
सूर्य पूजा का सबसे बड़ा पर्व छठ का होता है, जो बिहार का मुख्य पर्व है। बिहार के लोग दिल्ली, मुंबई, सूरत आदि शहरों में रहकर वहां की उन्नति में सहयोग देते रहते हैं। बिहारी चाहे जहां नौकरी-धंधा करता हो, गांव-घर के प्रति लगाव कम नहीं होता। वैसे तो तमाम शहरों में छठ पर्व, स्नान और पूजन की व्यवस्था होती रही है, फिर भी अपने परिवार, अपने गांव, अपनी माटी का लगाव और अपनापन हर एक बिहारी को बिहार पहुंचने को बाध्य करता आया है। रेल मंत्री जी को यह जानकारी बहुत पहले से ही थी कि महानगरों में रहने वाले बिहार के लोग छठ पूजा में बिहार अपने गांव जरूर जाएंगे। मंत्री जी और उनके प्रबंधकों, सरकार के साथ गोदी मीडिया ने बहुत प्रचारित किया कि बिहार के लिए छठ पूजा पर बारह हजार स्पेशल ट्रेनें शुरू कर दी गई हैं। तीन महीने पूर्व ही मुंबई, दिल्ली, सूरत जैसे महानगरों से बिहार जाने वाली सभी ट्रेनें बुक हो चुकी थीं। रेल मंत्री ने दावा कर दिया कि बिहार के लिए बारह हजार स्पेशल ट्रेनें शुरू कर दी गई हैं। जबकि महानगरों से बिहार जाने वाली ट्रेनों में टॉयलेट में घुसे, फर्श और यहां तक कि गेट पर बैठे लोगों की ही नहीं, गेट पकड़कर लटकते हुए हजारों किलोमीटर की रेल यात्रा की भीड़ बेहद डरावनी लगती रहीं। यहां सवाल उठता है कि जब बारह हजार स्पेशल ट्रेनें चलाने का दावा किया गया, तो फिर जान पर खेलकर बिहार के लोग अपने घर कैसे जा रहे? रेल मंत्री का यह झूठ सदी का सबसे बड़ा झूठ कहा जा सकता है। आखिर कहां गईं बारह हजार विशेष ट्रेनें? आसमान में उड़कर गईं या फिर मंगल ग्रह पर भेज दी गईं? चल रही ट्रेनों में भारी भीड़ देखकर सवाल जेहन में उठाना स्वाभाविक ही है। फिर क्या कारण है जो रेल मंत्री ने झूठ बोला? सरकार और गोदी मीडिया ने जमकर प्रचार किया? लगता है झूठ बोलने, झूठे वादे करने, झूठे दावे करने का ठेका सरकार ने ले रखा है। मेन मीडिया सहित सोशल मीडिया में बारह हजार स्पेशल ट्रेनों की बाढ़ आ गई थी, जबकि सच तो यह है कि घोषणा बिहार चुनाव को ध्यान में रखकर की गई थी ताकि बिहार के लोग खुश होकर पार्टी को वोट करें। रेल मंत्री को बिहार वासियों से गलत दावे के लिए क्षमा मांगनी चाहिए, क्योंकि भारत में अभी तक तेरह हजार से थोड़ा ही ऊपर यात्री ट्रेन चलती हैं, तो बारह हजार स्पेशल ट्रेनें कहां से आतीं? लगता है बीजेपी सरकार ने झूठ बोलने का ठेका ले रखा है। पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर की अनुमति देने के बाद खुद पीएम मोदी ने कहा था कि सेना को खुली छूट दे दी गई है कि समय, स्थान सेना खुद तय करे। जिसे गलत ठहराते हुए सैन्य अधिकारी ने कहा, हमारे हाथ सरकार ने बांध रखे थे कि हमें पाकिस्तानी फौज पर हमला नहीं करना है। पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने भारत के छह विमान मार गिराए, जिस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पीएम के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने दावा किया कि हमारा एक कांच तक नहीं टूटा, जिस झूठ को सैन्य अधिकारी ने पकड़ा और कहा युद्ध में नफा-नुकसान होता रहता है। मुद्दा यह नहीं कि भारत ने अपने विमान खोए, मुद्दा यह है कि हमने हासिल