की जेल की सजा सुनाई थी और केंद्र को भगोड़े व्यवसायी की मौजूदगी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था, ताकि भगोड़ा कारोबारी सजा भुगत सके.