उत्तर प्रदेश की सियासत गरमाने के लिए विविध उपाय किए गए जिनमें मानस की एक चौपाई,।ढोल गंवार शुद्र पशु नारी।
सकल ताड़ना के अधिकारी।।
तुलसीदास के पूरे रामचरित मानस को पढ़ लीजिए कहीं भी अर्ध विराम यानी कामा का प्रयोग किया गया नहीं मिलेगा।
एक तरफ उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीमारू प्रांत को विकसित प्रांत बनाने के लिए न भूतो न भविष्यती के अनुसार जगह जगह रोड शो और पूंजीपतियों से प्रदेश में उद्योग लगाने के लिए निवेश कराने में सफल हो रहे हैं। विभिन्न क्षेत्रों में निवेशक रुचि दिखा रहे हैं। क्षेत्रवार निवेश प्रस्ताव, पश्चिमांचल में 45 प्रतिशत, पूर्वांचल में 29 प्रतिशत, मध्यांचल में 13 प्रतिशत और बुंदेलखंड में 13 प्रतिशत होने की उम्मीद बंधी है।सेक्टर वार निवेश की बात करें तो मैन्युफैक्चरिंग में सबसे अधिक यानी 56 प्रतिशत लोग रुचि दिखा रहे हैं।एग्रीकल्चर एंड एलाइड में 15प्रतिशत, इंफ्रास्ट्रक्चर में 8 प्रतिशत , टेक्सटाइल्स में 7 प्रतिशत, तुरिज्म में 5 प्रतिशत, एज्युकेशन में 3 प्रतिशत, आईटी एंड इलेक्ट्रॉनिक्स में 2 प्रतिशत, हेल्थकेयर, वेयरहाउस एंड लॉजिस्टिक, रिन्यूअल एनर्जी और फार्मास्यूतिकाल एंड मेडिकल डिवाइसेज प्रत्येक में एक एक फीसदी निवेश प्रस्ताव मिले हैं। कालांतर में और भी निवेश आने की संभावना है।इसके अलावा एक जिला एक प्रोडक्ट पर योगी सरकार कार्य कर रही यथा वाराणसी में साड़ी,आजमगढ़ में ब्लैक पॉटरी आदि। इन निवेशों से बीमारू उत्तरप्रदेश अब उन्नत प्रदेश बनेगा लेकिन ये सारे प्रस्ताव ज्यादातर पश्चिमी क्षेत्र में अधिक हैं। इससे असंतुलन और बेरोजगारी एक तरफा दिखेगी। पूर्वांचल की आबादी सबसे अधिक घनी होने से श्रम करने वाले हाथ अधिक हैं। पश्चिमी क्षेत्र की आबादी विरल है। घनत्व आबादी का बेहद कम है जहां निवेश प्रस्ताव अधिक आए हैं जिसकी तुलना में पूर्वांचल में बेहद कम प्रस्ताव मिले हैं।यह पूर्वांचल क्षेत्र जिसमें योगीजी और मोदीजी का चुनाव क्षेत्र है निवेश कम होना दुखदाई ही होगा। योगी सरकार के लॉ एंड ऑर्डर की कठोरता के कारण पूर्वांचल के प्रायः सारे माफिया जेल में हैं। उनकी और गुर्गों सहित सभी गैरकानूनी निर्माण ढहा देने से माहौल निवेश के लिए उत्तम बना हुआ है। निवेशकों को लुभाने के लिए जमीन सुलभ कराना,टैक्स में कमी, संसाधन उपलब्ध कराना जैसी सहुलतें योगी जी डी ही रहे हैं। अब उनका प्रयास होना चाहिए कि जो नोएडा में आईटी हब बनाने की योजना है। उसे पूर्वांचल के जिलों में शिफ्ट करें ताकि असंतुलन नहीं हो। दूसरी तरफ विधानपरिषद चुनाव पूर्व बखेड़ा खड़ा करने जिसमें मानस की चौपाई का विरोध कर, लखनऊ में बोर्ड लगाए गए गर्व से कहो हम शूद्र हैं का फायदा नहीं उठा सके विरोधी। मायावती ने एससी एसटी को भ्रमित न करें सपा कहकर विरोध किया है। नफरत मत फैलाए सपा। वास्तव में चौपाई का मनमाना अर्थ निकलना, कामा लगाना बेवकूफी है। पहली बात कि ढोल,गंवार शुद्र और पशु नारी।तीन ही को मानस में ताड़ित करने की बातें कहीं हैं। अब अज्ञानी सियासतदान लोग उसमे पांच बना लिए।दूसरी बात फिल्म हो या नाटक। नायक और खलनायक की भाषा, संबोधन विपरित होते हैं। इस चौपाई जिसपर विवाद किया जा रहा है। वास्तव में तुलसीदास के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते। उन्होंने तो इस बात को समुद्र के मुख से कहलवाया है।
प्रभु भल किन्ह मोहि सिख दिन्ही।
मर्जादा पुनि अपनी किन्हीं।
तीन दिनों तक समुद्र राम का अनुनय विनय नहीं माना तो लक्ष्मण ने कहा,नाथ देव कर कवन भरोसा।इस बात के बाद राम कहते हैं ऐसा ही करूंगा चिंतित नहीं हो।
विनय न मानत जलधी जड़ गए तीन दिन बीत।
बोले राम सकोप तब भय बिनु होंही न प्रीत।।
लक्ष्मण बान सरासन आनू। सोखों वारिधा सहज कृसानु।।
जब राम ने वाण मारा तो समुद्र हाथ जोड़े खड़ा हुआ।नाना रत्न लेकर आया और क्षमा मांगने लगा।समुद्र जड़ है।मूर्ख है।वह स्वत: कहता है,
ढोल गंवार शूद्र पासू नारी।
सकल ताड़ना के अधिकारी।।
ढोलक बजाने के पूर्व उसकी डोर कसी जाती है अन्यथा बेसुरी बजती है।गंवार सुद्र यानी मूर्ख शुद्र जिसके पास सोचने समझने की बुद्धि नहीं हो और पशुवत नारी को कंट्रोल में नहीं रखा जाए तो इनके बिगड़ने का भय रहता है। चूंकि तुलसीदास ब्राह्मण थे और मीम भीम मिलकर इनका विरोध करते हैं। भीम वाले मीम वालों की साजिश नहीं समझ पाते। ब्राह्मण बुद्धिमान ज्ञानवान होते हैं।इनके खिलाफ साजिश इसलिए रची जा रही कि इन्हे खत्म कर दिया गया तो अन्य जातियों को खत्म करना आसान हो जाएगा।इस साजिश को समझने की जरूरत है। मौर्या को पहले रामचरित मानस पढ़ने की जरूरत है। यदि फिर भी समझ में नहीं आए तो ज्ञानी से जानकारी ले सकते हैं। तुलसीदास पर बेजा हमला करना सपा को नुकसान पहुंचा चुका है। विधानपरिषद चुनाव में भाजपा ने बाजी मारी है और अब सौ सीटों में उसे ७६ सीटें मिल गई हैं। अब भी वक्त है सम्हाल ले खुद को।