Saturday, June 28, 2025
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सुप्रीम कोर्ट के झरोखे से…

जीतेन्द्र पाण्डेय, पत्रकार, लेखक व स्तंभकार

देश की सबसे बड़ी अदालत है सुप्रीम कोर्ट (एससी) जिसके मुख्य न्यायाधीश हैं चंद्रचूड़ जी, बेहद कड़े न्यायाधीश जिन्होंने सरकार का गुलाम होने से मना कर दिया। यहां तक कि देश के कानून मंत्री द्वारा सेवा मुक्त जस्टिस को लेकर धमकी भी दी। एससी को अन्य संस्थानों की तरह गुलाम नहीं बनने दिया। अपने सहयोगियों को भी निर्भीक होकर न्याय करने को प्रेरित किया। नतीजा कई मामले में निष्पक्ष निर्णय देने के कारण सोशल मीडिया में भक्तों द्वारा अनाप शनाप कहा जाता रहा। ट्वीटर पर तो उन्हें बराबर ट्रोल किया जाने लगा। उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाई कोर्ट में जब वे थे तो कई निर्णयों से सरकार असहज होती रही है। निश्चित है कि वे सरकार से रिटायर होने के बाद कोई मलाईदार पद पाने का लोभ नहीं रखते जैसा कि पिछले सीजेआई ने किया था। राममंदिर मुद्दे पर राममंदिर बनवाने का रास्ता उनकी बेंच ने साफ किया। सरकार की वफादारी का इनाम उन्हें राज्यसभा का सांसद बनाकर दिया गया। आज कल उनकी एक किताब की चर्चा ए आम है। बताते चलें कि वे एक कांग्रेसी मुख्यमंत्री के बेटे भी हैं, एक व्यक्ति ने उनकी किताब में झूठ लिखने का आरोप लगाकर एक करोड़ रुपए की मान हानि का केस दर्ज कराया है। एससी के ही दूसरे जस्टिस भी सरकार के प्रति वफादारी में प्रदेश का गवर्नर बना दिया गया है। उसके पूर्व भी कई जस्टिस सरकार से वफादारी की कीमत वसूलते रहे हैं जिससे आम जनता का न्याय प्रणाली से विश्वास लगभग उठ चुका था कि वर्तमान सी जे आई ने अपने कई फैसलों से एस सी की विश्वसनीयता को फिर से कायम किया है। नोट बंदी मामले में बेंच के सारे जस्टिस सरकार के बचाव में रहे लेकिन अकेले जस्टिस रत्ना ने अलग विचार व्यक्त करने की हिम्मत और बहुमत के फैसले के प्रति असहकति जताई। देश की सबसे बड़ी अदालत में गरीब तो आ ही नहीं सकता। वकीलों की फीस ही कई कई लाख रुपए हैं। एक सरकार की पार्ट के नेता जी हैं। वकालत करते हैं या नहीं, कहा नहीं जा सकता लेकिन पीआईएल के नाम से मशहूर ज़रूर हो चले हैं। अन्ना आंदोलन में वे बड़े मुखर रहे। आप पार्टी के लीगल विभाग के चीफ भी रहे। पता नहीं किस बात से नाराज होकर बीजेपी के नेता बन गए। अब एक ही काम शेष है पीआईएल लड़ना। तकरीबन डेढ़ सौ याचिकाएं डाल चुके वकील को सुप्रीम कोर्ट से कई बार उलजलूल याचिकाएं डालना उसका सबूत है। बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले की तर्ज पर बार बार न्यायालय के द्वारा झड़ देने के बावजूद कोई फर्क नहीं पड़ता। एक बार पहुंच गए फिर अर्जी लगाई कि दिल्ली में औरंगजेब, बाबर तोड़ है, पांडवों के नाम की कोई रोड नहीं है। जस्टिस उखड़ गए कह दिया आपको बस एक ही कौन के खिलाफ बार बार आग भड़काना चाहते हैं और अर्जी खारिज कर दी। एक बार जस्टिस ने लताड़ लगाई कि हम कानून बनाने के लिए दिशानिर्देश कैसे दे सकते हैं? फिर पूछा आपको कोई काम धाम नहीं है क्या? एक और याचिका लगाई थी सुनवाई में सीजेआई ने पूछा तो गोपाल है कोई। सीजेआई ने कहा शायद उनका नाम गोपाल शंकर नारायण है। आपको इस एस सी में तमीज के साथ पेश आना चाहिए। वकील साहब ने माफी मांगने में ही भलाई समझीफिर अदब के साथ पूरा नाम लिया। एक बार सुप्रीमकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष जो भारत के एडिशनल सॉलिसिटर रहे हैं।