Saturday, July 27, 2024
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संपादकीय:- भगवान होने का भ्रम न पालें मोदी!

मोदी को शायद भ्रम हो गया है कि वे भगवान हैं! वे खुद कहते हैं, मुझे ऊर्जा बायोलॉजिकल शरीर से नहीं मिलती है। वीहीप के नेता ने मोदी को विष्णु का अवतार बताया था। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा भला चाटुकारिता में पीछे क्यों रहते। उन्होंने करोड़ों की आस्था विश्वास का केंद्र भगवान जगन्नाथ को मोदी का भक्त बता कर करोड़ों हिंदुओं की आस्था का मजाक उड़ाया है। और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तो सौ कदम आगे बढ़कर कोणार्क सूर्य मंदिर की दुनिया भर में प्रसिद्धि का श्रेय मोदी को ही दे डाला। कोणार्क का सूर्य मंदिर स्थापत्य का बेजोड़ नमूना है। सदियों से वह करोड़ों हिंदुओं की श्रद्धा का प्रतीक बना हुआ है। जब मोदी और शाह का जन्म नहीं हुआ था कोनार्क मंदिर की प्रसिद्धि दुनिया में फैल चुकी थी। अंधभक्ति में इतना डूबने से किसी भी व्यक्ति को ईश्वर होने का मुगालता हो जाता है। जिसे हम फोबिया कहते हैं। हर कायर व्यक्ति हमेशा भयभीत रहता है इसलिए वह हमलावर हो जाता है। अपनी ही पार्टी के वसुंधरा राजे सिंधिया जैसे मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों को दरकिनार करने का अर्थ है मोदी नहीं चाहते कि उनके अलावा कोई और शक्तिशाली हो जो उनका प्रतिद्वंद्वी कोई न रहे। आईटी, सीबीआई और ईडी का दुरुपयोग कर विपक्षियों को डराना धमकाना और बीजेपी में मिलना बताता है कि मोदी खुद जैसे डरे हुए भ्रष्ट लोगों को अपने घेरे में रखें। देवत्व गुण होता है। देवताओं में सत्यनिष्ठा,न्याय परिपूर्ण होता है। देवताओं का धर्म प्रेम होता है। जो मोदी जैसे लोगों में दूर दूर तक नहीं मिलता। चेतनात्मक क्षमता यानी एस क्यू का पूर्ण विकास कर कोई भी सत्यनिष्ठ और सत्यानुशासित व्यक्ति देवत्त्व प्राप्त कर सकता है। हिंदू मुस्लिम और मंदिर मस्जिद और कपड़ों से पहचाना जा सकता है। कांग्रेस और उसके पूर्व पुरुषों की निंदा करना मोदी का स्वभाव बन चुका है। ईर्ष्या करने वाला व्यक्ति भगवान कैसे हो सकता है? नफरत नस नस में जब भरी हो तो प्रेम भाव विकसित हो ही नहीं सकता। प्रेम विहीन व्यक्ति देवता तो क्या पूर्ण रूप से मानव भी नहीं बन सकता। मोदी में मानवता का कोई भी गुण है ही नहीं। बदला लेना, दूसरों को पीड़ित करना दैत्य कर्म होता है। मोदी में एसक्यू तो बहुत दूर की बात है। ईक्यू यानी भावनात्मक क्षमता भी नहीं है।आई क्यू भी नहीं है। जो उच्च विचार उत्पन्न करता है। हमेशा झूठ बोलने वाला, भला देवता कैसे हो सकता है। कभी 35 साल तो कभी 40 साल भीख मांगकर खाने की बात में एकरूपता नहीं होने का अर्थ है मिथ्या होना। सत्य बोलने वाला ऐसा झूठा आंकड़ा दे ही नहीं सकता। सत्य के लिए स्मरण तक नहीं रखना पड़ता बल्कि झूठ के आंकड़े याद करने की जरूरत होती है। इसलिए किसी भी दृष्टिकोण से मोदी भगवान हो ही नहीं सकते। भ्रम से उन्हें शीघ्र निकलने के लिए काउंसिलिंग की जरूरत है। अन्यथा मानसिक अवसाद में उनका भगवान होने का भ्रम ले जा सकता है। चंद चाटुकारों द्वारा भगवान या अवतार बार बार कहे जाने के कारण व्यक्ति मर्यादा से बाहर सोचने लगता है। इसलिए जरूरी है भगवान और दैवीय शक्ति मिलने से उन्हें दूर रहने में ही भलाई है। भ्रम व्यक्ति को मानसिक रूप से अवसाद में ले जाता है और अवसाद वाले व्यक्ति के लिए प्रधानमंत्री बने रहना उसके स्वयं, समाज और राष्ट्र के लिए खतरा उपस्थित कर सकता है

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