Friday, October 18, 2024
Google search engine
HomeIndiaसंपादकीय:- केंद्रीय मंत्रिमंडल में होगा फेर बदल!

संपादकीय:- केंद्रीय मंत्रिमंडल में होगा फेर बदल!

बहुत देर कर दी मेहरबां आते आते की तर्ज पर पीएम मोदी अपने मंत्रिमंडल में फेल्योर हो चुके मंत्रियों की मंत्रिपरिषद से छुट्टी करने वाले हैं। लेकिन यह फेरबदल शासकीय स्तर सुधार के लिए नहीं बल्कि लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए विशुद्ध राजनीतिक लाभ हानि को देखते हुए किया जाएगा। बेशक प्रधानमंत्री का संवैधानिक अधिकार है वे जिसे चाहें केंद्रीय मंत्री बना सकते हैं और जिसकी चाहें मंत्रिपरिषद से छुट्टी कर सकते हैं। यह आवश्यक नहीं कि मंत्रिपरिषद में शामिल होने वाले मंत्री जनता द्वारा सीधे चुने जाने की बजाय राज्यसभा के बैक डोर से आए लोग भी हो सकते हैं। संविधान कहता है कि किसी क्षेत्र के सुयोग्य व्यक्ति को जो लोकसभा का सदस्य नहीं है को भी पीएम मंत्री बना सकते हैं बशर्ते मंत्री बनने के छः महीने के भीतर किसी भी सदन की सदस्यता प्राप्त करना अनिवार्य होगा। पीएम के विशेषाधिकार को कोई भी चैलेंज नहीं कर सकता लेकिन संविधान में यह व्यवस्था करने का बड़ा पावन उद्देश्य है कि व्यक्ति उस क्षेत्र का विशेषज्ञ हो जिस विभाग का मंत्री बनना हो जिसकी पीएम ने पूरी तरह अनदेखी की थी जिसका भयंकर परिणाम उनके मंत्रालयों का बुरी तरह फेल होना है। लगभग एक दर्जन मंत्री ऐसे हैं जो जनता द्वारा चुने गए नहीं हैं इसलिए उनकी जवाबदेही भी जनता की तरफ नहीं है। मनमाने ढंग से मंत्री बनाने का कुफल है विभागों का पूरी तरह फेल होना। या तो पीएम को समझ नहीं थी या उन्होंने व्यक्ति की निकटता के कारण ही मंत्री का मलाईदार पद रेवड़ी की तरह बांटा है। ऐसा पीएमओ में बैठे ब्यूरोक्रेट की रिपोर्ट पर ही संभव हुआ। इसके पूर्व अपने मंत्रालय को बखूबी चलाने वाले रविशंकर और प्रकाश जावड़ेकर की छुट्टी कर दी थी। सबसे बढ़िया मंत्रालय चलाने में सक्षम नितिन गडकरी जिनके पास तीन मंत्रालय थे, से दो छीन कर अपने प्रियजनों को दे दिया। निर्मला सीतारमन ने बैंक और देश की अर्थव्यवस्था को ही ध्वस्त कर दिया। बात करें रेलवे मंत्री वैष्णव की। ब्यूरोक्रेट से सीधे रेल मंत्री बीमा दिया गया जिनके काल में बालासोर दुर्घटना जैसी अनेक दुर्घटनाएं हुई। सुरक्षा मद पर दिया बजट खर्च ही नहीं किया गया। डेढ़ लाख पद जो रेल पटरियों की देखभाल करते थे अभी भी रिक्त है। रेलवे सुरक्षा ब्यूरो को अधिकार विहीन कर दिया। रेल बोर्ड की रिपोर्ट की अनदेखी करने के कारण बालासोर दुर्घटना हुई। सैकड़ों की मौत के लिए अश्विनी वैष्णव और खुद पीएम जिम्मेदार हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जिन्हें विपक्षी भ्रष्ट नेताओं के पीछे सीबीआई और ईडी लगाने के साथ सारे भ्रष्टाचारियों को भाजपा में लाने से फुरसत ही नहीं है। सरकारें गिराने, पार्टी ध्वस्त करने से समय नहीं मिल पाता कि महिला खिलाड़ियों के यौनशोषक बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पास्को एक्ट में दिल्ली पुलिस को कार्रवाई ही करने नहीं दी। किसान आंदोलन को कुचलने में महारत हासिल शाह को बीजेपी का मैनेजर बने रहना ही उचित था गृहमंत्री से मणिपुर दंगा नियंत्रित नहीं हुआ। सीआरपीएफ को चार हवाईजहाज नहीं देकर साजिशन 40 जवानों की हत्या हुई और चुनाव में फायदा उठाया गया पूरी तरह फेल हैं। मणिपुर के जलते रहने हत्याएं होते देने के लिए अमित शाह और मोदी जिम्मेदार हैं। शायद पीएम को अमित शाह को गृहमंत्री बनाने का पछतावा हो जिसके कारण आज कल मोदी और शाह में 36 का आंकड़ा है। धर्मेंद्र प्रधान जो कच्चा तेल लगभग आधे दाम पर मिलने के बावजूद पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ाए चले गए। जनता पर बोझ बन चुके हैं। खेलमंत्री दो बार पीड़ित महिला पहलवानों के साथ बैठक करने के बाद न्याय नहीं दिला सके। शिक्षा मंत्री के रहते शिक्षा बजट में कमी हुई। स्वास्थ्य मंत्रालय का भी यही हाल है। भारी उद्योग मंत्रालय पूरी तरह फेल है क्योंकि उनकी दुर्नितियों के कारण उद्योगधंधे चौपट हो गए। वाणिज्य मंत्री के काल में देश का निर्यात घट गया। व्यापार घाटा चरम पर पहुंचा। नारायण राणे पूरी तरह फेल हो गए जो दलबडल के लिए कुख्यात हैं। पीडीएस और कॉमर्स मंत्री पियूष गोयल तो पूरी तरह फेल हो चुके हैं। देखना है फेरबदल में कौन जाता है। मोदी को लोकसभा चुनाव में हार बुरी तरह की आशंका ने नींद उड़ा दी है।इसलिए गुणवान अनुभवी लोगों को नहीं जातीय क्षेत्रीय समीकरण साधने के लिए अब जनता द्वारा सीधे चुने गए प्रतिनिधियों को मंत्री मंडल में स्थान दिया जा सकता है ताकि क्षेत्रीय जातीय असंतोष को साधा जा सके।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments