Thursday, November 21, 2024
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संपादकीय:- मान गए राहुल गांधो को उस्ताद!

झूठ ही पप्पू कहते थे राहुल गांधी को। अपनी हजारों किलोमीटर भारत जोड़ों और न्याय यात्रा में उन्हें आम जन से मिलने उनकी समस्याएं जानने का अच्छा अवसर मिला। उन्होंने देश और देशवासियों को बहुत करीब से देखा समझा।स्मरण होगा मोहन दास करमचंद गांधी जब साउथ अफ्रीका से भारत आए तब उन्होंने लोकमान्य तिलक जी से मिले।यह उनका सौभाग्य ही था कि आजादी मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और उसे मैं लेकर रहूंगा। ये शब्द उनके हृदय के उद्गार थे। उनसे गांधी ने अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन करने की इच्छा जाहिर की तब तिलक ने उनसे कहा, तुम आंदोलन करना चाहते हो तो सबसे पहले तुम्हें भारत को जानना होगा। इसके लिए सबसे पहले तुम बिहार के चंपारण जिले में जाओ।वहां के लोगों की समस्याएं, इच्छाएं आकांक्षाएं जनों। उनकी हालत समझो। गांधी ने वही किया और जब चंपारण से लौटे तो उनके शरीर पर शूट बूट नहीं था। आवरण अथवा वस्त्र के नाम पर एक धोती थी जिसका अर्थ भाग वे पहनते थे और शेष भाग उनके कंधे को ढांके रहता था। राहुल गांधी ने भी ठीक वही किया। एक टी शर्ट में वे प्रचंड ठंड में भी पैदल दक्षिण से उत्तर की पद यात्रा की। उनकी यात्रा में कुछ छूटते गए तो तमाम नए जुड़ते गए। कुछ तो आरंभ से अंत तक उनकी भारत जोड़ों यात्रा के प्रत्यक्ष गवाह आदि से अंत तक बने रहे। मार्ग में आम जन की पीड़ा न सिर्फ सुनी बल्कि महसूस भी किया। वे जलते मणिपुर भी गए जहां सल्तनत जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई थी। वे अपनी दूसरी भारत जोड़ों न्याय यात्रा उसी मणिपुर से शुरू किए जो लहूलुहान और सरकार द्वारा उपेक्षित था। मार्ग में व्यवधान डालने वाले सत्ता मद में चूर शासक भी मिले। शहर में घुसाने, छात्रों से मिलने में व्यवधान डाला गया तो छात्र उनसे मिलने खुद क्लास छोड़कर आ गए। छात्रों के साथ संवाद में छात्रों युवाओं पुरुषों महिलाओं को राहुल गांधी में अपने देश का उद्धारक मिला। बिन बुलाए लाखों की भीड़ ने उनका स्वागत और समर्थन किया। राहुल गांधी सिर्फ नाम के में एक दूसरे गांधी होकर उभड़े। आम जन हों या पीड़ित आदिवासी।पुरुष हो या स्त्री। बाल हों या युवा। किसान हो। मजदूर हो। शिल्पी हो या कारीगरसबसे मिलकर उनकी समस्याएं जानी और समझा कि भीख में पांच किलो अनाज और चंद सिक्के नहीं न्याय की जरूरत है। बस यही से राहुल गांधी ने पांच न्याय को अपने दिल में रखा जो कांग्रेस के घोषणापत्र का आधार बना। मदांध सर्वशक्तिशाली सत्तारूढ़ मोदी को उनके मेनिफेस्टो में वे सारी चीजें दिखाई दिन जो जनता के लिए अपरिहार्य थी। जिसे मोदी देने की कल्पना भी नहीं कर सकते थे। गांधी नेहरू परिवार के प्रति मोदी के मन की ईर्ष्या कांग्रेस के मेनिफेस्टो पर तंज कसने का मौका हाथ लग गया। फिर क्या था। दलितों वंचितों को मिलने वाले आरक्षण में ही कटौती कर मुस्लिमों को देने का तंज कसना शुरू किया। अपनी आदत से मजबूर गोदी मीडिया ने भी कांग्रेस के मेनिफेस्टो की आलोचना जोर शोर से शुरू कर दिया।कांग्रेस के पास धन और संसाधनों की कमी है। चाहकर भी अपने मेनिफेस्टो को देशवासियों तक पहुंचाने में मुश्किल पेश आ रही थी। जाने अंजाने मोदी सहित बीजेपी के स्वनामधन्य नेताओं और गोदी मीडिया ने कांग्रेसी घोषणापत्र का खूब प्रचार प्रसार कर कांग्रेस की मुश्किल आसान कर दी। कल तक पप्पू कहे जाने वाले राहुल ने मोदी सहित बीजेपी और गोदी मीडिया को ही पप्पू बनाकर अपने मेनिफेस्टो का खूब प्रचार प्रसार वह भी बिना एक पैसा खर्च किए करवा लिया। आखिर ब्रिटेन के बड़े कॉलेज से बड़ी डिग्री लेने वाले राहुल गांधी की उच्च शिक्षा कब काम आती? किसी को आभास भी नहीं हुआ कि कितनी चतुराई से अपने निंदक दल बीजेपी और उसकी भक्त गुलाम गोदी मीडिया से उन्होंने अपना काम करवा लिया। आखिर शिक्षित व्यक्ति में बड़ी बुद्धि जो होती है। मान गए राहुल गांधी। तुस्सी ग्रेट हो।

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