जितेंद्र पाण्डेय
इंडिया गठन में कुल २६ दल हैं शामिल। सभी प्रतिनिधि और सरकार में हैं। संख्या बल दिखाने के लिए बीजेपी ने बिना पेंदी के ३७ लोटे अपने साथ जोड़ लिए।बता दिया कि उसके पास दलों का दल दल है। तुमसे २२ अधिक।आओ करो मुकाबला। इतना भयभीत देश में किसी भी प्रधानमंत्री को देखा नहीं गया जितना डरे विश्वगुरू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। समाचार है कि रक्षाबंधन और ओणम हिंदू त्यौहारों को भुनाते हुए रसोई गैससिलेंडर के बेतहाशा बढ़ा दिए गए मूल्य में २०० रुपयों की कटौती की गई है। बस खुश हो जाओ देश भर के वोटरों। देखो देखो बीजेपी सरकार नहीं पीएम मोदी हर श्वास तुम्हारे लिए लेते हैं। तुम्हारी चिंता में दिन रात घुले हुए थे। तुम्हारा बजट गड़बड़ा गया था तो द्रवित होकर मोदी ने गैस सिलेंडर मूल्य में २०० की कमी कर दी। गरीबों के मसीहा मोदी ८० करोड़ लोगों को पांच किलो महीना गेहूं चावल देते हैं ताकि जिंदा रहो और तुम्हारी जरूरत की हर सामान आटा दाल चावल दूध घी दही छाछ खाद्य तेल पर जीएसटी लगा दी। खाद की सब्सिडी एक झटके में खत्म कर और यूरिया के मूल्य को थामे रखने के लिए ५० किलो की जगह ४५ किलो वजन कर दिया ताकि किसानों का बोझ कम हो। ढोने में मेहनत ज्यादा न हो। किसान भी मूर्ख हैं आंदोलन करने लगे थे। हमने तीन कृषि कानून बनाए थे ताकि कृषि और कृषक की जमीन पूंजीपतियों के कब्जे में देना चाहते थे ताकि भूमिहीन होने से तुम्हें अपनी जमीन की चिंता नहीं करनी पड़े। पूंजीपतियों ने बड़े बड़े गोदाम बनावा लिए ताकि तुम्हारा अनाज सुरक्षित रख सकें और तुम्हें मनमाने रेट पर बेच सकें। मगर मोदी ने अपनी गलती कुबूल करके तीनों कृषि कानून वापस ले लिए। किसान खुश हो गए कि भीख में दो हजार रुपए उन्हें मुफ्त में दे रहे मोदी। उज्जवला योजना में कहीं तीन करोड़ तो कहीं पांच करोड़ लोगों को मुफ्त गैस सिलेंडर देकर गरीबों को धुएं से मुक्ति दिलाने वाले ईश्वर मोदी हैं। शिक्षा के मद में कटौती कर मोदी ने बता दिया, क्या करोगे पढ़ लिखकर? शिक्षित होकर नौकरी मांगने लगोगे।भले केंद्र सरकार के अंतर्गत एक करोड़ नौकरियां खाली हों लेकिन उन्हें नहीं भरेंगे। बस स्टेशन मास्टर, टीचर, कम्प्यूटर ऑपरेटर जैसी नौकरियां रोजगार मेला लगाकर बांटेंगे। ये तमाम इंप्लीमेंट देने वाले बोर्ड बेकार ही ज्यादा नौकरियां बांट दिया करते थे कांग्रेस के समय। अब उन्हें बांटने नहीं दिया जाएगा। राजा हैं मोदी तो जिसको क्या देना है देंगे ये बेकार के सारे बोर्ड। उन्हे खत्म कर पीएमओ ही करेगा सब कुछ। इनकी जरूरत क्या? सारी शक्ति राजा के पास होनी चाहिए। राजा भले ही पूंजीपतियों के कर्ज दस बीस लाख माफ करने हों राजा इसमें पीछे हटने वाला नहीं है। सामान्य नागरिकों के खून की अंतिम बूंद तक निचोड़ लो कहने वाले जर्मन तानाशाह हिटलर एडोल्फ ही मोदी के लिए अनुकरणीय हैं। पिछले दस वर्षों में वही किया। देश आजाद होने के बाद आटा दाल चावल दूध घी दही खाद्यतेल पर जीएसटी लगाने वाले मोदी विलक्षण पीएम हैं। इनका शानी दुनिया में कोई हो तो बताओ। विश्वगुरू हैं मोदी। देश की समस्त संस्थाओं को पीएम मोदी के हाथ में होना ज़रूरी है। मोदी की मर्जी के बिना भ्रष्टाचार की जांच हो ही नहीं सकती।विस्तारवादी और साम्राज्यवादी हैं अपने विश्वगुरू। इसीलिए तो विपक्षी भ्रष्ट नेताओं को बीजेपी में आ जाने पर जांच रुकवा देते हैं भ्रष्टाचारियों को गले लगाकर। समदर्शी हैं मोदी। क्या बीजेपी वाले क्या विपक्षी सभी अपने हैं। सबको बीजेपी में लाकर ईमानदार होने का सर्टिफिकेट देकर उन्हें भ्रष्टाचार करने की खुली छूट देते हैं। कितने उपकारी हैं मोदी। सभी अपने हैं। ये विपक्षी अपने पराए का भेद करते हैं। अलग अस्तित्व बनाए रखकर देश की एकता अखंडता को बाधित करते हैं। इसीलिए सारे विपक्ष को खत्म कर देश में एक ही पार्टी बीजेपी चाहते हैं। एक राष्ट्र, एक संविधान वैसे आंबेडकर का संविधान पुराना हो गया है। जड़ हो गया है। उससे देश का शासन तानाशाह होकर चलाया नहीं जा सकता। इसीलिए ज़रूरी है राज तंत्र की स्थापना।राजा ही ईश्वर है। देश के एक सौ चालीस करोड़ लोग राजा की प्रजा हों इसलिए देश में एक पार्टी,एक मनुस्मृति वाला संविधान, एकमात्र सम्राट, एक देश, एक धर्म हिंदू, एक ध्वज आरएसएस वाला हो यही संकल्प है। जिसमें सवर्ण हिंदू ही एकमात्र विशेषाधिकार युक्त प्रजा होगी। ईसाई, इस्लाम, यहूदी, पारसी वहावी, बौद्ध, जैन, सिख, ओबीसी, एससी, एसटी के लिए कोई जगह नहीं होगी। सभी मुख्यमंत्री आरएसएस वाले, मंत्री आरएसएस वाले, सांसद विधायक आरएसएस वाले, सारे प्रशासक आरएसएस वाले होंगे। भले पाकिस्तान को देश की गोपनीय बातें बेचने वाले हों। गौ तस्कर हों या माफिया डॉन बदमाश, ड्रग तस्कर हों कोई फर्क नहीं। उद्योग बढ़ते हों लेकिन रोजगार नहीं मिले। कृषि, उद्योग भले उन्नति नहीं करें मगर उद्योगपति होने चाहिए जो बीजेपी को करोड़ों चंदा देते रहे। सरकार को अधिकार है कि वह जनता का खून चूसे। उसका धन पूजीपतियो को दे। जनता पर भले सैतीस टैक्स लगाने पड़े। विदेशी कर्ज तले देश को दबना पड़े।पूंजीपति जो सरकार को बॉन्ड के जरिए अपने कालेधन दे। तब उन्हें उपकृत करने के लिए पूर्ववजों द्वारा बनाए उद्योग बेचना पड़े। जनता जब अशिक्षित बेरोजगार गुलाम बनी रहेगी। तभी सत्ता को संतोष होगा। दंगे नहीं हो रहे हों तो करा दो। महिलाओं के साथ बलात्कार होते हों तो हों। सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं होगा। नेताओं के बच्चे विदेश में पढ़ेंगे और तुम्हारे बच्चे हिंदू मुस्लिम कहकर अराजकता फैलाकर हिंदू मुस्लिम का जाप करता रहे। जनता जितना अधिक बंटी रहेगी। कमजोर उतनी ही होगी। अशिक्षित जनता सरकार को प्रिय है केवल चुनाव में वोट