सीनियर एडवोकेट भी। किसी जमीन का मामला लेकर एस सी में सी जे आई के सामने उपस्थित हुए और तुरंत सुनवाई के लिए कहा तो सी जे आई ने कहा, यह इतना इंपॉर्टेंट नहीं है कि तुरंत सुनवाई की जाए। तब महोदय ने तारीख लगाने की बार कही तो कोर्ट भड़क गई। तब वकील ने तारीख देने और सी जे आई के घर तारीख लेने पहुंचने की धमकी दे दी। न्यायमूर्ति ने तुरंत कोर्ट से निकल जाने को कहा। मामला एस सी बनाम बार बन गया तब कपिल सिब्बल और नवल किशोर ने उनकी तरफ से माफी मांग ली लेकिन सी जे आई का गुस्सा शांत नहीं हुआ। बाद में मुकुल रोहतगी ने हस्तक्षेप किया। तब मामला शांत हुआ। एक बार धर्मांतरण के मुद्दे पर पांच राज्यों ने याचिका डाली थी। उस समय एक याचिका पीआईएल मैन ने भी डाली थी।उस समय तमिलनाडु के वकील ने कोर्ट को बताया कि इन्होंने एक बार ऐसी ही याचिका डाली थी और फिर वापस ले लिया था। दिल्ली हाईकोर्ट में भी याचिका वापस ले चुके हैं। इस पर कोर्ट भड़क उठा, कहा, अपनी पार्टी का अखाड़ा मत बनाइए। क्या आप पार्टी की तरफ से याचिका दाखिल करते हैं? या फिर आपकी याचिकाओं के लिए हमें एक नई बेंच बनानी पड़ेगी। ईडी के तीन मामले गिरफ्तारी, मनी लांड्रिंग और चीफ को तीसरी बार सर्विस में वृद्धि का मामला कोर्ट में है और कोर्ट इस विषय पर सख्त होकर सरकार को परेशानी में डाल दिया है। उत्तर प्रदेश के माफिया अतीक अहमद की पुलिस कस्टडी में हुई हत्या और सैकड़ों एनकाउंटर की जांच सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है और सारे एनकाउंटर की जांच की बात कही है। अडानी के संबंध में राहुल गांधी के सवालों,हिंदेनवर्ग की रिपोर्ट सहित मामले की जांच के लिए जांच कमेटी बनाना और सेबी को जांच करने के निर्देश के कारण अडानी द्वारा आर्थिक गड़बड़ी पर कोर्ट ने सख्त कदम उठाकर सरकार को असहज कर दिया है। शारीरिक शोषण की शिकायत को लेकर महिला पहलवानों का दोबारा धरना दिल्ली पुलिस द्वारा तानाशाही प्रवृत्ति और सरकार द्वारा आरोपी को बचाने आदि का मामला कोर्ट के संज्ञान में है यद्यपि कोर्ट के आदेश पर एफ आई आर तो हुई लेकिन गिरफ्तारी नहीं एस सी ने खिलाड़ियों को हाईकोर्ट जाने का आदेश दे दिया है फिर भी हरेक गतिविधि पर पैनी नजर बनाए हुए है।देर सबेर मामला एस सी में आना ही है। संभव है जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल द्वारा केंद्र सरकार के विरुद्ध पुलवामा में चालीस जवानों की हत्या की साजिश रचने, उन्हें चुप कराने, सैनिकों को पांच हेलीकाप्टर नहीं देने और पुलवामा में मारे गए सैनिकों की लाश का राजनीतिक फायदा उठाने का मामला आज नहीं तो कल एससी पहुंचेगा ही। सत्र खत्म होते ही सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर रोक लगाने का कानून बनाकर अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोटने का मामला भी शायद शीघ्र एससी में आए। इसके पूर्व चुनाव आयोग के प्रमुख पद पर अवैधानिक तरीके से नियुक्ति में एससी का निर्णय कि अब से सीजेआई, विरोधी दल के नेता और पीएम के द्वारा मुख्यचुनाव आयुक्त के चयन की व्यवस्था कर सी जे आई ने सरकार की मनमानी पर अंकुश लगाकर जता दिया कि कोई सरकार मनमानी नहीं करे लोकतंत्र में। इसके पूर्व सरकार की मनमानी पर किसी सीजे ई ने रोक नहीं लगाई थी। इसी तरह जब राहुल गांधी को गैरकानूनी तरीके से साजिश के तहत दो साल की सजा दिलाई गई और उनकी सदस्यता छीना गया। इतने मात्र पर गनीमत होती। सजा देने वाले जज का फटाफट प्रमोशन कर ट्रांसफर किया गया। उस प्रमोशन को सीजेआई ने रद्द कर बता दिया कि जब तक वे सीजेआई की कुर्सी पर हैं अनैतिकता नहीं होने दी जाएगी।
देर सबेर संभव है जस्टिस लो या की हत्या की साजिश रचने करने का मामला भी आ सकता है। न भूतो न भविष्यति। ऐसे ईमानदार न्यायप्रिय सीजेआई न कभी आए और शायद ही कभी आएंगे। सीजेआई के रूप में मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ सदियों तक याद किए जाएंगे। न्यायालय के इतिहास में उनका नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा।

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