क्या किया युद्ध से? मोदी सरकार बार-बार दावे करती रही और सच छुपाती रही कि हमारा एक भी सैनिक मारा नहीं गया, जिसे सेना के अधिकारी ने झूठ बताते हुए पोल खोल दी और कहा पाकिस्तानी शेलिंग से हमारे दस जवान शहीद हो गए। मोदी सरकार को केवल गुजरात की चिंता रहती है। महाराष्ट्र में विदेशी निवेशक दो कंपनियां लगाने को तैयार थीं, डबल इंजन सरकार के होते दोनों कंपनियां गुजरात ले जाई गईं। यही हाल तमिलनाडु के साथ हुआ, वहां लगने वाली दो कंपनियों को गुजरात शिफ्ट कर दिया गया। बिहार चुनाव में प्रधानमंत्री सेल्फी लेने की प्रेरणा बिहार के युवाओं को देते हैं। सेल्फी लेने का रोजगार शायद अपने आप में अजूबा होगा। अमित शाह बिहार चुनाव प्रचार में कहते हैं, कंपनियां गुजरात में लगेंगी लेकिन उनमें काम करने वाले बिहार के मजदूर जाएंगे गुजरात, उन्हें गुजरात में रोजगार मिलेगा। साथ ही विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहते हैं, परिवार का भला करने सोचने वाले बिहार का भला क्या करेंगे? अमित शाह शायद भूल गए कि उनके बेटे ने कभी बैट-बॉल पकड़ा नहीं होगा। किस आधार पर जय शाह को बीसीसीआई का प्रमुख बना दिया गया? क्या जय शाह अमित शाह के बेटे नहीं हैं? क्या वे परिवार को आगे नहीं बढ़ा रहे? आखिर क्या कारण है कि मोदी जिस किसी भी देश में जाकर राष्ट्रप्रमुख से मिले, उसके एक सप्ताह के भीतर उन राष्ट्रों में अडानी को कोई न कोई बड़ा ठेका जरूर मिला? कौन बताएगा सच क्या है?
अमित शाह कहते हैं, देश के लोगों को अंग्रेजी बोलते शर्म आएगी, तो क्या उन्हें अपने बेटे को अंग्रेजी बोलते शर्म आई? झूठ की बुनियाद पर ही समूची बीजेपी टिकी है। हालत तो यह हो गई है कि कोई बीजेपी नेता कहे उसने अंडे को आसमान में उड़ते देखा है, तो फिर प्रतिस्पर्धा शुरू हो जाएगी कहने में कि मैंने तो उस अंडे का आमलेट खाया है। वाशिंगटन पोस्ट का दावा है कि भारत की एलआईसी ने अडानी को बचाने के लिए बारह हजार करोड़ रुपए अडानी को दिए हैं। इसके पूर्व स्मरण होना चाहिए कि जब अडानी के ऊपर अपने कैप को गलत तरीके से अधिक बताकर शेयर बेचे गए थे, तब उसकी पोल खुलने पर अडानी दुनिया में तीसरे अरबपति के स्थान से नीचे तीसवें स्थान पर लुढ़क गए थे। तब भी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और एलआईसी ने हजारों करोड़ के गिरते शेयर खरीदकर अडानी को बचाया था। धोखाधड़ी के आरोप में अमेरिकी कोर्ट में मुकदमा होने के कारण अडानी को अपनी बड़ी कंपनी के सीईओ पद से इस्तीफा देने को बाध्य होना पड़ा। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप 53 बार कह चुके कि उन्होंने टैरिफ और ट्रेड की धमकी देकर इंडिया-पाकिस्तान के बीच वार रुकवाकर करोड़ों लोगों की जिंदगी बचाई। कभी हमारे प्रधानमंत्री या किसी ने यह कहने की हिम्मत नहीं की कि ट्रंप झूठ बोल रहे। रूस से सस्ता तेल खरीदकर देश में अपनी रिफाइनरी में शुद्ध कर विदेश बेचकर अरबों रुपए धन्नासेठों ने कमाए, जिसके कारण ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाकर भारतीय एक्सपोर्टरों का भट्ठा बैठा दिया। दौलत पूंजीपति बनाए और मार जनता पर। आखिर इस मुद्दे पर क्यों नहीं सरकार देश को सच बताती?