दे। यह कैसी मोदी सरकार की आर्थिक व्यवस्था है जिसमें पूंजीपतियों की पूंजी बढ़ती जा रही लेकिन मजदूर काम पर रखे नहीं जा रहे। आम आदमी पर टैक्स का बोझ बढ़ता जा रहा। जीवन यापन दुरूह हो गया। मंहगाई चरम पर, जबकि आमदनी घट गई है। कोविड से पूर्व जो बेरोजगारी स्थिति थी। कोविड काल में बेरोजगारी आसमान पर चढ़ गई लेकिन उसके बाद भी बेरोजगारी में कमी नहीं आई। मुद्रा लोन बांटने को सरकार प्रचारित करती है और कहती है चालीस करोड़ को रोजगार दिया। अब बेरोजगारी खत्म हो गई। गरीबी भी १.३ करोड़ लोगों के गरीबी रेखा से पार होने के दावे करते हुए सरकार खुद ८० करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देने का दावा करती है। ये आंकड़े खुद में विवादास्पद लगते हैं। सरकार ने विदेशी कर्ज ९ वर्षों में ९० लाख करोड़ लिए। आंतरिक कर्ज भी लगभग उतने ही हैं। ७० प्रतिशत जीएसटी से आते हैं तो जाते कहां हैं। उद्योग उत्पादन लगभग पूर्ण गिरावट पर है। जनता कर्ज में डूबी हुई है। कृषि उत्पादन कम हो रहा है। एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के आंकड़े देखें तो लाखों करोड़ के घाटे में है देश। केवल पूंजीपतियों की बढ़ती आमदनी के बूते जीडीपी भले बढ़ाकर दिखाई जाती हो लेकिन सच तो यह है कि हर आम आदमी चाहे वह मध्यवर्गी ही क्यों न हो आज जीने के लिए संघर्ष कर कर्ज के मकड़जाल में फंसता चला जा रहा है। सरकार आर बी आई और एलआईसी जैसी संस्थाओं से कर्ज लेती है वह कहां व्यय किया जाता है यह सरकार ही जानें। अब सरकार रसोईगैस के मूल्य में २०० रुपए कम करने की घोषणा कर रही। जिसने सब्सिडी ही खत्म कर दी है। जब क्रूड ऑयल १०० डॉलर्स प्रति बैरल आता था तो सब्सिडी देने के बाद जनता को ४५० रुपए में सिलेंडर, ४५ रुपए में पेट्रोल मिलता था। राशन की दुकानों में मुफ्त या कम मूल्य पर मिट्टी का तेल मिलता था जिसे मोदी सरकार ने बंद कर दिया। पिछले कई वर्षों से क्रूड ऑयल ८० डॉलर्स प्रति बैरल आ रहा लेकिन पेट्रोल १०५ से ११० रुपए प्रति लीटर और रसोईगैस ११६० रुपए सिलेंडर बिक रहा। प्राइवेट और सरकारी रिफयनरीज कंपनियों को खूब फायदा मिल रहा। उनसे सरकार पैसे वसूलती है लेकिन जनता को इससे क्या लाभ मिला? अब लोकसभा चुनाव को कुछ महीने बाकी है और बीजेपी सरकार को हार दिख रही है तो पांच साल केवल पूंजीपतियों के दस बीस लाख करोड़ कर्ज माफ किए। हजारों करोड़ का कर्ज लेकर पूंजीपति माफिया देश से सुरक्षित विदेश चले जाने दिए। अब पांच साल जनता को लूटने, कंगाल बनाने वाली सरकार चुनाव पूर्व अब सरे जिनसों के मूल्य कम कर जनता को मूर्ख बनाकर वोट लेना चाह रही और फिर पांच साल लूटने का लाइसेंस लेने के लिए ब्यूह रचना कर रही लेकिन जनता अभिमन्यु नहीं जो कौरवों के चक्रव्यूह में फंसकर मरे। वह सियासी चक्रव्यूह तोड़ना सीख गई है। अब अंधभक्त बनने से इंकार कर चुकी है।