यह आरोप कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भाजपा सरकार पर लगाए हैं। अंग्रेजी के एक न्यूजपेपर में लिखकर सोनिया गांधी ने बीजेपी सरकार पर ये आरोप संविधान निर्माता डॉक्टर भीम राव अंबेडकर की १३२ वी जयंती के अवसर पर लगाए हैं। लिखा है जब हम बाबासाहेब की विरासत का सम्मान कर रहे हैं तो हमें उनकी चेतावनी को भी स्मरण रखना चाहिए कि संविधान की सफलता इन लोगों के आचरण पर निर्भर है जिन्हे सरकार चलाने का दायित्व सौंपा गया है।वर्तमान सरकार संवैधानिक संस्थानों की स्वतंत्रता, समानता, भाईचारे और न्यायरूपी बुनियादों को कमजोर कर रही हैं।लोगों की रक्षा करने की बजाय उनका उत्पीड़न करने के लिए कानून का दुरुपयोग कर के स्वतंत्रता को खतरे में डाला गया है और हर क्षेत्र में चुनिंदा मित्रों के प्रति पक्षपात करके समानता पर प्रहार किया जा रहा। शायद सोनिया गांधी सरकार द्वारा चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव अधिकारी की मनमानी नियुक्ति, विपक्षी दलों के नेताओं के यहां छापामारी, जांच, जेल भेजने के लिए सीबीआई और ईडी के दुरुपयोग की ओर संकेत कर रही हैं। अपरोक्ष रूप से अडानी अंबानी को प्रमोट कर रही है कहना चाहती हों। यही नहीं केंद्रीय कानून मंत्री द्वारा सुप्रीमकोर्ट के रिटायर्ड जजों को धमकी की ओर इशारा कर राष्ट्रविरोधी कृत्य बताना चाहती हों। सोनिया आगे कहती हैं, जनबुझकर नफरत का माहौल बनाकर ध्रुवीकरण के द्वारा देश में भाईचारे को खत्म कर रही है। आंबेडकर को याद कर कहती हैं जमकर बहस, भाईचारे की भावना को प्रोत्साहित करके हम सच्चे अर्थों में आंबेडकर के प्रति सम्मान दे सकते हैं। वैसे देश की जनता को जातियों में बांटकर लड़ाने वाले वे नेता भी कम दोषी और राष्ट्रविरोधी हैं जो जातिगत गणना करा रहे हैं। वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष भी कहां पीछे रहने वाले हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को जबरन चुप कराना और देशद्रोही बताने का चलन खतरनाक है।आज संसद को बहस की बजाय युद्ध के अखाड़े में बदल दिया गया है। उनका आरोप है कि बीजेपी सरकार हमारे लोकतंत्र और संविधान को नष्ट कर देना चाहती है। यह काम विपक्ष नहीं खुद सरकार कर रही है।कहा, बाबासाहेब हमेशा स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर चलने के लिए प्रेरित करते थे।आर्थिक और सामाजिक रूप में भारत के परिवर्तन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के प्रति दृढ़ थे डॉक्टर अंबेडकर। उन्होंने बड़ी संख्या में संवैधानिक संस्थानों की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। जातिगत भेदभाव, लैंगिक असमानता और विभाजनकारी राजनीति को समाप्त करने के लिए महत्त्वपूर्ण हस्तक्षेप किए। एक अर्थशास्त्री के रूप में आर बी आई की परिकल्पना करके भारत की कृषि,जलसंसाधन प्रबंधन और बैंकिंग क्षेत्र में योगदान दिया। उनकी बेहतरीन विरासत को संरक्षण के लिए निरंतर देखभाल की जरूरत है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने आरोप लगाए कि देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अब्दुल कलाम आजाद के संदर्भों को एनसीआरटी की ११ वी कक्षा की राजनीति विज्ञान की नई पाठ्यपुस्तक से हटा दिया गया है। पिछले वर्ष एनसीआरटी ने पिछले साल में अप्रासंगिक कारणों का हवाला देते हुए पाठ्यक्रम से कुछ हिस्सों को हटाया था जिसमें गुजरात दंगा, मुगल अदालत, आपातकाल, शीतयुद्ध आदि प्रकरण शामिल थे। यद्यपि कटु सत्य यह है कि सभी अलग अलग विचारधारा वाली सरकारों ने एनसीआरटी की किताबों में संशोधन किए थे जिसके केंद्र में छात्रों का ज्ञानवर्धन नहीं पार्टी की विचारधारा और वोट बैंक ही प्रमुख लक्ष्य रहा है जबकि होना यह चाहिए कि पाठ्यक्रम छात्रों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखकर बनाया जाना चाहिए जिसमें सरकारी हस्तक्षेप कत्तई नहीं होना चाहिए लेकिन हमारे देश की सरकारें कब सोचने वाली हैं जिससे छात्रों को प्रमुखता दे।